नई दिल्ली: पीएम मोदी ने आज देश को कोरोना काल में पांचवी बार संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि आज से हर भारतवासी को अपने लोकल के लिए ‘वोकल’ बनना है. पीएम मोदी ने कहा,''आज से हर भारतवासी को अपने लोकल के लिए ‘वोकल’ बनना है. न सिर्फ लोकल प्रोडक्ट खरीदने हैं, बल्कि उनका गर्व से प्रचार भी करना है.मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा देश ऐसा कर सकता है.''


उन्होंने आगे कहा,''साथियों, आत्मनिर्भरता,आत्मबल और आत्मविश्वास से ही संभव है. आत्मनिर्भरता, ग्लोबल सप्लाई चेन में कड़ी स्पर्धा के लिए भी देश को तैयार करती है.'' उन्होंने कहा, ''अब रिफॉर्म के उस दायरे को व्यापक करना है. नई ऊंचाई देनी है. ये रिफॉर्मस खेती से जुड़ी पूरी सप्लाई चेन में होंगे, ताकि किसान भी सशक्त हो और भविष्य में कोरोना जैसे किसी दूसरे संकट में कृषि पर कम से कम असर हो.''


पीएम मोदी ने कहा,'' कोरोना संकट का सामना करते हुए, नए संकल्प के साथ मैं आज एक विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा कर रहा हूं. ये आर्थिक पैकेज, 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' की अहम कड़ी के तौर पर काम करेगा. हाल में सरकार ने कोरोना संकट से जुड़ी जो आर्थिक घोषणाएं की थीं. जो रिजर्व बैंक के फैसले थे और आज जिस आर्थिक पैकेज का ऐलान हो रहा है. उसे जोड़ दें तो ये करीब-करीब 20 लाख करोड़ रुपए का है.


आत्मनिर्भर भारत के लिए पीएम मोदी ने आर्थिक पैकेज की घोषणा की. इस दौरान उन्होंने कहा,''आत्मनिर्भर भारत की ये भव्य इमारत, पांच पिलर्स पर खड़ी होगी. पहला पिलर इकॉनॉमी एक ऐसी इकॉनॉमी जो इक्रिमेंटल चेंज नहीं बल्कि क्वांटम जंप लाए दूसरा पिलर इफ्रास्ट्रकचर, एक ऐसा इफ्रास्ट्रकचरजो आधुनिक भारत की पहचान बने. तीसरा पिलर हमारा सिस्टम, एक ऐसा सिस्टम जो बीती शताब्दी की रीति-नीति नहीं, बल्कि 21वीं सदी के सपनों को साकार करने वाली तकनीक व्यवस्थाओं पर आधारित हो. चौथा पिलर हमारी डेमोग्राफी, दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी में हमारी डेमोग्राफी हमारी ताकत है, आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारी ऊर्जा का स्रोत है. पांचवां पिलर डिमांड, हमारी अर्थव्यवस्था में डिमांड और सप्लाई चेन का जो चक्र है. जो ताकत है, उसे पूरी क्षमता से इस्तेमाल किए जाने की जरूरत है.''


उन्होंने कहा,'' विश्व की आज की स्थिति हमें सिखाती है कि इसका मार्ग एक ही है, आत्मनिर्भर भारत.'' भारत जब आत्मनिर्भरता की बात करता है तो आत्मकेंद्रित व्यवस्था की वकालत नहीं करता. भारत की आत्मनिर्भरता में संसार के सुख, सहयोग और शांति की चिंता होती है.''