नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में भूमि पूजन कर चांदी की ईंट और चांदी के फावड़े से ‘श्री राम जन्मभूमि मंदिर’ निर्माण की आधारशिला रखी. इसके साथ ही केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी का न सिर्फ एक प्रमुख चुनावी वादा पूरा हुआ बल्कि उस अभियान की समाप्ति भी हो गई जिसके सहारे इस भगवा पार्टी ने राजनीतिक सत्ता के शिखर तक का सफर तय किया.


राम मंदिर निर्माण की नींव रखने के बाद मोदी ने कहा कि आज सदियों का इंतजार खत्म हुआ है. इत्तेफाक से पिछले साल पांच अगस्त के दिन ही बीजेपी सरकार ने जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को निरस्त कर विचारधारा से जुड़े अपने एक अन्य प्रमुख वादे को पूरा किया था.


दशकों तक हिन्दू-मुस्लिम समुदायों के बीच विवाद का केंद्र रहे श्री राम जन्मभूमि स्थल पर जब मोदी पूजा-अर्चना कर रहे थे, उस वक्त देशभर के लोग अपने घरों में टेलीविजन से चिपके रहे और इस पल के गवाह बने. पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद का निपटारा कर श्री राम जन्मभूमि पर मंदिर बनाने का मार्ग प्रशस्त किया था.


लगे सियावर रामचंद्र की जय के नारे
‘श्री राम जन्मभूमि मंदिर’ का शिलान्यास करने के बाद प्रधानमंत्री ने एक समारोह को संबोधित किया और इसकी शुरुआत ‘‘सियावर रामचंद्र की जय’’ और ‘‘जय सिया राम’’ के उद्घोष से की.


उन्होंने कहा कि यह उद्घोष सिर्फ राम की नगरी में ही नहीं, बल्कि इसकी गूंज पूरे विश्व में सुनाई दे रही है. उन्होंने सभी देशवासियों को और विश्व में फैले करोड़ों राम भक्तों को इस ‘‘पवित्र’’ अवसर पर ‘‘कोटि कोटि’’ बधाई दी.



टाट में नहीं अब भव्य मंदिर में होंगे रामलला
प्रधानमंत्री ने कहा कि बरसों से टाट और टेंट के नीचे रह रहे ‘‘हमारे रामलला’’ के लिए अब एक भव्य मंदिर का निर्माण होगा. उन्होंने कहा, ‘‘टूटना और फिर उठ खड़ा होना, सदियों से चल रहे इस व्यतिक्रम से राम जन्मभूमि आज मुक्त हो गई है. पूरा देश रोमांचित है, हर मन दीपमय है. सदियों का इंतजार आज समाप्त हो रहा है.’’



राम मंदिर को राष्ट्रीय एकता व भावना का प्रतीक और भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत का द्योतक बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह न सिर्फ आने वाली पीढ़ियों को आस्था और संकल्प की प्रेरणा देगा, बल्कि अनंतकाल तक पूरी मानवता को प्रेरित करेगा.


स्वतंत्रता आंदोलन से तुलना
प्रधानमंत्री ने इस मौके पर यह भी कहा कि जिस प्रकार स्वतंत्रता दिवस लाखों बलिदानों और स्वतंत्रता की भावना का प्रतीक है, उसी तरह राम मंदिर का निर्माण कई पीढ़ियों के अखंड तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक है.


उन्होंने कहा, ‘‘15 अगस्त का दिन लाखों बलिदानों का प्रतीक है, स्वतंत्रता की भावना का प्रतीक है. ठीक उसी तरह राम मंदिर के लिए कई सदियों तक कई पीढ़ियों ने लगातार प्रयास किया और आज का यह दिन उसी तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक है.’’



मोदी ने कहा कि राम मंदिर के लिए चले आंदोलन में अर्पण भी था, तर्पण भी था, संघर्ष भी था, संकल्प भी था. उन्होंने कहा, ‘‘जिनके त्याग, बलिदान और संघर्ष से आज ये स्वप्न साकार हो रहा है, जिनकी तपस्या राम मंदिर में नींव की तरह जुड़ी हुई है, मैं उन सबको आज 130 करोड़ देशवासियों की तरफ से नमन करता हूं.’’


छोटी रखी गई गेस्ट की लिस्ट


पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित राम जन्मभूमि आंदोलन के कई नेता आज के भूमि पूजन में आयोजन स्थल पर नहीं थे. कोरोना महामारी के मद्देनजर आयोजकों ने मेहमानों की सूची छोटी रखी और सिर्फ 175 लोगों को आमंत्रित किया था.


इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास सहित बड़ी संख्या में साधु-संत मौजूद थे.



अपने संबोधन से पहले, प्रधानमंत्री ने मंदिर निर्माण की आधारशिला से संबंधित एक पट्टिका का अनावरण किया और इस मौके पर ‘श्री राम जन्मभूमि मंदिर’ से संबंधित विशेष डाक टिकट भी जारी किया.


‘राम सबके हैं, सब में हैं’
मंदिर निर्माण की आधारशिला को प्रतिद्वंद्वियों पर बीजेपी की वैचारिक जीत के रूप में देखा जा रहा है. राम मंदिर का निर्माण बीजेपी के घोषणापत्र में शामिल रहा है और पिछले तीन दशकों से यह मुद्दा उसकी राजनीति के केंद्र में था.


मोदी ने कहा कि ‘‘राम सबके हैं, सब में हैं’’ और उनकी यही सर्वव्यापकता भारत की विविधता में एकता का जीवन चरित्र है. उन्होंने कहा, ‘‘राम का मंदिर भारतीय संस्कृति का आधुनिक प्रतीक बनेगा, हमारी शाश्वत आस्था का प्रतीक बनेगा, राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा. ये मंदिर करोड़ों-करोड़ों लोगों की सामूहिक शक्ति का भी प्रतीक बनेगा. यहां निर्मित होने वाला राम मंदिर भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत का द्योतक होगा, अनंतकाल तक पूरी मानवता को प्रेरणा देगा और मार्गदर्शन करता रहेगा.’’



प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान राम की अद्भुत शक्ति देखिए कि इमारतें नष्ट कर दी गईं, अस्तित्व मिटाने का प्रयास भी बहुत हुआ, लेकिन ‘‘राम आज भी हमारे मन में बसे हैं, हमारी संस्कृति का आधार हैं.’’


उन्होंने कहा, ‘‘श्रीराम भारत की मर्यादा हैं, श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं.’’ भगवान राम के विचारों का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि श्रीराम ने सामाजिक समरसता को अपने शासन की आधारशिला बनाया था.


उन्होंने कहा, ‘‘प्रभु श्रीराम ने हमें कर्तव्य पालन की सीख दी है. अपने कर्तव्यों को कैसे निभाएं, इसकी सीख दी है. उन्होंने हमें विरोध से निकलकर, बोध और शोध का मार्ग दिखाया है. हमें आपसी प्रेम और भाईचारे के जोड़ से राम मंदिर की इन शिलाओं को जोड़ना है.’’



अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन के अवसर पर देशभर में कई छोटे-बड़े आयोजन किए गए. अयोध्या में ही मंदिर के पीछे एक गहने की दुकान में शंख बजाया गया, वहीं दिल्ली के छतरपुर मंदिर परिसर में धार्मिक आयोजन हुआ.


मंदिर प्रशासक ने कहा कि 32 पंडितों ने भजनों और ढोलकों एवं डफलियों की थाप के बीच विशेष पूजा की. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि भगवान राम के मंदिर का निर्माण न्याय प्रक्रिया के अनुरूप तथा जनसाधारण के उत्साह व सामाजिक सौहार्द के संबल से हो रहा है और यह आधुनिक भारत का प्रतीक बनेगा.


कांग्रेस ने शुभकामनाएं दी
कांग्रेस ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन होने पर देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भगवान राम मन की गहराइयों में बसी मानवता की मूल भावना हैं और वह कभी घृणा एवं अन्याय में प्रकट नहीं हो सकते.


पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ट्वीट किया, ‘‘मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम सर्वोत्तम मानवीय गुणों का स्वरूप हैं. वह हमारे मन की गहराइयों में बसी मानवता की मूल भावना हैं. राम प्रेम हैं. वह कभी घृणा में प्रकट नहीं हो सकते. ’’


कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘राम करुणा हैं. वह कभी क्रूरता में प्रकट नहीं हो सकते. राम न्याय हैं. वह कभी अन्याय में प्रकट नहीं हो सकते.’’


ओवैसी ने उठाए सवाल
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि भूमि पूजन के अवसर पर प्रधानमंत्री की उपस्थिति संविधान के खिलाफ है और यह बहुसंख्यकवाद की जीत को दर्शाती है. उन्होंने कहा, ‘‘आज धर्मनिरपेक्षता पर हिन्दुत्व की जीत हुई है.’’


पांरपरिक धोती कुर्ता में नजर आए पीएम
पारंपरिक धोती-कुर्ता पहने प्रधानमंत्री ने इससे पहले भूमि पूजन कर राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी. प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के अंत में ‘सियापति रामचंद्र’ का जयकारा लगाया.



अयोध्या पहुंचने के बाद उन्होंने सबसे पहले हनुमानगढ़ी पहुंचकर हनुमान जी की पूजा-अर्चना की और फिर राम जन्मभूमि क्षेत्र पहुंचकर भगवान राम को दंडवत प्रणाम किया और पारिजात का पौधा लगाया.


गत वर्ष नवम्बर में उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में उस स्थान पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ किया था जहां 16वीं शताब्दी की बाबरी मस्जिद को 1992 के दिसम्बर महीने में गिरा दिया गया था.


अदालत ने रामजन्मभूमि स्थल को एक न्यास के जरिए मंदिर बनाने को सौंपा, वहीं अयोध्या में ही किसी स्थान पर पांच एकड़ जमीन नई मस्जिद के निर्माण के लिए आवंटित करने का आदेश दिया था.


वैसे तो राम मंदिर निर्माण के लिए राम जन्मभूमि आंदोलन की संकल्पना 1984 में दिवगंत अशोक सिंघल के नेतृत्व में विश्व हिन्दू परिषद ने की थी और इसके लिए देश भर में साधुओं और हिन्दू संगठनों को एकजुट करने की शुरुआत हुई थी. तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष आडवाणी के नेतृत्व में 1990 में शुरू हुई ‘‘राम रथ यात्रा’’ के बाद से यह मुद्दा राजनीतिक हलकों में छाया रहा.


इसके बाद बीजेपी खुलकर राम मंदिर के समर्थन में आ गई. साल 1989 में पालमपुर में हुए बीजेपी के अधिवेशन में पहली बार राम मंदिर निर्माण का संकल्प लिया गया था.


मंदिर निर्माण का मुद्दा बीजेपी के सभी चुनावी घोषणा पत्रों में रहा लेकिन सत्ता में रहने के बावजूद गठबंधन की राजनीति के चलते वह कभी इस पर आगे नहीं बढ़ सकी.



साल 2014 में मोदी के नेतृत्व में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद पार्टी ने अपने मूल मुद्दों को लेकर प्रतिबद्धता में दृढ़ता दिखाई. यह पहला मौका था जब 543 सदस्यीय लोकसभा में बीजेपी को बहुमत मिला था. इस बार उसके ऊपर सहयोगियो का वैसा दबाव नहीं था, जैसा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी काल में गठबंधन के कारण हुआ करता था.


साल 2019 के चुनाव में बीजेपी को पहले से भी बड़ा जनादेश मिला. इसके बाद पार्टी नई ऊर्जा से अपने मूल मुद्दों पर आगे बढ़ती दिखी. पहले जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करना और अब राम मंदिर के निर्माण के लिए शिलान्यास होना यही दर्शाता है.