नई दिल्ली: देश में जानलेवा कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. अमेरिकी डेटा इंटेलिजेंस फर्म 'मॉर्निंग कंसल्ट' की तरफ से किए गए एक सर्वे के मुताबिक, स्वीकार्यता के मामले में पीएम मोदी अब भी विश्व के बाकी नेताओं की तुलना में नंबर वन हैं. बड़ी बात यह है कि दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन टॉप 5 में भी नहीं हैं.
पीएम मोदी की ग्लोबल अप्रूवल रेटिंग सबसे ज्यादा 66 फीसदी
सर्वे के मुताबिक, पीएम मोदी की ग्लोबल अप्रूवल रेटिंग 66 फीसदी है. सर्वे में वह अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्राजील, फ्रांस और जर्मनी सहित 13 देशों के अन्य नेताओं से बेहतर बने हुए हैं. सर्वे के मुताबिक, पीएम मोदी के बाद इटली के प्रधानमंत्री मारियो ड्रैगी का नंबर आता है, जिनकी अप्रूवल रेटिंग 65 फीसदी है. वहीं तीसरी नंबर मैक्सिको के राष्ट्रपति लोपेज ओब्रेडोर हैं, जिनकी रेटिंग 63 फीसदी है.
जानिए किस नेता को कितनी रेटिंग मिली है-
- भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी- 66 फीसदी
- अटली के प्रधानमंत्री मारियो ड्रैगी 65 फीसदी
- मैक्सिकन राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर 63 फीसदी
- ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन 54 फीसदी
- जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल 53 फीसदी
- अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन 53% फीसदी
- कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो 48 फीसदी
- ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन 44 फीसदी
- दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जे-इन 37 फीसदी
- स्पेन के पेड्रो सांचेज़ 36% फीसदी
- ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो 35 फीसदी
- फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन 35 फीसदी
- जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा 29 फीसदी
डेटा इंटेलिजेंस फर्म 'मॉर्निंग कंसल्ट' को जानिए
अमेरिकी डेटा कंपनी ‘मॉर्निंग कंसल्ट’ भारत, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, मैक्सिको, दक्षिण कोरिया, स्पेन, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य में सरकारी नेताओं के लिए अप्रूवल रेटिंग को ट्रैक करती है. यह हर देश में वयस्क निवासियों के सात-दिवसीय मूविंग औसत पर आधारित होती हैं. हालांकि इसका सैंपल साइज हर देश के मुताबिक अलग होता है.
यह भी पढ़ें-
Corona Cases: 58 दिन बाद कोरोना से 2 हजार से कम हुई मौत, लगातार चौथे दिन आए 70 हजार से कम केस
कोरोना की तीसरी लहर का कितना होगा असर? एम्स ने WHO के साथ मिलकर की रिसर्च