पीएम मोदी ने नए संसद भवन की नींव रखने के बाद अपने संबोधन में भगवान बसवेश्वर को किया याद, जानें उनसे जुड़ी खास बातें
नये संसद भवन की नींव रखने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में भगवान बसवेश्वर को याद किया. संत बसवेश्वर की महानता से लोग परिचित हैं. उन्होंने लोकतंत्र के लिए अपना पूरा जीवन खपा दिया.
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नई दिल्ली: संत बसवेश्वर का जन्म 1131 ईसवी में बागेवाडी में हुआ था. ब्राह्मण परिवार में जन्मे बसवेश्वर के पिता का नाम मादरस और माता का नाम मादलाम्बिके था. 8 साल की उम्र में बसवेश्वर या उपनयन संस्कार हुआ. लेकिन विद्रोही बालमन इस परंपरा में नहीं टिका और उन्होंने उस धागे को तोड़ घर त्याग दिया. बसवेश्वरा लिंगायत के प्रमुख धर्मस्थल कुदालसंगम पहुंचे, जहां उन्होंने सर्वांगिण शिक्षा हासिल की.
बाद के दिनों में संत बसवेश्वर कल्याण पहुंचे जहां उस समय कलचुरी साम्राज्य के शासक बिज्जाला का शासन (1157-1167 ईसवी) था. बसवेश्वर के ज्ञान का सम्मान करते हुए कलचुरी साम्राज्य में उन्हें कर्णिका का पद दिया गया. बाद में वह अपने प्रशासकीय कौशल के बदौलत राजा बिज्जाला के प्रधानमंत्री बने. लेकिन बसवेश्वर को असल चिंता समाज की बिगड़ी हुई सामाजिक-आर्थिक दशा की थी. समाज में गरीब-अमीर की खाई लगातार चौड़ी हो रही थी. छुआछूत का व्यापक असर था. लैंगिक भेदभाव वाले समाज में महिलाओं का जीवन नारकीय बना हुआ था.
उनके लेखन और दर्शन ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव की शुरुआत की
बसवेश्वर ने इन सभी बुराइयों के खिलाफ जंग छेड़ दी. सोशलिस्ट विचारों के आरंभिक प्रणेता के रूप में बसवेश्वर के एक महान सुधारक बनकर उभरे. उनके लेखन और दर्शन ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव की शुरुआत की. उन्होंने अपने अनुभवों को एक गद्यात्मक-पद्यात्मक शैली में 'वचन' के रूप में लिखा. बसवेश्वर ने वीरशैव लिंगायत समाज बनाया, जिसमें सभी धर्म के प्राणियों को लिंग धारण कर एक करने की कोशिश की. बसवेश्वर ने सबसे पहले मंदिरों में व्याप्त भ्रष्टाचार और कुरीतियों को निशाना बनाया, जहां ईश्वर के नाम पर अमीर गरीबों का शोषण कर रहे थे. उनके महत्वपूर्ण कार्यों के लिए उनके युग को 'बसवेश्वर युग' का नाम दिया गया. बसवेश्वर को 'भक्तिभंडारी बसवन्न', 'विश्वगुरु बसवण्ण' और 'जगज्योति बसवण्ण' के नाम से भी जाना जाता है.
उन्होंने समाज को जोड़ने का अभूतपूर्व काम किया
कर्नाटक में लिंगायतों की संख्या सबसे अधिक है ऐसे में यहां बसवेश्वर को भगवान का दर्जा दिया गया है. कर्नाटक चुनाव के दौरान भी बसवेश्वर को कई बार याद किया गया. 2018 के लंदन दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बसवेश्वर जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की थी, लिंगायत समुदाय के दार्शनिक बसवेश्वर जी की उस दिन जयंती थी. जिसके बाद मोदी ने कहा था कि भगवान बसवेश्वर ने लोकतंत्र के लिए अपना पूरा जीवन खपा दिया और समाज को जोड़ने का अभूतपूर्व काम किया. लोकतंत्र, सामाजिक चेतना और नारी सशक्तिकरण के लिए किये गए भगवान बसवेश्वर के प्रयास हम सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं.
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