'हम निष्पक्ष नहीं', दुनिया में चल रहे युद्ध पर बोले पीएम मोदी; निखिल कामथ के साथ पॉडकास्ट की बड़ी बातें
पीएम मोदी ने कहा, राजनीति में आना एक बात है और राजनीति में सफल होना दूसरी चीज है. मैं मानता हूं उसके लिए डेडिकेशन होना चाहिए. आपको टीम प्लेयर होना चाहिए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निखिल कामथ के साथ पहला पॉडकास्ट किया. इस दौरान उन्होंने तमाम मुद्दों पर खुलकर बात की. पीएम मोदी ने बताया कि वे बचपन में अपने पूरे परिवार के कपड़े धोते थे, ताकि उन्हें तालाब जाने को मिल जाए. पीएम मोदी ने बताया कि मैं गुजरात के मेहसाना के वडनगर में पैदा हुआ हूं. उस समय उस जगह की आबादी 15000 थी.
पीएम मोदी ने कहा, गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद मैंने तय किया कि मैं मेहनत करने में कोई कमी नहीं करूंगा. मैं अपने लिए कुछ नहीं करूंगा. मैं बद इरादे से कभी गलत नहीं करूंगा. मैंने इसे जीवन का मंत्र बनाया है. मैं भी मनुष्य हूं कोई देवता नहीं हूं. मैं रंग बदलने वाला व्यक्ति नहीं हूं. अगर आपने कभी गलत नहीं किया है तो आपके साथ भी गलत नहीं होगा. पीएम मोदी ने कहा कि मैं भी इंसान हूं, देवता नहीं हूं. मुझसे भी गलतियां होती हैं.
पॉडकास्ट में पीएम मोदी ने दुनियाभर के अलग अलग हिस्सों में चल रहे युद्ध पर कहा कि मैंने पहले भी कहा है कि हम निष्पक्ष नहीं हैं. लेकिन हम शांति के पक्ष में हैं.
'लाल चौक पर तिरंगा फहराने के बाद किया था मां को फोन'
मैं जब श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा झंडा फहराने गया था. पंजाब में हमारी यात्रा पर अटैक हुआ था. गोलियां चलीं. 5-6 लोग मारे गए. पूरे देश में तनाव था. लोगों को लगता था कि क्या होगा. लाल चौक पर उस समय तिरंगा फहराना भी मुश्किल था. तिरंगा झंडा फहराने के बाद हम जम्मू आए. जम्मू से पहला फोन मां को किया. मेरे लिए ये खुशी का पल था और मां को चिंता होती है. पहला फोन मैंने मां को किया. उस फोन का महत्व आज याद आता है.
पॉडकास्ट की दुनिया मेरे लिए नई- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा, पॉडकास्ट की दुनिया मेरे लिए नई है. मेरा जीवन भटकते इंसान की तरह थी. उन्होंने कहा, राजनीति में आना एक बात है और राजनीति में सफल होना दूसरी चीज है. मैं मानता हूं उसके लिए डेडिकेशन होना चाहिए. आपको टीम प्लेयर होना चाहिए. आजादी के आंदोलन में सभी वर्ग के लोग जुड़े, लेकिन सभी राजनीति में नहीं आए, लेकिन देशभक्ति से प्रेरित वो आंदोलन था. आजादी के बाद एक लॉट राजनीति में आया. आजादी ने निकले हुए राजनेताओं की सोच, उनकी परिपक्वता अलग है, इनकी बातें समाज के प्रति समर्पित हैं. राजनीति में अच्छे लोग आते रहने चाहिए, मिशन लेकर आएं एम्बिशन लेकर नहीं.
'महात्मा गांधी डंडा रखते थे लेकिन अहिंसा की बात करते थे'
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, भाषण कला से ज्यादा जरूरी है संवाद. आप संवाद कैसे करते हैं. महात्मा गांधी डंडा रखते थे लेकिन अहिंसा की बात करते थे. महात्मा जी ने कभी टोपी नहीं पहनी लेकिन पूरी दुनिया गांधी टोपी पहनती थी, ये उनके संवाद की ताकत थी, उनका क्षेत्र राजनीति जरूर था लेकिन राजव्यवस्था नहीं थी. न वे चुनाव लड़े न सत्ता में आए लेकिन मृत्यु के बाद जो जगह मिली उसका नाम राजघाट पड़ा.
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