PM Modi : वैंकेया नायडू के विदाई समारोह में बोले पीएम मोदी- 'मुझे नहीं लगता इनकी विदाई संभव है'
Farewell Ceremony : वैंकेया नायडू के विदाई समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ऐसा नहीं लगता कि वैंकेया नायडू की विदाई संभव है. वह हर पल, हर किसी के बीच रहते हैं.
PM Modi News : वैंकेया नायडू के विदाई समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी तारीफ करते हुए कहा कि उनमें कई सारी विशेषताएं हैं. इसीलिए इनकी विदाई संभव नहीं है. क्योंकि वह हर पल, हर किसी के बीच रहते हैं. 11 तारीख के बाद वह अनुभव करेंगे कि किसी न किसी का उनके पास फोन आएगा. कोई उनका अनुभव मांगेगा तो कोई कुछ न कुछ पूछेंगे. वह हर पल सक्रिय रहते हैं. यही उनकी विशेषता रही है.
क्षमताओं का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब वह पार्टी संगठन का काम करते थे. अटल जी की सरकार बनी. मंत्री मंडल की रचना हो रही थी. संगठन के काम के चलते वैंकेया नायडू के साथ अधिक संवाद रहता था.
इस दौरान वैंकेया नायडू ने कहा कि वैसे तो प्रधानमंत्री का अंतिम निर्णय रहता है. कौन मंत्री बनेगा, किसको क्या काम मिलेगा. कौन कहां रहेगा. लेकिन यहां वैंकेया नायडू चाहते थे कि उन्हें ग्रामीण विकास मंत्रालय का काम मिले. वह तामझाम वाला ग्लैमरस विभाग नहीं चाहते थे. यानी कि उनका पैशन देखने लायक था. वह साउथ के वरिष्ठ नेता थे. मत्री बनना तय था. अटल जी ने उनका सम्मान किया.
वैंकेया नायडू ने ग्रामीण विकास देखा. इसके साथ ही शहरी विकास मंत्रालय भी देखा. विकास के दोनों प्रमुख पहलुओं में अपनी उन्होंने महारथ दिखाई. वह शायद ही ऐसे पहले व्यक्ति थे जो उप राष्ट्रपति थे, राज्य सभा के सदस्य भी रहे.
सदन में विपक्षी मित्रों को परेशान करता था अनुभव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सदन में क्या चलता है. इसके बारे में भली भांति सब कुछ जानते थे. सभापति होने के बावजूद उन्हें यह यह पता रहता था कि आज सदन में क्या होगा. उनका अनुभव विपक्षी मित्रों के लिए परेशानी का कारण बनता था. सदन को और अधिक मजबूत बनाना और सांसद का बेस्ट फर्मोर्मेंस लेने की इन्हें चिंता रहती थी.
उनके अनुभवों से सीखना ही होगी बड़ी सेवा
प्रधानमंत्री ने सदन का जिक्र करते हुए कहा कि वह ऐसे व्यक्ति थे. जिन्हें सदन की सबसे ज्यादा चिंता रहती थी. राजी-नाराजगी व्यक्त करते हुए उन्होंने सुधार का प्रयास किया. उन्हें एक सांसद के नाते जो अपेक्षाएं रहती थीं. उन सलाह को हम यादगार बनाएंगे. उनके अनुभवों से सीखना ही बड़ी सेवा होगी.
टेली यात्रा करते थे वैंकेया नायडू
पीएम मोदी ने कहा,'' वैंकेया नायडू कोरोना काल में सुबह टेलीफोन डायरी लेकर बैठते थे. पिछले 50 साल में जिन जिन लोगों से संबंध हुआ. उसमें वरिष्ठ लोगों को फोन करते थे. उनका हालचाल पूछना, कोरोना के कारण कोई तकलीफ तो नहीं जानकारी प्राप्त करना और हो सके तो उनकी मदद करना दैनिक जीवन का हिस्सा था. दूर सुदूर इलाकों में कार्यकर्ताओं को जब उनका फोन पहुंचता था तो वह ऊर्जा से भर जाते थे. शायद ही किसी सांसद को वैंकेया नायडू ने फोन न किया हो. वैक्सीनेशन के बारे में न पूछा हो. वो कभी हमसे अलग हो ही नहीं सकते है.''
इमरजेंसी लैंडिग के दौरान मिले किसान परिवार से आज भी करते हैं बातचीत
प्रधानमंत्री ने बिहार की इमरजैंसी लैंडिंग घटना का जिक्र करते हुए कहा कि किन्हीं कारणों से अचानक उनका हेलकॉप्टर बिहार के एक गांव में उतारना पड़ा. उनकी सुरक्षा को लेकर खतरा था. यहां एक किसान मिला. जो उन्हें मध्य प्रदेश पुलिस तक लेकर गया. यूं तो वैंकेया नायडू बहुत बड़े व्यक्ति हैं, लेकिन आज भी उस किसान परिवार से उनका जीवंत नाता है. यानी कि बिहार के दूर सुदूर उस गांव में आज भी किसान परिवार से फोन पर वैंकेया नायडू बातचीत करते रहते हैं. इसीलिए वह हमेशा सक्रिय साथी के रूप में रहेंगे. उनका अनुभव काम आता रहेगा. वह अब नई जिम्मेदारी की तरफ आगे बढ़ रहे हैं.
पांच सालों की कमी की करेंगे भरपाई
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब उनको पार्टी से इस्तीफा देना था तो वह भावुक हो गए ते. उन्होंने कहा था कि सालों से पार्टी में योगदान दे रहे हैं. अब इसे इस्तीफा देना पड़ेगा. लेकिन मुझे लगता है कि पांच साल की पार्टी को जो कमी हुई है. वह जरूर भरपाई कर देंगे. सारे साथियों को प्रेरित करना, उत्साहित करना आदि कार्य निरंतर जारी रहेंगे.
मातृभाषा को प्रतिष्ठित करने के लिए किया है कार्य
प्रधानमंत्री के अनुसार वैंकेया नायडू ने मातृभाषा को प्रतिष्ठित करने का प्रयास कार्य किया है. हमें भी उनसे सीखना चाहिए.
भाषिणी बदली है भाषा, डिक्शनरी में जोड़े जाएंगे हिंदी के नए शब्द
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैंकेया नायडू के भाषा के कार्य में अपना योगदान देने के लिए एक विचार प्रकट किया. उन्होंने बताया कि एक भाषा से दूसरी भाषा में कंटेंट को परिवर्तित करने के लिए भाषिणी वेबसाइट लांच की है. यह एक अच्छा टूल है. वैंकेया नायडू की विदाई पर एक विचार आ रहा है. क्यों न डिक्शनरी में नए शब्द जोड़ने की परंपरा शुरू की जाए. मातृभाषा के भाषण में कई लोगों के पास से बहुत बढ़िया शब्द निकलते हैं. जो अन्य भाषा के लोगों के लिए बड़ा तारतम्य लगता है. अच्छा लगता है. इस तरह के नए शब्दों का संग्रह करते चलें और हर वर्ष हम सभी अच्छे शब्दों का संग्रह प्रदर्शित करें. शब्दों को आगे बढ़ाएंगे तो वैंकेया नायडू जी की बातें आगे बढ़ाएंगे.
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