नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी नृपेंद्र मिश्रा ने रिटायर होने का फैसला लिया है. पीएम मोदी ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी है. सितंबर के दूसरे हफ्ते से वो कार्यमुक्त हो जाएंगे.


प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा है कि 2014 में जब मैंने प्रधानमंत्री के रूप में दायित्व संभाला, तब मेरे लिए दिल्ली भी नई थी और नृपेंद्र मिश्रा जी भी नए थे लेकिन दिल्ली की शासन-व्यवस्था से वे भली-भांति परिचित थे. उस परिस्थिति में उन्होंने प्रिंसिपल सेक्रेटरी के रूप में अपनी बहुमूल्य सेवाएं दीं. उस समय उन्होंने न सिर्फ व्यक्तिगत रूप से मेरी मदद की, बल्कि 5 साल देश को आगे ले जाने में, जनता का विश्वास जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. एक साथी के रूप में 5 साल तक हमेशा उन्होंने साथ दिया. 2019 के चुनाव नतीजे आने के बाद श्री नृपेंद्र मिश्रा जी ने खुद को प्रिंसिपल सेक्रेटरी के पद से सेवामुक्त किए जाने का अनुरोध किया था. तब मैंने उनसे वैकल्पिक व्यवस्था होने तक पद पर बने रहने का आग्रह किया था.



आगे पीएम मोदी ने लिखा है कि अब श्री नृपेंद्र मिश्रा जी के सेवामुक्त होने के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है. वे अपनी इच्छा के अनुरूप सितंबर के दूसरे हफ्ते से कार्यमुक्त हो जाएंगे. आगे के लिए उन्हें बहुत-बहुत शुभकामनाएं.


सरकार के प्रधान प्रवक्ता सीतांशु कार ने कहा कि मोदी ने मिश्रा से दो सप्ताह तक पद पर बने रहने को कहा है. उन्होंने कहा कि पूर्व कैबिनेट सचिव पी के सिन्हा को प्रधानमंत्री ने विशेष दायित्व अधिकारी के रूप में नियुक्त किया है. मिश्रा 2014 से प्रधानमंत्री कार्यालय में मोदी के साथ रहे हैं.


कौन हैं नृपेंद्र मिश्रा?
उत्तर प्रदेश कैडर के 1967 बैच के आईएसएस नृपेंद्र मिश्रा 2006-2009 तक ट्राई के चेयरमैन भी रहे. इससे पहले वे टेलिकॉम सचिव और वित्त मंत्रालय में भी सेवाएं दे चुके हैं. मिश्र की अध्यक्षता में 2007 में ट्राई ने सिफारिश की थी कि स्पेट्रम की नीलामी की जानी चाहिए. उस वक्त की यूपीए सरकार ने उनकी सिफारिश को नजरअंदाज कर दिया था. उत्तर प्रदेश के रहने वाले मिश्र राजनीति शास्त्र और लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर हैं. अनुभव और कार्यकुशलता के अलावा उन्हें राष्ट्रवादी सोच का अधिकारी भी माना जाता है. नृपेंद्र मिश्रा को 11 जून 2019 को सेवा विस्तार दिया गया था और उस समय उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था.