देश की तीन सबसे ज्यादा आयरन भंडार वाले राज्यों में एक नाम झारखंड का भी आता है. हालांकि बड़े ही ताज्जुब की बात है कि यही राज्य 'आयरन' की कमी से जूझ भी रहा है. जब आप देश की राजधानी दिल्ली समेत बड़े महानगरों के बच्चों को देखते हैं तो आपको भी बचपन के खुशगवार माहौल में लौट जाने का दिल करता होगा लेकिन जब कुपोषण की कमी के कारण आए दिन अखबारों से लेकर अस्पतालों तक बीमारी के कारण जान गंवा रहे बच्चों की तस्वीरें आंखों के आगे के गुजरती है तब 'इब्न-ए-इंशा' की कविता किसी चलचित्र की तरह सामने चलने लगती है..


ये बच्चा कैसा बच्चा है 
ये बच्चा भूखा भूखा सा 
ये बच्चा सूखा सूखा सा 
ये बच्चा किस का बच्चा है 
ये बच्चा कैसा बच्चा है 


जो रेत पे तन्हा बैठा है 
ना इस के पेट में रोटी है 
ना इस के तन पर कपड़ा है 
ये बच्चा कैसा बच्चा है



भारत में कुपोषण एक गंभीर समस्या है. देश को आजाद हुए 75 साल हो गए है और पूरा देश इस साल आजादी का 75वां अमृतमहोत्सव मना रहा है. लेकिन यह बहुत निराशाजनक है कि आजादी के 75 साल बाद भी भारत पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा है. फरवरी 2022 में आए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 (NFHS-5) के एक रिपोर्ट के अनुसार देश में आधे से ज्यादा महिलाएं और बच्चे एनीमिया के शिकार हैं.  


देश को कुपोषण मुक्त करने के लिए कई अभियान भी चलाए जा रहे हैं. इस बीच 28 अगस्त को झारखंड अचानक ही चर्चा में आ गया. दरअसल पीएम मोदी ने अपने कार्यक्रम मन की बात में झारखंड के गिरिडीह में कुपोषण के रोकथाम को लेकर शुरू किए गए एक अनोखे अभियान की तारीफ की. झारखंड के गिरिडीह में लोगों को जागरूक करने के लिए नायाब तरीका निकाला गया है. यहां कुपोषण के रोकथाम को लेकर सांप-सीढ़ी खेल के जरिये वहां रह रही जनता को जागरुक किया जा रहा है. पीएम ने इस तरीके की तारीफ करते हुए कहा कि अभियान का ये नायाब और इंटरेस्टिंग तरीका बच्चों को इस संबंध में सारी जानकारी दे रहा है. 


प्रधानमंत्री ने देशवासियों से जल संरक्षण की दिशा में सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों और कुपोषण के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को मजबूती देने का भी आह्वान किया. उन्होंने कहा कि सितंबर का महीना त्योहारों के साथ-साथ पोषण से जुड़े एक बड़े अभियान को समर्पित है. पीएम मोदी ने कहा कि प्रौद्योगिकी का बेहतर उपयोग और जन भागीदारी भी पोषण अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है. 


कैसे कर रहे हैं जागरुक 


झारखंड के गिरिडीह में खेल के जरिये लोगों को जागरुक करने की यह योजना यूनिसेफ की है. जिसके तहत गिरिडीह के आंगनबाड़ी केंद्रों में सांप सीढ़ी के एक खेल के जरिए महिलाओं और बच्चों तक पोषण से जुड़ी जागरुकता फैलाई जा रही है. इस खेल को मजेदार बनाते हुए कुछ बदलाव किए गए हैं. खेल के दौरान जहां सांप काटता है, वहां लिखा होता है कि आपकी किस गलती की वजह से सांप ने काटा. जैसे मान लीजिए आप साप सीढ़ी का गेम खेल रहे हों और आपका 6 नंबर पर गोटी कट जा रहा है. ऐसे में 6 नंबर पर कुपोषण होने के कारण लिखे हुए हैं. वहीं अगर आपकी गोटी आठवे नंबर पर कटती है तो वहां लिखा है कि हर महिने एक बार वजन की जांच जरूर करवाएं. ऐसे में बच्चें और महिलाएं खेल भी पा रहे हैं साथ ही उन्हें जागरूक भी किया जा रहा है. 




क्या है कुपोषण 


कुपोषण वह स्थिति है जो तब विकसित होती है जब शरीर में विटामिन, खनिज और अन्य पोषक तत्त्वों की कमी हो जाती है. कुपोषण से ग्रसित लोगों में विटामिन (Vitamin), मिनिरल्स (Minerals) और दूसरे पदार्थों की कमी होती है जो शरीर के सही तरह से काम करने के लिए बेहद जरूरी होते हैं. वहीं जब शरीर को  आवश्यक मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिलते हैं तो ठीक तरह से ग्रोथ नहीं हो पाती. यही कारण है कि कुपोषित लोगों का बच्चों का वजन बहुत कम हो जाता है. इसके कारण कई गंभीर परेशानियां जैसे डायबिटीज (Diabetes), हृदय रोग (Heart disease) आदि होने की संभावना रहती है.


अच्छा पोषण देश की जरूरत


अच्छे पोषण में वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों को सशक्त बनाने की शक्ति होती है. किसी भी देश का सबसे बड़ा खजाना इसके लोग हैं. विशेष रूप से महिलाएं और बच्चे. लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी, भारत की अधिकांश आबादी को पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए जरूरी आहार नहीं मिलता है. एक बच्चे की पोषण स्थिति का सीधा संबंध उसकी मां से होता है. गर्भवती महिलाओं में मिल रहा खराब न्यूट्रिशन बच्चे की पोषण स्थिति को प्रभावित करता है. इससे बच्चे को भविष्य में तमाम तरह की बीमारियों से जूझने का खतरा बढ़ जाता है. कुपोषित बच्चे पढ़ाई में कमजोर हो सकते हैं जिससे उन्हें भविष्य में नौकरी मिलने की संभावनाएं भी सीमित हो जाती है. 


सरकारी आंकड़े की माने तो साल 2021 में आई रिपोर्ट के अनुसार भारत में दुनिया के सबसे अधिक अविकसित (4.66 करोड़) और कमजोर (2.55 करोड़) बच्चे मौजूद हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह इन बच्चों का लगातार बीमार रहना है. हालांकि राष्ट्रीय परिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों के अनुसार भारत में कुपोषण की दर घटी है लेकिन न्यूनतम आमदनी वर्ग वाले परिवारों में आज भी लगभग 51% बच्चे अविकसित हैं और 49% बच्चों का वजन सामान्य से कम है. 




इन राज्यों के बच्चे कुपोषण का शिकार 


साल 2021 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एक आरटीआई के जवाब में कहा कि देश में समय 33 लाख से ज्यादा बच्चे कुपोषित हैं. इन आंकडों में से आधे यानी 17.7 लाख बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं. गंभीर रूप से कुपोषित ज्यादा बच्चे बिहार, महाराष्ट्र और गुजरात में हैं. इन तीनों राज्यों के अलावा  कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, यूपी, तमिलनाडु, असम और तेलंगाना में भी कुपोषण के शिकार बच्चों की संख्या बहुत ज्यादा है. वहीं राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां की स्थिति भी बेहतर नजर नहीं आ रही है. दिल्ली में एक लाख से भी ज्यादा बच्चे कुपोषित हैं.


भारत की महिलाओं और बच्चों में एनीमिया की समस्या भी बहुत आम है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS)-5 की रिपोर्ट के अनुसार, देश में 15 से 19 साल की 59.1% लड़कियों को खून की कमी है. वहीं 15 से 49 साल की 52.2% प्रेग्नेंट महिलाएं एनीमिया की चपेट में आती हैं.