Uniform Civil Code: पीएम मोदी ने भोपाल में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) की वकालत करके 2024 के चुनावी मूड का संकेत दे दिया है. भोपाल में पार्टी के बूथ कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा. पीएम मोदी के इस बयान के बाद सियासी घमासान मच गया है. पीएम मोदी के बयान के बाद ये सवाल उठ रहा है कि क्या 2024 के चुनाव में बीजेपी अपने कोर एजेंडे का तीसरा ब्रह्मास्त्र चलाने जा रही है. आइए जानते हैं.
पीएम मोदी मध्य प्रदेश के भोपाल में बीजेपी की ओर से आयोजित 'मेरा बूथ, सबसे मजबूत' कार्यक्रम में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने यूसीसी पर कहा कि हम देख रहे हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है. एक घर में एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे के लिए दूसरा तो घर चल पायेगा क्या? तो ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा.
विपक्ष पर मुसलमानों को गुमराह करने का आरोप
पीएम मोदी ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह यूसीसी के मुद्दे पर मुसलमानों को गुमराह कर रहा है. उन्होंने कहा, हमें ध्यान रखना चाहिए कि संविधान भी देश के सभी नागरिकों को समान अधिकार देता है. पीएम मोदी ने शीर्ष अदालत का भी जिक्र किया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इसके पक्ष में है, लेकिन वोट बैंक की राजनीति करने वाले इसका विरोध कर रहे हैं.
बीजेपी के कोर एजेंडे में यूसीसी
बीजेपी के कोर एजेंडे में तीन मुद्दे रहे हैं- अयोध्या में राम मंदिर निर्माण, जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटाना और देश में समान नागरिक संहिता लागू करना. इनमें से राम मंदिर का निर्माण शुरू हो चुका है और धारा 370 खत्म हो गई है, अब बचा है तीसरा मुद्दा, समान नागरिक संहिता, जिस पर मोदी सरकार को काम करना है.
तो क्या बीजेपी ने अपना आखिरी ब्रह्मास्त्र चला दिया है? ये सवाल यूं ही नहीं उठा है. केंद्र की मोदी सरकार ने इस पर काम शुरू कर दिया है. हाल ही में, केंद्रीय विधि आयोग ने यूसीसी को लेकर सुझाव मांगे थे.
कई बीजेपी शासित राज्यों में काम शुरू
उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, गुजरात और गोवा जैसे राज्य जहां बीजेपी की सरकार है, पहले ही यूसीसी को लाने के लिए काम शुरू हो चुका है. उत्तराखंड की बीजेपी सरकार तो यूसीसी को लेकर विधानसभा में ड्राफ्ट पेश करने की तैयारी कर रही है. उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने एबीपी न्यूज से बताया कि राज्य के लोग चाहते थे कि यूसीसी लागू हो. इस कारण ही हमें चुना गया.
बीजेपी को मिल सकता है इन दलों का साथ
अगर मोदी सरकार इसे संसद में लाती है तो उसे इसके लिए दूसरों को भी साथ लेना होगा. हालांकि, बीजेपी इस बारे में आश्वस्त है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बीजेपी सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि शीतकालीन सत्र में ये मुद्दा सदन में उठ सकता है. वैसे अगर अभी तक की बात करें तो अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी और नवीन पटनायक की बीजेडी को यूसीसी से कोई आपत्ति नहीं है. आंध्र प्रदेश से वाईएसआरसीपी का भी समर्थन मिल सकता है. हालांकि, अभी तक जगन मोहन रेड्डी ने इसे लेकर बयान नहीं दिया है.
बीजेपी के सामने है ये टेंशन
यूसीसी को लेकर बीजेपी की भी अपनी चिंता है, खासतौर पर आदिवासी बहुल क्षेत्रों में इसके विरोध की संभावना को लेकर. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे तीन राज्यों में इस साल के आखिर में चुनाव हैं. इन राज्यों में बड़ी आदिवासी आबादी है. आदिवासी समुदाय का प्रतिनिधित्व का दावा करने वाली राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद ने यूसीसी के खिलाफ 2016 में सुप्रीम कोर्ट का रुख कर चुकी है.
इसके साथ ही पीएम मोदी ने इस बार पसमांदा मुसलमानों तक पहुंचने का प्लान बनाया है. यही वजह है कि पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे विपक्ष को बेनकाब करें और अल्पसंख्यकों के लिए मोदी सरकार के लिए गए फायदें गिनाएं.
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