PM Modi On UCC: पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 'मेरा बूथ सबसे मजबूत' कार्यक्रम के तहत मंगलवार (27 जून) को कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. पीएम मोदी ने देश में समान नागरिक संहिता को लेकर बड़ा बयान दिया है. पीएम ने कहा, एक घर दो कानूनों से नहीं चल पाएगा, ठीक उसी तरह से एक देश में दो कानून नहीं हो सकते हैं.


पीएम मोदी ने कहा, "यूनिफार्म सिविल कोड के नाम पर लोगों को भड़काया जा रहा है. एक घर में दो कानून से घर नहीं चल पाएगा. भारत के संविधान मे भी नागरिक के समान अधिकार की बात की गयी है. वोट बैंक की राजनीति हो रही है. पसमांदा मुस्लिम राजनीति के शिकार हो रहे हैं. कुछ लोग तुष्टीकरण की राजनीति करते है और देश को तोड़ते है. बीजेपी कैडर मुस्लिम को जाकर समझाए."


भोपाल में पीएम मोदी ने समान नागरिक सहिंता (UCC) को लेकर पार्टी के निचले स्तर के कार्यकर्ताओं को स्पष्ट मैसेज दिया है. प्रधानमंत्री का यह बयान तब आया जब बीते दिनों ही लॉ कमीशन ने एक विज्ञप्ति जारी कर देश के नागरिकों से समान नागरिक संहिता पर उनसे लिखित सुझाव मांगे थे.


क्या है समान नागरिक सहिंता? 


समान नागरिक सहिंता देश के सभी नागरिकों के लिए समान कानूनों की बात करती है. यानी, विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम देश में इस समय अलग-अलग धर्मों को लेकर अलग-अलग कानून हैं, इसलिए देश में बीजेपी बीते काफी सालों से यूसीसी लाने का प्रयास कर रही है, ये उसके कई चुनावी वादों में से एक बड़ा चुनावी वादा भी है.


कैसी होगी समान नागरिक सहिंता? 


चूूंकि अभी विधि आयोग ने देश के नागरिकों से यूसीसी को लेकर सुझाव मांगे हैं, और इन सुझावों की अंतिम तिथि 15 जुलाई होगी, इसके बाद मिले सुझावों के आधार पर कानून मंत्रालय और इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों, राजनीतिज्ञों, शिक्षाविदों और सभी धर्मों के लोगों की एक कमेटी की भी राय ली जाएगी, और उनके सुझावों के आधार पर कानूनी जानकारी रखने वाली एक टीम इसका प्रारंभिक ड्राफ्ट तैयार करेगी. उस ड्राफ्ट के तैयार होने के बाद ही यह पता चल सकेगा कि आखिर देश में यह कानून किस तरह का होगा.


हालांकि अभी तक की मिली जानकारी के अनुसार यूसीसी इन मुद्दों को टॉरगेट करेगी...



  1. मैरिज

  2. डिवोर्स

  3. उत्तराधिकार

  4. एडॉप्शन

  5. गार्जियनशिप और

  6. जमीन और संपत्ति का बंटवार


क्या पर्सनल लॉ को रिप्लेस कर देगी यूसीसी?
दावा किया जा रहा है कि यूसीसी भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार को सुनिश्चित करेगी, साथ ही अनुच्छेद 15 के तहत रिलीजन, रेस, कास्ट, सेक्स या फिर प्लेस ऑफ बर्थ के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव पर रोक लगाने का काम करेगी. ये कानून पर्सनल लॉ या फिर धार्मिक किताबों पर आधारित कानूनों और परंपराओं को इस यूनिफार्म सिविल कोड से रिप्लेस किया जाएगा.


यूसीसी पर क्या है मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का रुख?


ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग के सुझाव मांगे जाने को लेकर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है. बोर्ड ने कहा है कि भारत में इस तरह का कानून बनाने बेवजह देश के संसाधनों को बर्बाद करना है और यह समाज में वेवजह अराजकता का माहौल बनाएगा. मुस्लिम बोर्ड का कहना है कि इस समय यह कानून लाना अनावश्यक, अव्यहारिक और खतरनाक है.


मुस्लिम लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. एसक्यू आर. इलियास ने एक बयान में कहा था कि मुस्लिम लॉ बोर्ड में बनाए गये कानून मुस्लिमों की पवित्र किताब कुरान से ली गई है और उसमें लिखी बातों को काटने और बदलने की इजाजत खुद मुसलमानों को भी नहीं है. तो फिर सरकार कैसे एक कानून के जरिए इसमें दखलंदाजी कर सकती है.