PM Modi New Target To BJP: साल 2023 भारत की राजनीति में काफी कुछ बदल सकता है. एक तरफ कांग्रेस पूरे दमखम के साथ 'भारत जोड़ो यात्रा' कर खुद को रिवाइव करने की कोशिश कर रही है तो वहीं बीजेपी (BJP) ने सभी राज्यों में परचम लहराने का टारगेट रखा है. बीजेपी ने 2023 में होने वाले 9 राज्यों के विधानसभा चुनावों और 2024 के आम चुनाव को लेकर रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है. प्रधानमंत्री ने भी बीजेपी की सीनियर लीडरशिप से लेकर जमीनी स्तर के कार्यकर्ता के लिए टारगेट सेट कर दिया है. 


पीएम नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में बीजेपी की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी में प्रमुख भूमिका निभाई और पार्टी को विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए नया टारगेट दिया. पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं और नेताओं से कहा कि सभी बिना किसी चुनावी लाभ की लालसा लिए हाशिए पर पड़े लोगों तक पहुंचे. उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदायों सहित समाज के हर तबके तक अपनी पहुंच बनाएं.


ये है मोदी का नया मंत्र!


रिपोर्ट्स के मुताबिक, BJP की राष्ट्रीय कार्यकारिणी को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे पसमांदा, बोहरा, मुस्लिम पेशेवरों और शिक्षित मुसलमानों तक पहुंचें. उन्होंने कार्यकर्ताओं से ये भी कहा कि वोट की उम्मीद के बदले हर तबके तक पहुंचना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए. ऐसा माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री अब इन समुदायों के बीच विश्वास पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.


पसमांदा मुसलमों के सहारे चुनाव जीतने का प्लान?


उल्लेखनीय है कि बीजेपी ने उत्तर प्रदेश और बिहार के पसमांदा मुसलमानों के लिए एक आउटरीच कार्यक्रम भी शुरू किया था. बीजेपी की कोशिश थी कि केंद्र की यभी योजनाओं का फायदा इस तबके तक भी पहुंचना चाहिए. वहीं, साल 2022 के जुलाई महीने में भी बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई थी और उस दौरान भी प्रधानमंत्री ने इसी लाइन पर भाषण दिया था. 


मोदी ने कार्यकर्ताओं को दी वॉर्निंग!


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक तरफ बीजेपी के लिए नया टारगेट सेट किया है तो वहीं उन्होंने राजनीतिक समीकरण को देखते हुए कार्यकर्ताओं को आगाह भी किया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीएम मोदी ने अति-आत्मविश्वास की किसी भी भावना के खिलाफ पार्टी को आगाह किया है.


प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में दिग्विजय सिंह की नेतृत्व लाली सरकार का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार अलोकप्रिय होने के बावजूद 1998 में मध्य प्रदेश का चुनाव जीत गई थी और बीजेपी को हार मिली थी. मोदी उस समय मध्य प्रदेश के संगठनात्मक मामलों के मास्टरमाइंड हुआ करते थे.


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