PM Modi Ramayan Circuit Visit: 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का उद्घाटन होने वाला है. यहां पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. उसके पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने देशभर में रामायण से जुड़े महत्वपूर्ण तीर्थों का दर्शन और पूजा अर्चना की है.


आज रविवार (21 जनवरी) को पीएम मोदी का तमिलनाडु में दौरे का तीसरा दिन है. यहां उन्होंने सुबह-सुबह भगवान रामनाथस्वामी मंदिर में पूजा अर्चना की है. मंदिर परिसर के भीतर 22 तीर्थों में पीएम ने डुबकी लगाई है.  इसके बाद दो और जगहों पर PM मोदी जाएंगे जिनका रामायण से सीधा संबंध है.


जहां मिले थे विभीषण से राम वहां जाएंगे पीएम मोदी
इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी तमिलनाडु के धनुषकोडी स्थित अरिचल मुनाई पॉइंट जाएंगे. कहा जाता है कि ये वही जगह है, जहां से राम सेतु का निर्माण शुरू हुआ था. इसके बाद प्रधानमंत्री श्री कोठंडारामा स्वामी मंदिर भी जाएंगे. इसके बारे में कहा जाता है कि यहीं पर भगवान राम पर पहली बार विभीषण से मिले थे. इससे पहले भी प्रधानमंत्री अपने दक्षिण भारत के दौरे पर रामायण काल से जुड़े महत्वपूर्ण जगहों के दर्शन कर चुके हैं. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अयोध्या में वापसी होगी जहां सोमवार को बहु प्रतीक्षित प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होना है.


रामायण से जुड़े तीर्थों का दर्शन कर रहे हैं पीएम मोदी


इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री के हालिया मंदिरों के दर्शन पर नजर डालें तो एक खास रामायण कनेक्शन नजर आता है. महाराष्ट्र के पंचवटी से तमिलनाडु के धनुषकोडी तक प्रधानमंत्री के हालिया चार राज्यों के दौरे पर गौर करें तो रामायण काल से जुड़ी प्रमुख घटनाओं की झलक देखने को मिलेगी. प्राण प्रतिष्ठा के लिए सप्ताह व्यापी अनुष्ठान के पहले दिन महाराष्ट्र के पंचवटी में स्थित कलाराम मंदिर गए थे. वनवास काल में यही वो जगह थी, जहां पर भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी ने अपना अधिकांश समय बिताया था. यहीं से रावण ने माता सीता का हरण किया था. 


जटायु ने जहां किया था रावण से युद्ध वहां भी गए
पंचवटी के बाद प्रधानमंत्री मोदी दक्षिण की ओर आगे बढ़ते हुए 16 जनवरी को आंध्र प्रदेश के लेपाक्षि में स्थित वीरभद्र मंदिर गए. लेपाक्षि का रामायण से खास संबंध है. दरअसल जब रावण माता सीता का अपहरण कर के लए जा रहा था तब गिद्ध राज जटायु की उन पर नजर पड़ी. इसी जगह पर माता-पिता को बचाने के लिए जटायु ने रावण से युद्ध किया था. रामायण में इस बात का जिक्र है कि रावण ने जटायु के पंखों को काट दिया था. कहा जाता है कि जटायु के पंख लेपाक्षि में ही गिरे थे. जब राम सीता माता को ढूंढते हुए वहां पहुंचे तब जटायु ने ही उन्हें माता सीता के हरण की जानकारी देते हुए आगे की दिशा की जानकारी दी थी. 


वीर हनुमान और माता सीता की अशोक वाटिका से जुड़े मंदिर में दर्शन
लेपाक्षि के बाद प्रधानमंत्री मोदी केरल के त्रिप्रयार स्थित श्रीरामास्वामी मंदिर गए थे. यहां होने वाली कुछ खास पूजा रामायण से जुड़ी है. 'वेदी वजीपदु' के नाम से एक पूजा की जाती है, जो हनुमान जी के लंका में सीता माता से भेंट के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. इसके साथ ही मंदिर में एक 'चकयार कुथु' के नाम से एक कला की प्रस्तुति की जाती है, जिसमें रामायण के 'अंगुलियांगम' अध्याय का मंचन किया जाता है. 'अंगुलियांगम' में अशोक वाटिका में माता सीता और हनुमान जी की भेंट और सीता जी द्वारा संदेश के तौर भगवान राम के लिए दी गई अंगूठी का वर्णन किया गया है. 


तमिलनाडु के समुद्र तट पर रामायण से जुड़े मंदिरों की यात्रा
श्री रामास्वामी मंदिर के बाद प्रधानमंत्री का अगला पड़ाव तमिलनाडु के त्रीचि में स्थित रंगनाथस्वामी मंदिर रहा. इस मंदिर का भी रामायण काल और भगवान राम और विभीषण के भेंट से संबंध है. रंगनाथस्वामी मंदिर के बाद प्रधानमंत्री मोदी चार धामों में से एक रामेश्वरम पहुंचे. यहां उन्होंने श्रीरामनाथस्वामी मंदिर में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की है. रामेश्वरम के रामायण कनेक्शन से तो हम सब परिचित हैं. रामायण के अनुसार, जब लंका की ओर जाने के लिए राम सेतु का निर्माण हो रहा था तो उससे पहले भगवान राम ने यहां शिवलिंग स्थापित कर भोलेनाथ की आराधना की थी. 


अंतिम पड़ाव में अयोध्या वापसी


इसके बाद रविवार को प्रधानमंत्री मोदी आज तमिलनाडु के धनुषकोडी स्थित अरिचल मुनाई पॉइंट  और श्री कोठंडारामा स्वामी मंदिर जाएंगे. पंचवटी से शुरू कर के रामायण काल और उससे जुड़ी घटनाओं से जुड़े महत्वपूर्ण मंदिरों के दर्शन करने के बाद अब प्रधानमंत्री मोदी 22 जनवरी को अयोध्या वापसी करेंगे. यहां रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होगी. इस दिन का इंतजार पूरे देश को है.


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