यरूशलम/नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने इजरायली समकक्ष बेंजामिन नेतन्याहू को केरल से ले जाए ऐतिहासिक अवशेषों के दो सेटों के प्रतिरूप भेंट किए. ये सेट भारत में यूहदी धर्म के लंबे इतिहास से जुड़े अवशेष हैं.

नेतन्याहू के जेरूसेलम स्थित आवास पर जाकर डिनर किया

इससे पहले पीएम मोदी ने नेतन्याहू के जेरूसेलम स्थित आवास पर जाकर डिनर किया. इस दौरान नेतन्याहू की पूरी फैमली ने उनका गर्मजोशी के साथ स्वागत किया. नेतन्याहू ने भी अपनी ओर से एक पेंटिंग पीएम मोदी को सौंपी. जिसमें भारतीय सैनिकों को दर्शाया गया है. 



इस भेंट में तांबे की प्लेटों के दो अलग-अलग सेट थे

इस बीच प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी ट्वीट में कहा गया कि इस भेंट में तांबे की प्लेटों के दो अलग-अलग सेट थे. ऐसा माना जाता है कि इन्हें 9वीं-10वीं सदी में अंकित किया गया था. तांबे की प्लेटों का पहला सेट भारत में कोचीन के यहूदियों की निशानी है.

रब्बन को अनुवांशिक आधार पर दिए गए विशेषाधिकारों का वर्णन 

समझा जाता है कि इसमे हिंदू राजा चेरामन पेरूमल द्वारा यहूदी नेता जोसेफ रब्बन को अनुवांशिक आधार पर दिए गए विशेषाधिकारों का वर्णन है. यहूदियों के पारंपरिक दस्तावेजों के अनुसार, बाद में जोसेफ रब्बन को शिंगली का राजकुमार बना दिया गया था.




महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है जो कोदन्गुल्लूर के समकक्ष है

शिंगली एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है जो कोदन्गुल्लूर के समकक्ष होता है. कोदन्गुल्लूर वह स्थान है, जहां यहूदी लोग सदियों तक धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्वायत्तता का आनंद लेते रहे हैं. इसके बाद वे कोचीन और मालाबार के अन्य स्थानों पर चले गए थे.

कोच्चि स्थित परदेसी सिनगॉग के सहयोग से हासिल किए गए

इन प्लेटों के प्रतिरूप कोच्चि स्थित परदेसी सिनगॉग के सहयोग से हासिल किए गए. तांबे की प्लेटों का दूसरा सेट भारत के साथ यहूदियों के व्यापार के इतिहास का प्राचीन दस्तावेजीकरण है. ये प्लेटें स्थानीय हिंदू शासक द्वारा चर्च को दिए गए जमीन और कर संबंधी विशेषाधिकारों के बारे में बताती हैं.


इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हिंदी में ट्वीट किया 


व्यापार और भारतीय व्यापार संघों का भी वर्णन करती हैं

इसके अलावा ये कोल्लम से पश्चिमी एशिया के साथ होने वाले व्यापार और भारतीय व्यापार संघों का भी वर्णन करती हैं. इन प्लेटों का प्रतिरूप हासिल करना केरल के तिरूवला स्थित मालंकर मार थोमा सीरियन चर्च के सहयोग से संभव हुआ.