बांग्लादेश में पीएम मोदी ने मशहूर जशोरेश्वरी काली मंदिर में की पूजा, 51 शक्तिपीठ में से एक है शक्तिपीठ
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश दौरे का दूसरा दिन है. बांग्लादेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सतखीरा में जशोरेश्वरी काली मंदिर में मंत्रोच्चार के साथ पूजा-अर्चना की.
ढ़ाका: भारत के पश्चिम बंगाल और असम में पहले चरण का मतदान हो रहा है, वहीं पीएम मोदी ने बांग्लादेश की धरती पर जशोरेश्वरी देवी मंदिर के दर्शन किए. बांग्लादेश के सतखीरा में स्थित मशहूर जशोरेश्वरी काली मंदिर 51 शक्तिपीठ में से एक सुगंधा शक्तिपीठ है. बताया जाता है यहां देवी सती की हथेलियां गिरी थी. ये मंदिर करीब 400 साल पुराना बताया जाता है.
पीएम मोदी ने यहां मां काली को मुकुट पहनाया, उनके चरणों में साड़ी भेंट की. इसके बाद मंत्रोच्चार के साथ पूजा-अर्चना की. इसके बाद पीएम मोदी ने कहा, "आज मुझे 51 शक्तिपीठों में से एक मां काली के चरणों में आने का सौभाग्य मिला. मेरी कोशिश रहती है कि मौका मिले तो 51 शक्तिपीठों में कभी ना कभी जाकर अपना मत्था टेकूं. साल 2015 में वह जब बांग्लादेश आए थे तो उन्हें मां ढाकेश्वरी के चरणों में शीश झुकाने का अवसर मिला था और आज मां काली के चरणों में आशीर्वाद प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. आज मानव जाति कोरोना के कारण अनेक संकटों से गुजर रही है. मां से यही प्रार्थना है कि पूरी मानव जाति को कोरोना के इस संकट से जल्द से जल्द मुक्ति दिलाएं."
#WATCH बांग्लादेश: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सतखीरा में जशोरेश्वरी काली मंदिर में पूजा की। pic.twitter.com/sBVUkPvowq
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 27, 2021
बांग्लादेश दौरे का दूसरा दिन
बांग्लादेश अपनी आजादी की 50वीं सालगिरह और बांग्लादेश के राष्ट्रपति शेख मुजीबुर्रहमान का जन्म शताब्दी समारोह मना रहा है. इस खास मौके पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि हैं. पीएम नरेंद्र मोदी आज ढाका से डेढ़ सौ किलोमीटर दूर ओरकांडी जाएंगे जहां मतुआ समाज का सबसे बड़ा धाम है. मतुआ महासंघ के संस्थापक हरिचंद ठाकुर का मंदिर है. बांग्लादेश में मोदी की मतुआ मंदिर की यात्रा की पूरे देश में चर्चा हो रही है, उनके इस दौरे का बंगाल इलेक्शन से डायरेक्ट कनेक्शन है.
कोरोना काल में प्रधानमंत्री मोदी के इस पहले विदेश यात्रा कार्यक्रम पर जानकारी शेयर करते हुए विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया कि इस दौरान होने वाले द्विपक्षीय समझौते सहयोग के कई क्षेत्रों को कवर करेंगे. इसमें आपदा प्रबंधन, कारोबार, समुद्र विज्ञान जैसे क्षेत्र शामिल हैं. साथ ही दोनों देश अनेक नई घोषणाएं भी करेंगे. इसमें संस्कृतिक सहयोग, 1971 की साझी विराससत, स्वास्थ्य, रेलवे, शिक्षा, सीमा विकास, बिजली सहयोग और स्टार्टअप योजनाओं में मदद जैसे प्रस्ताव शामिल हैं.
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