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अनुच्छेद 370 खत्म, जम्मू-कश्मीर दो केंद्र शासित प्रदेशों में बंटा, पीएम मोदी ने बताया एक नई सुबह

Article 370: जम्मू-कश्मीर दो केंद्र शासित प्रदेशों में बंट चुका है और सूबे को विशेषाधिकार देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया गया है. इससे संबंधित बिल और संकल्प को लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदनों ने मंजूरी दी.

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर पर मोदी सरकार के ऐतिहासिक बिल और एक संकल्प को आज लोकसभा ने मंजूरी दे दी. गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने का प्रस्ताव (संकल्प) लोकसभा में रखा जिसपर सदन ने मुहर लगाई. साथ ही निचले सदन ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को मंजूरी दी. संकल्प और विधेयक को सोमवार को राज्यसभा ने मंजूरी दी थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह ऐतिहासिक क्षण है, एकता और अखंडता के लिए सारा देश एकजुट है. उन्होंने कहा, ''मैं जम्मू-कश्मीर की बहनों और भाइयों के साहस और जज्बे को सलाम करता हूं. वर्षों तक कुछ स्वार्थी तत्वों ने इमोशनल ब्लैकमेलिंग का काम किया, लोगों को गुमराह किया और विकास की अनदेखी की. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अब ऐसे लोगों के चंगुल से आजाद है. एक नई सुबह, एक बेहतर कल के लिए तैयार है!''

अनुच्छेद 370 पर कितने पक्ष में और कितने विपक्ष में लोकसभा ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के प्रस्ताव संबंधी संकल्प को 72 के मुकाबले 351 मतों से स्वीकृति दी. एक सदस्य ने मत विभाजन में हिस्सा नहीं लिया. इसपर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को समाप्त करके सरकार ‘‘ऐतिहासिक भूल’’ को सुधारने जा रही है.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के आदेश के बाद भारत के संविधान के प्रावधान पूरे जम्मू कश्मीर पर लागू होंगे . इस तरह 35ए भी निष्प्रभावी हो गया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 370 (1-बी) का उपयोग करते हुए कल एक संवैधानिक आदेश जारी किया है. जिसमें भारत के संविधान के सारे अनुबंध जम्मू कश्मीर के संविधान में लागू होंगे. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि अनुच्छेद 370 अस्थाई है, इसे उचित समय पर हटा दिया जाएगा. लेकिन इसे हटाने में 70 साल लग गये.

जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019 को 70 के मुकाबले 370 मतों से स्वीकृति दी. इस विधेयक में जम्मू-कश्मीर को दो भागों में बांटकर दोनों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की बात है. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगा और लद्दाख बगैर विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा. लद्दाख में करगिल और लेह जिले शामिल होंगे. प्रस्तावित जम्मू कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र को लोकसभा की पांच सीटें और लद्दाख क्षेत्र को एक सीट आवंटित की जायेगी.

'लंबे समय तक नहीं रहेगा केंद्र शासित प्रदेश'

सरकार के इस कदम की कई विपक्षी पार्टियों ने आलोचना की. जिसपर गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में आश्वासन दिया कि स्थिति सामान्य होते ही जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने में इस सरकार को कोई परेशानी नहीं है. जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के लिये एक विधानसभा होगी और प्रत्यक्ष चुनावों द्वारा चुने गए व्यक्तियों से भरी जाने वाली सीटों की कुल संख्या 107 होगी.

इसमें कहा गया कि जब तक पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर संघ शासित प्रदेश के भू भाग का अधिग्रहण नहीं होता है और उस क्षेत्र में रह रहे लोग अपने प्रतिनिधि नहीं चुनते हैं तब तक विधानसभा में 24 सीटें रिक्त रहेंगी.

हालात ठीक होते ही J&K को पूर्ण राज्य का दर्जा देने में कोई परेशानी नहीं- अमित शाह

लोकसभा में आज जम्मू कश्मीर आरक्षण दूसरा संशोधन बिल 2019 को भी पेश किया गया था. लेकिन अनुच्छेद 370 हट जाने के बाद इस बिल को जम्मू-कश्मीर के लिए अलग से पेश करने की जरूरत नहीं बची. ऐसे में गृहमंत्री अमित शाह ने इसे वापस ले लिया. राज्यसभा ने इस बिल को भी सोमवार को मंजूरी दी थी.

सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त

आपको बता दें कि सोमवार को मोदी सरकार ने चौंकाते हुए अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का एलान किया. इससे पहले सरकार ने ऐहतियात के तौर पर जम्मू-कश्मीर में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाबलों की तैनाती की और जम्मू-कश्मीर के ज्यादातर बड़े नेताओं को नजरबंद कर दिया गया. इन नेताओं में उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, सज्जाद लोन शामिल थे.

फारूक अब्दुल्ला ने भी दावा किया कि उन्हें नजरबंद किया गया था. प्रशासन के इन कदमों के बाद भी सवाल बरकरार था कि सरकार कश्मीर को लेकर क्या कदम उठाएगी. लेकिन अगले ही दिन सोमवार को मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के इतिहास और भूगोल को बदल दिए.

अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर फारूक अब्दुल्ला बोले- क्या वे दिलों को भी बांट देंगे?

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