प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चक्रवात ताउते से बनी स्थिति का निरीक्षण करने के लिए बीते दिन गुजरात का दौरा किया. इस बीच पीएम मोदी ने अहमदाबाद में एक बैठक की अध्यक्षता की. इस बैठक में उन्होंने गुजरात सरकार से कहा कि आपको वाराणसी से सीखने की जरूरत है.
दरअसल, मोदी वहां कोरोना और तूफान को लेकर मीटिंग कर रहे थे. इसी दौरान उन्होंने वाराणसी मॉडल के बारे में बताया जहां से वे लोकसभा के सांसद हैं. जिनके लोगों से उनका एक अलग किस्म का रिश्ता रहा है.
वाराणसी को कोविड के कहर से कैसे बचाया गया?
इसके बारे में मोदी ने गुजरात के सीएम, मंत्रियों समेत वहां मौजूद सीनियर अफसरों को बताया कोरोना से निपटने में वाराणसी मॉडल की चर्चा देश भर में हैं. पीएम मोदी 21 मई को इस प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों से बात करेंगे. साथ ही शहर के कुछ जाने माने डॉक्टरों से भी वे संवाद करेंगे.
कोरोना की दूसरी लहर ने देखते ही देखते कोहराम मचा दिया था. अस्पताल में बेड से लेकर ऑक्सीजन को लेकर मारामारी मची थी. वाराणसी में भी लोगों को तरह-तरह की मुसीबतें झेलनी पड़ी. लेकिन उतना नहीं जितना बाकी देश को भुगतना पड़ा. वाराणसी मॉडल ने बनारस की जान बचा ली. पीएम नरेन्द्र मोदी लगातार इसकी मॉनिटरिंग करते रहे.
कोरोना के दूसरी लहर से पहले ही शुरू कर दिया गया था काम
वाराणसी के डीएम कौशलराज शर्मा का आईडिया चल निकला. कोरोना के दूसरी लहर के दस्तक देने से पहले ही उन्होंने काम शुरू कर दिया था. शहर में कोविड के केस बढ़ने लगे थे. कौशलराज ने इलाके के व्यापारियों की बैठक बुलाई. फिर उन्हें कोरोना कर्फ्यू लगाने पर राजी कर लिया. कोविड के संक्रमण के चेन को तोड़ने के लिए इस तरह के प्रयास बहुत जरूरी होते हैं. शुरूआत में लॉकडाउन लगाने से बात बिगड़ सकती थी. लोग पैनिक हो जाते इसीलिए सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे वाला फॉर्मूला अपनाया गया.
कारोबारियों के साथ मिल कर वाराणसी के अलग-अलग इलाको में बाज़ार बंद करने का फैसला हो गया. वाराणसी के गलियों का शहर कहते हैं. एक दिन चूड़ी वाली गली बंद तो अगले दिन कचौड़ी वाली गली. योगी सरकार के वीकेंड लॉकडाउन के फैसले से पहले ही वाराणसी में ये सब लागू हो चुका था.
वाराणसी का कंटेनमेंट मॉडल बाकी शहरों के लिए रोल मॉडल- पीएम मोदी
पीएम नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी के कंटेनमेंट मॉडल को देश के बाकी शहरों के लिए रोल मॉडल बताया है. यूपी से यहां हर दिन दोपहर एक बजे तक बाजार बंद हो जाते हैं. जबकि कोरोना कर्फ्यू में जरूरी सामान वाली दुकानें खुले रखने के आदेश हैं. पर वाराणसी में ऐसा नहीं हैं. वहां की जनता और दुकानदारों ने मिल कर ये फैसला किया है.
वीकेंड कर्फ्यू में भी ऐसा ही होता है. जरूरी सामान की खरीद बिक्री के लिए दुकानें दोपहर में ही बंद कर दी जाती हैं. ये पहल दुकानदारों की तरफ से की गई है. जिले के डीएम कौशलराज शर्मा ने कहा कि हम लोगों ने तो अप्रैल महीने की शुरूआत में ही कंटेनमेंट प्लान तैयार कर लिया था. शहर के अलग-अलग इलाको में व्यापारियों से बात कर बाजार बंद कराने की शुरूआत भी कर दी थी. उन्होंने कहा कि एक गली की मैपिंग की गई थी. इसका नतीजा ये रहा कि जब बाकी शहरों में दूसरी लहर में कोरोना तेजी से फैला. वाराणसी में इसका असर थोड़ा कम रहा.
ओवर चार्ज की शिकायत मिलने पर कमेटी उसकी जांच करती थी
वाराणसी ने प्राइवेट अस्पतालों के लिए भी एक अलग मॉडल तैयार किया है. यूपी के बाकी जिलों में नोडल अफसर वाला सिस्टम है. एक सीनियर आईएएस अधिकारी या फिर जिले के डीएम को ही कोरोना का नोडल अफसर बनाया गया. हर उस प्राइवेट अस्पताल की जिम्मेदारी भी एक अधिकारी को दी गई जहां कोविड मरीजों का इलाका होता है. लेकिन वाराणसी का अपना अलग मॉडल है. यहां इनफोर्समेंट कमेटी बनाई गई. जिसमें इनकम टैक्स, जीएसटी, सप्लाई और पुलिस विभाग और पुलिस के अफसरों को इस कमेटी का मेंबर बनाया गया.
दवा की कालाबाजारी, अस्पताल में मरीजों से अधिक पैसे लेना की शिकायतें निपटाने की जिम्मेदारी इस कमेटी को दी गई. तय हुआ कि न तो अस्पतालों सीज किए जायेंगे ना ही उन पर केस होगा. यही सोच दवा दुकानदारों के लिए भी बनाई गई. इसके पीछे तर्क यही था कि अगर अस्पताल और डॉक्टरों को केस मुकदमा में फंसाया गया तो फिर कोविड के इलाज में परेशानी हो सकती है. अगर डॉक्टरों ने विरोध कर दिया तो फिर लेने के देने पड़ जायेंगे. इसीलिए अस्पताल के खिलाफ ओवर चार्ज की शिकायत मिलने पर कमेटी उसकी जांच करती थी. अगर मरीज से पैसा अधिक लिया गया तो फिर उसे वापस कराया जाता थ.
दूसरी लहर में 52 प्राइवेट अस्पताल कोविड वार्ड बनाने को तैयार हुए
किसी अस्पताल या डॉक्टर के खिलाफ लगातार शिकायत मिलने पर इनकम टैक्स और जीएसटी में उसकी फाइल खोल दी जाती है. लेकिन केस नहीं किया जाता है. इस मॉडल से फायदा ये रहा कि कोरोना की पहली लहर में सिर्फ 6 तो दूसरी लहर में 52 प्राइवेट अस्पताल कोविड वार्ड बनाने को तैयार हो गए. प्रधानमंत्री ऑफिस यानी पीएमओ के साथ-साथ लखनऊ से सीएम ऑफिस भी लगातार वाराणसी की मॉनिटरिंग करता रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तो खुद वहां का दौरा किया और कामकाज को देखा.
अगर वाराणसी में कोरोना से निपटने में गड़बड़ी होती तो फिर पीएम नरेन्द्र मोदी पर भी उंगलियां उठतीं. इसीलिए वहां हालात बेहतर होने पर मोदी अब वाराणसी मॉडल का गुणगान कर रहे हैं. पीएमओं में सेक्रेटरी रह चुके और अब बीजेपी एमएलसी अरविंद शर्मा ने वाराणसी का काम की सराहना करने पर उन्हें थैंक्यू कहा है.