PM Modi On Lachit Borphukan: आजादी के अमृत महोत्सव के तहत लचित बरफुकन का जयंती समारोह वर्ष भर मनाया गया, जिसका समापन कार्यक्रम आज (25 नवंबर) को राजधानी दिल्ली (Delhi) में स्थित विज्ञान भवन में हुआ. इसी कड़ी में आज पीएम मोदी (PM Modi) 16वीं सदी में मुगल सेना से लोहा लेने वाले असम के आहोम साम्राज्य के वीर सेनापति लचित बरफुकन (Lachit Borphukan) की 400वीं जयंती के उपलक्ष्य साल भरे चले उत्सव के समापन में शिरक्त की.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बरफुकन की शौर्य गाथा पर अपने विचार रखें. पीएम मोदी ने कहा कि सबसे पहले वह असम की उस महान धरती को प्रणाम करते हैं, जिसने मां भारती को लचित जैसे वीर दिए हैं. ये उनका सौभाग्य है कि मु झे इस कार्यक्रम से जुड़ने का अवसर प्राप्त हुआ. वह इस अवसर पर असम की जनता और समस्त देशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं देता हैं.


इतिहास के नायकों को याद कर रहा भारत


पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत अपनी संस्कति के एतिहासिक नायक-नायकिाओं को गर्व से याद करता रहा है. लचित जैसी मां भारती की अमर संतानें हमारी अविरल प्रेरणा हैं. वह इस पुण्य अवसर पर लचित को नमन करते हैं. आज देश ने औपनिवेशिक मानसिकता को त्याग दिया है और अपनी विरासत के लिए गर्व से भर गया है. भारत न केवल सांस्कृतिक विविधता का जश्न मना रहा है, बल्कि इतिहास के नायकों को भी गर्व के साथ याद कर रहा है. 


लचित बरफुकन की वीरता असम की पहचान


पीएम मोदी ने इस दौरान कहा "अगर कोई तलवार के जोर से हमें झुकाना चाहता है, हमारी शाश्वत पहचान को बदलना चाहता है तो हमें उसका जवाब भी देना आता है. असम और पूर्वोत्तर की धरती इसकी गवाह रही है. वीर लचित ने जो वीरता और साहस दिखाया वो मातृभूमि के लिए अगाध प्रेम की पराकाष्ठा थी. असम के लोगों ने आक्रमणकारियों का सामना किया और उन्हें कई बार हराया. मुगलों ने गुवाहाटी पर कब्जा कर लिया, लेकिन लचित बरफुकन जैसे वीरों ने इसे अत्याचारियों से मुक्त करा लिया. सराईघाट में लचित बोरफुकन द्वारा दिखाई गई बहादुरी मातृभूमि के प्रति उनके गहरे प्रेम को दर्शाती है. लचित बोरफुकन की वीरता और उनकी निडरता असम की पहचान है."


आजादी के बाद गलत इतिहास पढ़ाया गया


पीएम मोदी ने आगे कहा कि आजादी के बाद भी हमें वही इतिहास पढ़ाया गया, जिसको गुलामी के कालखंड में साजिशन रचा गया. आजादी के बाद आवश्यकता थी कि गुलामी के एजेंडे को बदला जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ. भारत का इतिहास सिर्फ गुलामी का इतिहास नहीं है, ये योद्धाओं का इतिहास है. भारत का इतिहास जय, वीरता, बलिदान और महान परंपरा का है. उनका जीवन प्रेरणा देता है कि हम परिवारवाद से ऊपर उठ देश के बारे में सोचें. उन्होंने कहा था कि कोई भी रिश्ता देश से बड़ा नहीं होता.


भारत 'राष्ट्र प्रथम' के आदर्श को आगे बढ़ा रहा


पीएम मोदी ने कहा कि आज का भारत 'राष्ट्र प्रथम' के आदर्श को लेकर आगे बढ़ रहा है. हमारी ये जिम्मेदारी है कि हम अपनी इतिहास की दृष्टि को केवल कुछ दशकों तक सीमित ना रखें. क्या लचित का शौर्य मायने नहीं रखता क्या? इतिहास को लेकर, पहले जो गलतियां हुई, अब देश उनको सुधार रहा है. लचित का जीवन हमें प्रेरणा देता है कि हम व्यक्तिगत स्वार्थों को नहीं देश हित को प्राथमिकता दें. पीएम मोदी ने कहा कि हमें भारत को विकसित और पूर्वोत्तर को भारत के सामर्थ का केंद्र बिंदु बनाना है. मुझे विश्वास है कि वीर लचित बरफुकन की जन्म जयंती हमारे इन संकल्पों को मजबूत करेगी और देश अपने लक्ष्यों को प्राप्त करेगा.


प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ दिनों पहले असम सरकार ने लचित की याद में एक संग्रहालय बनाने की घोषणा की थी. इसके अलावा, वे असम के नायकों के सम्मान में एक स्मारक बनाने की योजना बना रहे हैं. ये प्रयास आने वाली पीढ़ियों को हमारे इतिहास और नायकों को समझने में मदद करेंगे.


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