Sickle Cell Anemia Eradication Mission 2047: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (1 जुलाई) को मध्य प्रदेश में एक पोर्टल का अनावरण कर राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन 2047 की शुरुआत की. साथ ही उन्होंने इस बीमारी को खत्म करने के लिए इसके प्रबंधन के लिए दिशा निर्देश और इसकी निगरानी के लिए कई मॉड्यूल भी जारी किए. इस कार्यक्रम के दौरान पीएम ने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत लगभग 3.57 करोड़ डिजिटल कार्ड और एक करोड़ से अधिक पीवीसी आयुष्मान भारत कार्ड भी वितरित किए.


पीएम मोदी ने एमपी के शहडोल में कहा कि पूरी दुनिया में 'सिकल सेल एनीमिया' के जितने मामले होते हैं, उनमें से आधे अकेले हमारे देश में होते हैं, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि पिछले 70 वर्षों में कभी इसकी चिंता नहीं हुई. इससे निपटने के लिए कोई ठोस प्लान नहीं बनाया गया. प्रधानमंत्री ने कहा ये बीमारी मुख्य रूप से आदिवासी समुदायों को प्रभावित करती है. हम सब मिलकर अभियान चलाकर इस सिकल सेल एनीमिया से देश को मुक्ति दिलाएंगे. आपको बताते हैं सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन-2047 और इस बीमारी के बारे में.


सिकल सेल एनीमिया क्या है?


सिकल सेल एनीमिया एक रक्त विकार (ब्लड डिसऑर्डर) है जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलता रहता है. ये बीमारी माता-पिता से ही बच्चे में आती है. ये पूरे शरीर में ऑक्सीजन ले जाने के लिए जिम्मेदार लाल रक्त कोशिकाओं (रेड ब्लड सेल) को प्रभावित करता है. सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित इंसान को रक्त प्रवाह में कमी या रुकावट का सामना करना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप कई लक्षण दिखाई देते हैं जो आम तौर पर छह महीने की उम्र के आसपास नजर आते हैं. 


ये हैं इस सिकल सेल एनीमिया के लक्षण


सिकल सेल एनीमिया के लक्षणों में हाथ, पैर और जोड़ों में दर्द, ऑस्टियोपोरोसिस, बार-बार पीलिया, लीवर में सूजन, मूत्राशय में रुकावट/दर्द और पित्ताशय की पथरी शामिल हैं. ये बीमारी शरीर में ऑक्सीजन फ्लो को बाधित करती है, जिससे थकान और पूरे शरीर में दर्द होता है. इस बीमारी से पीड़ित लोगों को सिकल सेल कैरियर या सिकल रोगी के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है. 


क्या है सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन?


राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन (एनएससीएईएम) की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से केंद्रीय बजट 2023 में की गई थी. इसका उद्देश्य विशेष रूप से आदिवासी आबादी के बीच सिकल सेल रोग से उत्पन्न गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करना है. इसका लक्ष्य प्रभावित आदिवासी क्षेत्रों में 0-40 वर्ष की आयु के लगभग 7 करोड़ लोगों के बीच जागरूकता पैदा करके और जांच करके सिकल सेल एनीमिया को खत्म करना है. 


इन राज्यों में किया जाएगा लागू 


यह मिशन गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, असम, उत्तर प्रदेश, केरल, बिहार और उत्तराखंड सहित 17 राज्यों के 278 जिलों में लागू किया जाएगा. बीजेपी सरकार ने इस मिशन का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी ली है. पीएम मोदी ने इसे प्राथमिकता वाली पहल घोषित किया है. पीएम ने 2047 तक देश को इस बीमारी के बोझ से मुक्ति दिलाने का लक्ष्य रखा, जिस वर्ष भारत अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा. 


पीएम मोदी ने क्या कहा?


पीएम ने कहा कि ये बीमारी परिवारों को बिखेर देती है. ये न पानी से होती है, न हवा से और न भोजन से फैलती है. ये आनुवंशिक बीमारी है यानी माता-पिता से ही बच्चे में आती है. उन्होंने कहा कि सिकल सेल एनीमिया से मुक्ति का ये अभियान अमृत काल का प्रमुख मिशन बनेगा. मुझे पूर्ण विश्वास है कि जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा यानी 2047 तक हम सब मिलकर एक मिशन मोड में अभियान चलाकर इस सिकल सेल एनीमिया से अपने आदिवासियों और देश को मुक्ति दिलाएंगे. 


(इनपुट पीटीआई से भी)


ये भी पढ़ें- 


West Bengal: शिक्षक भर्ती घोटाले में ED ने टीएमसी नेता सायोनी घोष को किया तलब, पहले भी हुई थी पूछताछ