पीएम मोदी की सिंगापुर यात्रा में हो सकती हैं ये अहम डील, विदेश मंत्रालय ने बताया
विदेश मंत्रालय के सचिव ने बताया कि भारत-सिंगापुर के रिश्ते पिछले 10-15 सालों में और भी अधिक तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. सिंगापुर के लिए भारत में और भारत के लिए सिंगापुर में अनेक विकल्प मौजूद हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सिंगापुर यात्रा से पहले विदेश मंत्रालय ने सोमवार (2 सितंबर, 2024) को कहा कि भारत-सिंगापुर के बीच एक गतिशील रणनीतिक साझेदारी है, जिसमें साझा इतिहास और लोगों के बीच आपसी संपर्क जैसे विभिन्न क्षेत्र शामिल हैं, जो दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं.
प्रधानमंत्री मोदी सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग के आमंत्रण पर चार-पांच सितंबर को सिंगापुर की यात्रा पर जाएंगे. इससे पहले उनका तीन-चार सितंबर को ब्रुनेई का दौरा करने का कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य सभी मौजूदा क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करना है. विदेश मंत्रालय के सचिव (ईस्ट) जयदीप मजूमदार ने यहां प्रेस वार्ता में कहा कि भारत और ब्रुनेई रक्षा क्षेत्र में एक संयुक्त कार्य समूह स्थापित करने की दिशा में काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी करीब छह साल बाद सिंगापुर की यात्रा करने वाले हैं.
पीएम मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में सिंगापुर की यात्रा की थी. मजूमदार ने कहा कि सिंगापुर ने प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में उनकी यात्रा का स्वागत किया है. उन्होंने कहा, 'यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब सिंगापुर में नए नेता ने सत्ता संभाली है और यह हमारे जीवंत द्विपक्षीय संबंधों के अगले चरण के लिए मंच तैयार करने का उपयुक्त समय है.'
उन्होंने कहा, 'हमारे व्यापार और निवेश में लगातार वृद्धि देखी गई है, हमारे बीच मजबूत रक्षा सहयोग है और संस्कृति तथा शिक्षा क्षेत्र में आदान-प्रदान बढ़ रहा है. हमने भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज ढांचे के तहत अपनी साझेदारी के नए क्षेत्रों की पहचान की है.' हाल में आयोजित दूसरे भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय राउंडटेबल सम्मेलन में भारत के चार मंत्रियों ने भाग लिया था.
उन्होंने कहा कि राउंडटेबल सम्मेलन के दौरान दोनों पक्षों के मंत्रियों ने नए महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर चर्चा की, जिन्हें हम सहयोग के भविष्य के क्षेत्रों के रूप में चिह्नित कर सकते हैं. मजूमदार ने कहा, 'डिजिटलीकरण, सतत कौशल, स्वास्थ्य, उन्नत विनिर्माण और कनेक्टिविटी में सहयोग के कई नए, भविष्य के क्षेत्रों की पहचान की गई. प्रधानमंत्री की आगामी यात्रा के दौरान कई समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान होने की संभावना है.'
सिंगापुर दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के संगठन (ASEAN) में भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है और यह देश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का एक प्रमुख स्रोत है. मजूमदार ने कहा कि सिंगापुर दुनिया भर में भारत का छठा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है और पिछले वित्त वर्ष के दौरान यह 11.77 अरब अमरीकी डॉलर मूल्य का एफडीआई का सबसे बड़ा स्रोत था. उन्होंने कहा, 'हमें उम्मीद है कि यह यात्रा (सिंगापुर की) सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देगी.'
विदेश मंत्रालय के सचिव ने कहा, 'भारत-सिंगापुर संबंध पिछले 10-15 वर्षों की तुलना में और भी अधिक तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि हम खाद्य सुरक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, सेमीकंडक्टर समेत द्विपक्षीय सहयोग के क्षेत्रों की पहचान करने के अगले स्तर पर पहुंच गए हैं. ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां हमारे बीच बहुत समानताएं हैं.' उन्होंने कहा कि सिंगापुर के लिए भारत में अपार अवसर हैं और भारत के लिए सिंगापुर में अनेक विकल्प मौजूद हैं, चाहे वह मूल्य श्रृंखला हो, डिजिटल प्रौद्योगिकी हो या सेमीकंडक्टर.
प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान सिंगापुर में कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (CEO) और अन्य व्यापारिक नेताओं के साथ बातचीत होगी। उन्होंने कहा, 'यह यात्रा हमारे राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर भी होगी, जिसे हम 2025 में मनाएंगे, तथा सिंगापुर के साथ यह हमारी रणनीतिक साझेदारी का दसवां वर्ष भी होगा.' पीएम मोदी की ब्रुनेई यात्रा भारत के प्रधानमंत्री की उस देश की पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी. यह यात्रा भारत और ब्रुनेई के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना के 40 वर्ष पूरे होने का भी प्रतीक होगी.
सुल्तान हाजी हसनल बोल्किया के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री मोदी तीन-चार सितंबर को ब्रुनेई की यात्रा पर जाने वाले हैं. ब्रुनेई भारत की एक्ट ईस्ट नीति और हिंद-प्रशांत के उसके दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण साझेदार है.विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस यात्रा से ब्रुनेई के साथ रक्षा सहयोग, व्यापार और निवेश, ऊर्जा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सहयोग, क्षमता निर्माण, संस्कृति के साथ-साथ लोगों के बीच आदान-प्रदान सहित सभी मौजूदा क्षेत्रों में हमारा सहयोग और मजबूत होगा और नए क्षेत्रों में सहयोग के अवसर तलाशे जाएंगे.
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