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पीएम ने ज्यादा उम्र के अफसरों को विकास में माना बाधक, नौजवान अफसरों पर जताया भरोसा
संसद के सेंट्रल हॉल में पीएम नरेंद्र मोदी ने विकास के मुद्दे पर पिछड़े जिलों के 101 सांसदों-विधायकों से बात की. उन्होंने जिले में तैनात ज्यादा उम्र के अफसरों को विकास में बाधक माना और नौजवान अफसरों पर भरोसा जताया.
नई दिल्ली: संसद के सेंट्रल हॉल में पीएम नरेंद्र मोदी ने विकास के मुद्दे पर पिछड़े जिलों के 101 सांसदों-विधायकों से बात की. उन्होंने जिले में तैनात ज्यादा उम्र के अफसरों को विकास में बाधक माना और नौजवान अफसरों पर भरोसा जताया. उन्होंने कहा,"अगर सब बच्चों को शिक्षा मिलती है तो ये सामाजिक न्याय की दिशा में एक कदम हुआ, सभी घरों को बिजली मिलती है तो सामाजिक न्याय का और एक कदम हुआ. हमें देश में बैकवर्ड की प्रतिस्पर्धा नहीं करनी है, देश में फॉर्वर्ड की प्रतिस्पर्धा करनी है."
पीएम ने कहा,"जब हम सामाजिक न्याय की बात करते हैं तो समाज की अवस्था तक सीमित रहते हैं. जब एक घर में बिजली है और बराबर वाले घर में बिजली नहीं है तो क्या ये जिम्मेदारी नहीं बनती कि वहां भी बिजली होनी चाहिए. अगर 5 जिलों का विकास हुआ है और तीन का विकास नहीं हुआ है तो इसका अर्थ ये है कि उन तीन को भी 5 के बराबर लाया जा सकता है. अगर राज्य के कुछ जिले बहुत अच्छा कर रहे हैं तो इसका मतलब है कि राज्य के अंदर पोटेंशल है." प्रधानमंत्री ने कहा,"संसाधन अगर दो जिलों के लिए या दो राज्यों के लिए बराबर हैं और फिर भी एक आगे है और दूसरा पीछे तो कारण क्या है? कारण संसाधन नहीं गवर्नेंस है. लीडरशिप, इंपलीमेंटेशन आदि भी कारण हो सकते हैं. आम तौर पर जिलाधिकारियों की औसत उम्र 30-35 होती है. 40-45 की उम्र के अफसर के पास कई चिंताएं होती हैं. स्टेट कैडर के प्रमोटी ऑफिसर को ही अक्सर बैकवर्ड जिलों में भेजा जाता है. मैं इस बारे में मुख्यमंत्रियों से चर्चा कर रहा हूं." विकास के मुद्दों को लेकर सांसदों, विधायकों और विधान पार्षदों के इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन को 'वी फॉर डेवलपमेंट' की थीम पर रखा गया. इसका आयोजन संसद के केंद्रीय कक्ष में किया गया है. संसदीय समूह की ओर से आयोजित इस सम्मेलन का मकसद देश भर के सांसदों, विधान पार्षदों और विधायकों को अपने अनुभव साझा करने, एक दूसरे से सीखने और टिकाऊ विकास के लक्ष्यों और विकास के मुद्दों पर नजरिया विकसित करने के लिए एक मंच प्रदान करना है. सम्मेलन उन प्रतिनिधियों को खास अवसर प्रदान करता है जिनके क्षेत्रों में विकास की बड़ी संभावनाएं व आकांक्षाएं हैं. लोकसभा सचिवालय ने हर राज्य से छह विधायकों और तीन विधान पार्षदों को आमंत्रित किया है. लोकसभा अध्यक्ष ने बताया कि कुछ राज्यों से अधिक विधायक सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. हाल ही में नई सरकार बनाने वाले राज्य त्रिपुरा, मेघालय व नागालैंड और तेलंगाना सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले रहे हैं. पिछले साल 2017 में पहला राष्ट्रीय सम्मेलन 'वुमैन लेजिस्लेटर्स : बिल्डिंग रिसर्जेट इंडिया' विषय आयोजित हुआ था.
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अनिल चमड़ियावरिष्ठ पत्रकार
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