नई दिल्ली: कोरोना महामारी के खिलाफ सहयोग को लेकर हुए गुट निरपेक्ष देशों के वर्चुअल शिखर सम्मेलन में हंदवाड़ा की आतंकी घटना पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दर्द सामने आया. पीएम ने कहा कि जब दुनिया कोरोना वायरस से लड़ रही है, तब भी कुछ लोग आतंकवाद, फेक न्यूज और फर्जी वीडियो जैसे अन्य घातक वायरस फैलाने में लगे हैं.


जाहिर है बिना नाम लिए की गई टिप्पणी में पीएम मोदी का इशारा शिखर सम्मेलन में शरीक पाकिस्तान की तरफ था, जिसकी शह पर चल रहे आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर में 5 भारतीय सैनिकों की जान ले ली. इतना ही नहीं खाड़ी मुल्कों में भारत को बदनाम करने के लिए पाक इन दिनों फर्जी सूचनाओं के आधार पर सोशल मीडिया के जरिए इंफोर्मेशन वॉर भी चला रहा है.


पीएम ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुए 120 मुल्कों के वर्चुअल गुट निरपेक्ष शिखर सम्मेलन में इस बात पर भी जोर दिया कि कोरोना महामारी ने मौजूदा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्थआ की कमियों को उजागर किया है. ऐसे में नई और अधिक संतुलित व्यवस्था की जरूरत है.


उन्होंने कहा, ''COVID-19 ने हमें मौजूदा अंतरराष्ट्रीय प्रणाली की सीमाओं को दिखाया है. COVID के बाद की दुनिया में, हमें निष्पक्षता, समानता और मानवता के आधार पर वैश्वीकरण के एक नए ढांचे की जरूरत है.''


पीएम मोदी ने कहा कि हमें ऐसे अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों की आवश्यकता है जो आज की दुनिया के अधिक प्रतिनिधि हैं. केवल आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करने की बजाए हमें मानव कल्याण को बढ़ावा देने की जरूरत है.


अधिकतर एशिया और अफ्रीका की विकासशील अर्थव्यवस्थाओं वाले गुट निरपेक्ष देशों के इस कुनबे में भारत आर्थिक तौर पर सबसे प्रभावशाली मुल्क है. भारतीय प्रधानमंत्री के तौर पर पहली बार इस समूह की शिखर बैठक में शामिल हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने कोरोना संकट में अपना ही नहीं दूसरों का भी ख्याल रखा है. महत्वपूर्ण है कि भारत ने कोरोना महामारी से लड़ाई में अपनी जरूरतों के साथ साथ दुनिया के 123 देशों को दवाओं की आपूर्ति की है. इसमें से 53 देश गुट निरपेक्ष कुनबे के हैं.


बैठक के दौरान अपने भाषण में पीएम मोदी ने निर्गुट देशों को मिलकर एक प्लेटफॉर्म बनाने का आग्रह किया जहां सभी मुल्क अपने अनुभव, बेस्ट प्रैक्टिसेज और संसाधन प्रबंधन साझा कर सकें.


गौरतलब है कि भारत ने पड़ोसी सार्क देशों के साथ इस आइडिया की शुरुआत करते हुए चिकित्सा स्टाफ की ऑनलाइन ट्रेनिंग का कार्यक्रम शुरू किया है. साथ ही दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों के चिकित्सा प्रबंधकों के लिए भी कोर्स मॉड्यूल की तीन दिनी ट्रेनिंग भी हो रही है.


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