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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
पीएम ने किया आह्वान तो वैज्ञानिक भी बोले हम तैयार हैं, जल्द ही देशी COVID 19 टीके पर ट्रायल की तैयारी
एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ शेखर मांडे ने बताया कि भारत के वैज्ञानिक माइक्रो बैक्टीरियम डब्ल्यू से वैक्सीन बनाने पर काम कर रहे हैं.
नई दिल्लीः कोरोना वायरस महामारी से जूझते देश को बचाने की कोशिशों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की वैज्ञानिक प्रतिभा का आह्वान किया. जिसके बाद आला वैज्ञानिक संस्था ने भी अपनी कमर कस ली है. एक राहत भरी खबर देते हुए देश की अग्रणी वैज्ञानिक संस्था काउंसिल फ़ॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च ने कहा कि भारत जल्द ही स्वदेशी वैक्सीन ट्रायल शुरू करने की तैयारी कर रहा है. साथ ही कोविड19 की देशी डायग्नोस्टिक किट व दवा की कवायद भी काफी आगे बढ़ चुकी है.
देश के नाम प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ शेखर मांडे ने बताया कि भारत के वैज्ञानिक माइक्रो बैक्टीरियम डब्ल्यू से वैक्सीन बनाने पर काम कर रहे हैं. पीएम के भाषण के बाद अब यह फैसला लिया गया है कि जल्द ही इसके परीक्षण शुरू किए जाएंगे.
डॉ मांडे के मुताबिक सीएसआईआर की दो प्रयोगशालाएं और दो कम्पनियां इसमें लगी हैं. जम्मू स्थित IIIM और CCMB हैदराबाद की प्रयोगशालाएं इसमें जुटी हैं. एक तरफ दिल्ली व भोपाल में एम्स व पीजीएमईआर चंडीगढ़ जैसी अस्पतालों और दूसरी कम्पनियों के साथ मिलकर यह प्रयोगशालाएं वैक्सीन पर काम करेंगी.
महत्वपूर्ण है कि कैडिला फार्मा कम्पनी के साथ एम डब्ल्यू के साथ वैक्सीन बनाने के प्रयास जारी हैं. इसके अलावा कोरोना वायरस का पार्टिकल अलग कर उससे टीका बनाने भी प्रयास जारी है.
डॉ मांडे ने कहा कि कोविड19 पर प्रधानमंत्री के आह्वान को हम स्वीकार करते हैं. हमारी सभी प्रयोगशालाएं इस काम में जुट गई हैं. साथ ही देश सभी नागरिकों को यह आश्वासन देना चाहूंगा कि मानवता की इस जंग में चिकित्सा समाधान ढूंढने में भारत के वैज्ञानिक आगे भी आएंगे और कामयाबी भी हासिल करेंगे.
प्रधानमंत्री क़ई अगुवाई वाली सीएसआईआर कोविड19 महामारी का जवाब देने के लिए भी क़ई स्तर पर काम कर रहा है. इसमें वैक्सीन के अलावा सस्ती डायग्नोस्टिक किट और जरूरी दवा का उत्पादन भी शामिल है.
जाने-माने माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ मांडे ने बताया कि भारत की शीर्ष सरकारी प्रयोगशालाओं में पंचमुखी रणीनीति के साथ इसका समाधान तलाशने की कोशिश हो रही है. इसमें एक भाग है डिजिटल और मॉलिक्यूलर सर्वेलेन्स का. साथ ही दूसरा हिस्सा है डायग्नोस्टिक का. इसके तहत हम रैपिड डाइग्नोसिस किट बनाने का प्रयास कर रहे हैं.
इसमें ज़ोर है कि एक ऐसी टेस्ट किट तैयार करें जो सटीक तरीके से दस पन्द्रह मिनट में टेस्ट कर सके. साथ ही यह किट सौ-दो सौ रुपए में उपलब्ध हो सके. दिल्ली में हमारी एक लैब ने ऐसा टेस्ट तैया किया है और इसको हम फील्ड में ले जाने का प्रयास कर रहे हैं.
इस बात की भी तैयारी जारी है कि दुनिया में अगर किसी दवा को कोविड19 के उपचार में मदद मिले तो उसका भारत में उत्पादन भी हो सके. भारत सरकार में औद्योगिक अनुसंधान विभाग के सचिव के मुताबिक कुछ दवाओं का ट्रायल चल रहा है. इसमें हम तैयारी कर रहे हैं कि अगर किसी दवा को मंजूरी मिलती है तो हम तुरंत उसका उत्पादन भारत में भी कर सकें इसके लिए तैयारी हो रही है.
इस कड़ी में सीएसआईआर ने एक दवा की प्रोसेस कल ही एक कम्पनी को ट्रांसफर की है. लिहाज़ा दुनिया के किसी भी कोने में अगर कोई दवा को मान्यता मिलती है तो वो दवाई उसी दिन से भारत में भी उपलब्ध होगी.
इसके अलावा किफायती दामों और कारगर क्षमताओं वाले भारतीय उपकरणों को तैयार करने में भी विभिन्न प्रयोगशालाओं में काम हो रहा है. इसमें देश की रक्षा अनुसंधान प्रयोगशालाएं और वैज्ञानिक भी जुटे हैं.
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