Project Cheetah: जन्मदिन के मौके पर PM मोदी ने कूनो नेशनल पार्क में छोड़े चीते, खुद कैमरे में कैद की खास तस्वीरें
Cheetah From Namibia: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के मौके पर देश को बड़ा तोहफा दिया है. उन्होंने नामीबिया से मंगवाए गए चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ दिया है.
PM Modi News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में दो चीतों को छोड़ दिया है. छह चीते पहले ही छोड़े जा चुके थे. इन सभी चीतों को कूनो पार्क के अंदर विशेष बाड़ों में रखा गया है. सभी चीतों को नामीबिया से भारत लाया गया. आठ चीतों में से 5 मादा की उम्र 2 से 5 साल के बीच, जबकि नर चीतों की आयु 4.5 साल से 5.5 साल के बीच है. 1952 में चीते को भारत में विलुप्त घोषित किया गया था.
दक्षिण अफ्रीका की सरकार रखेगी नजर
'अफ्रीकन चीता इंट्रोडक्शन प्रोजेक्ट इन इंडिया' 2009 में शुरू हुआ था. भारत ने चीतों के आयात के लिए नामीबिया सरकार के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे. चीतों में किसी तरह का कोई संक्रमण न हो इसके लिए गांवों के अन्य मवेशियों का भी टीकाकरण किया गया है.
चीतों के लिए 5 वर्ग किलोमीटर का एक विशेष घेरा बनाया गया है. दक्षिण अफ्रीका की सरकार और वन्यजीव विशेषज्ञ इन पर नजर रखेंगे. चीतों को भारतीय मौसम से लेकर यहां के माहौल में ढलने में एक से तीन महीने का वक्त लग सकता है.
#WATCH | Prime Minister Narendra Modi releases the cheetahs that were brought from Namibia this morning, at their new home Kuno National Park in Madhya Pradesh.
— ANI (@ANI) September 17, 2022
(Source: DD) pic.twitter.com/CigiwoSV3v
आखिर नामीबिया से ही क्यों मंगवाए गए चीते?
हिमालय वाला इलाका छोड़ दिया जाए तो कोई ऐसी जगह नहीं थी जहां भारत में चीते ना पाए गए हों. ईरान अफगानिस्तान में तो अभी भी एशियाई चीते पाए जाते हैं. साउथ अफ्रीका के नामीबिया से चीते इसलिए आ रहे हैं क्योंकि वहां दिन और रात की लंबाई ठीक वैसी ही होती है जैसी कि हिंदुस्तान में है और यहां का तापमान भी अफ्रीका से मिलता जुलता है.
मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में अधिकतम तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक रहता है जबकि न्यूनतम तापमान 6 से 7 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है, जो चीतों के लिए मुफीद है. विंध्याचल पर्वत श्रृंखला पर बसा मध्य प्रदेश का कूनो नेशनल पार्क एमपी के श्योपुर और मुरैना जिले में पड़ता है. साल 2018 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया था.
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