पीएम मोदी (PM Modi) ने आज देश की अर्थव्यवस्था के विकास को लेकर कहा कि छलांग लगाने के लिए जमीन मजबूत है. टारगेट तय है. बस चल पड़ना है. उन्होंने 'निर्बाध ऋण प्रवाह एवं आर्थिक वृद्धि के लिए सिनर्जी का निर्माण' विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में आजादी के आंदोलनों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, ''किसी भी देश की विकास यात्रा में एक ऐसा समय आता है जब वो देश नई छलांग के लिए नए संकल्प लेता है और फिर पूरे राष्ट्र की शक्ति उस संकल्पों को पूरा करने में जुट जाती है. अब आजादी का आंदोलन बहुत लंबा चला था. 1857 से विशेष रूप से उसको इतिहासकार एक सूत्र में बांधकर भी देखते हैं लेकिन 1942 और 1930 दांडी यात्रा और भारत छोड़ो आंदोलन.''
पीएम मोदी ने कहा, ''ये दो ऐसे टर्निंग प्लाइंट थे जिसको हम कह सकते हैं कि यह ऐसा समय था जब देश ने छलांग लगाने का मूड बनाया था. 1930 में जब छलांग लगी तो देश भर में वो माहौल बना दिया. 1942 में जब दूसरी छलांग लगी तो उसका परिणाम 1947 में आया. यानि मैं जो छलांग की बात कर रहा हूं,..आजादी के 75 साल. अब हम ऐसी अवस्था में पहुंचे हैं, सच्चे अर्थ में ये छलांग लगाने के लिए जमीन मजबूत है. टारगेट तय है. बस चल पड़ना है.''
पीएम ने आगे कहा कि बैंकों को कारोबारों के फलने-फूलने में मदद के लिए अब एक भागीदारी मॉडल अपनाना होगा और कर्ज की 'मंजूरी देने वाले' की सोच से खुद को दूर करना होगा.
प्रधानमंत्री ने बैंकरों से कहा, ‘‘बैंकों को धन-संपत्ति का सृजन करने वालों और नौकरियां पैदा करने वालों का समर्थन करना है. वक्त आ गया है कि अब बैंक अपनी बैलेंस शीट के साथ ही देश की बैलेंस शीट भी सुधारने में मदद करें.’’
उन्होंने बैंकरों को कारोबारों और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए उनकी जरूरत के हिसाब से समाधान मुहैया कराने को भी कहा. उन्होंने कहा, ‘‘आप ग्राहकों के बैंक आने का इंतजार न करें. आपको उनके पास जाना होगा.’’
प्रधानमंत्री ने पिछले पांच वर्षों में बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) सबसे कम होने और बैंकों के पास समुचित तरलता होने का जिक्र करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के बावजूद बैंकिंग क्षेत्र चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में मजबूत बना रहा. इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने इस क्षेत्र का परिदृश्य भी सुधारा है.
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