Uniform Civil Code Row: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (27 जून) को यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) की वकालत करते हुए विपक्षी दलों पर तीखा हमला बोला. पीएम मोदी (PM Modi) ने विरोधी दलों से सवाल पूछा कि दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा. उन्होंने साथ ही आरोप लगाया कि इस मुद्दे पर मुसलमानों को भड़काया जा रहा है. पीएम मोदी के इस बयान के बाद देश में सियासी घमासान मच गया है. जानिए इस मसले से जुड़ी बड़ी बातें. 


1. पीएम मोदी मध्य प्रदेश के भोपाल में बीजेपी की ओर से आयोजित 'मेरा बूथ, सबसे मजबूत' कार्यक्रम में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने यूसीसी पर कहा कि हम देख रहे हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है. एक घर में एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे के लिए दूसरा तो घर चल पायेगा क्या? तो ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा. 


2. प्रधानमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बार बार कहा है कि 'कॉमन सिविल कोड' लाओ, लेकिन वोट बैंक की राजनीति करने वाले इसका विरोध कर रहे हैं. देश में दो प्रणालियां कैसे हो सकती हैं. बीजेपी ने तय किया है कि वह तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति के बजाए संतुष्टिकरण के रास्ते पर चलेगी. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय मुसलमानों को यह समझना होगा कि कौन से राजनीतिक दल उन्हें भड़काकर उनका फायदा लेने के लिए उनको बर्बाद कर रहे हैं. 


3. उन्होंने कहा कि ये लोग (विपक्ष) हम पर आरोप लगाते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि वे मुसलमान, मुसलमान करते हैं. अगर वे वास्तव में मुसलमानों के हित में काम कर रहे होते, तो मुस्लिम परिवार शिक्षा और नौकरियों में पीछे नहीं होते. पीएम मोदी ने कहा कि कुछ लोगों की ओर से अपनाई गई तुष्टीकरण की नीति देश के लिए विनाशकारी है. 


4. पीएम के इस बयान के बाद वे विपक्षी दलों के नेताओं के निशाने पर आ गए. एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा कि प्रधानमंत्री को यह समझने की जरूरत है कि अनुच्छेद 29 एक मौलिक अधिकार है, मुझे लगता है प्रधानमंत्री को यह समझ नहीं आया. संविधान में धर्मनिरपेक्षता की बात है. इस्लाम में शादी एक कॉन्ट्रैक्ट है, हिंदुओं में जन्म-जन्म का साथ है. क्या आप सबको मिला देंगे? भारत की विविधता को वे एक समस्या समझते हैं. 


5. कांग्रेस के तारिक अनवर ने एएनआई से कहा कि जब कोई कानून बनता है तो वह सभी के लिए होता है और उन्हें उसका पालन करना होता है. फिर उस बिल पर चर्चा करने की क्या जरूरत है जो पहले ही पारित हो चुका है? पीएम मोदी ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि चुनाव सामने हैं और उन्होंने देश के लिए कुछ नहीं किया है. 


6. कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पीएम मोदी बरोजगारी, गरीबी, मंहगाई, मणिपुर के हालात पर बात क्यों नहीं करते हैं. मणिपुर 60 दिनों से जल रहा है, एक बार भी उन्होंने शांति की अपील नहीं की. इन सब मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए वे ऐसी बातें कर रहे हैं. 


7. जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि समान नागरिक संहिता एक ऐसा विषय है जिसपर सभी राजनीतिक दलों को, सभी हितधारकों को बात करनी चाहिए. बीजेपी सिर्फ वोट बैंक की राजनीति करती है जिससे धार्मिक ध्रुवीकरण हो. कांग्रेस नेता और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारी सदस्य आरिफ मसूद ने कहा कि प्रधानमंत्री को याद रखना चाहिए कि उन्होंने डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की ओर से तैयार किए गए संविधान की शपथ ली है. देश के सभी वर्गों को संविधान पर भरोसा है और वे इसे बदलने नहीं देंगे.


8. इस मामले पर डीएमके नेता टीकेएस एलंगोवन ने कहा कि समान नागरिक संहिता सबसे पहले हिन्दू धर्म में लाई जानी चाहिए. एससी/एसटी सहित प्रत्येक व्यक्ति को देश के किसी भी मंदिर में पूजा करने की अनुमति दी जानी चाहिए. हम यूसीसी नहीं चाहते क्योंकि संविधान ने हर धर्म को सुरक्षा दी है. 


9. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सवाल किया कि यदि ये लागू हुआ तब आदिवासियों की संस्कृति और परंपराओं का क्या होगा. बीजेपी हमेशा हिंदू-मुस्लिम दृष्टिकोण से क्यों सोचती है? छत्तीसगढ़ में आदिवासी हैं. उनकी रूढ़ियों और उनके नियमों का क्या होगा, जिनके माध्यम से उनका समाज संचालित होता है. यदि समान नागरिक संहिता लागू हो गया तो उनकी परंपरा का क्या होगा.


10. विपक्षी नेताओं के विरोध के बीच पीएम मोदी के बयान का केंद्रीय मंत्रियों ने स्वागत किया है. केंद्रीय मंत्री वी. मुरलीधरन ने कहा कि पीएम मोदी ने विशेष रूप से कहा कि संविधान यह निर्धारित करता है और अदालतें एक तरह से कह रही हैं कि समान नागरिक संहिता लागू किया जाना चाहिए. वहीं केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि समान नागरिक संहिता देश में आना चाहिए. ये महिलाओं से जुड़ा हुआ सवाल है इसलिए इसके लिए जो भी करना होगा भारत सरकार वह करेगी.


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