PM Modi On Udhayanidhi Stalin: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (4 मार्च, 2024) को तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन को उनकी 'सनातन धर्म को समाप्त करने' वाली टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट से मिली कड़ी फटकार का जिक्र किया.
प्रधानमंत्री मोदी ने चेन्नई में एक जनसभा में डीएमके नेता पर तंज कसते हुए कहा कि करोड़ों लोगों की आस्था का अपमान करना 'वंशवाद की पहचान' है, जिन लोगों को जनता की भावनाओं की परवाह नहीं है, वे तमिलनाडु सरकार में अहम पदों पर बैठे हैं. पीएम मोदी ने कहा कि आज हमने देश की शीर्ष अदालत को डीएमके परिवार के एक सदस्य से कठिन सवाल पूछते देखा.
कांग्रेस, डीएमके और 'इंडिया' अलायंस पर पीएम मोदी का निशाना
पीएम मोदी ने यह भी कहा, ''कांग्रेस, डीएमके (DMK) और इंडी गठबंधन से जुड़ी पार्टियां भ्रष्टाचार और परिवारवादी पार्टियां हैं. इनके लिए अपना परिवार ही सब कुछ है, भ्रष्टाचार ही सब कुछ है. इंडी गठबंधन के भ्रष्ट नेताओं को संरक्षण देने वाले एक फैसले को आज सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया है. मैं इस फैसले का स्वागत करता हूं. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद इंडी अलायंस में मातम छाया हुआ है क्योंकि इंडी अलायंस को रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार और देश की व्यवस्थाओं को करप्ट करने के अलावा और कुछ आता ही नहीं है.''
दरअसल, पिछले साल सितंबर में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना 'डेंगू' और 'मलेरिया' से की थी. इस बयान को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था. उदयनिधि ने यह भी कहा था कि इसका न केवल विरोध किया जाना चाहिए, बल्कि 'उन्मूलन' भी किया जाना चाहिए.
मंत्री की टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट दिखा सख्त
उदयनिधि स्टालिन ने कहा था कि सनातन धर्म सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है और इसे मिटा देना चाहिए. इस टिप्पणी पर सुनवाई के दौरान सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रूख अपनाया और उनको फटकार लगाई, साथ ही बेहद ही सख्त लहजे में सवाल किए गए.
आपको परिणाम पता होना चाहिए- सुप्रीम कोर्ट
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने स्टालिन से कहा कि आपने अनुच्छेद 19(1)ए और 25 के तहत अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है और फिर ऐसा करके आप सुप्रीम कोर्ट क्यों आए हैं?
शीर्ष अदालत ने कहा, ''आपको एहसास होना चाहिए था कि आपने क्या कहा है, आप एक मंत्री हैं, कोई आम आदमी नहीं. आपको परिणाम पता होना चाहिए.'' बेंच ने कहा कि अब आप अनुच्छेद 32 के तहत अपने अधिकार का प्रयोग (सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के लिए) कर रहे हैं. जस्टिस खन्ना ने स्टालिन को हाई कोर्ट जाने की सलाह दी.
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