Unifrom Civil Code: पीएम मोदी के समान नागरिक संहिता (UCC) पर दिए बयान के बाद देश में इसे लेकर राजनीति गर्म है. मंगलवार (27 जून) को भोपाल में पीएम मोदी ने देश में समान नागरिक संहिता की वकालत करते हुए विपक्षी दलों पर निशाना साधा था. पीएम मोदी ने कहा था दो कानून होने से घर नहीं चलता है, ऐसे में दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा. पीएम मोदी के बयान पर हमला बोलते हुए कांग्रेस ने इसे विभाजनकारी राजनीति बताया था. वहीं. कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने यूसीसी को लेकर देश और परिवार की तुलना को गलत बताया है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबर ने ट्वीट कर लिखा, माननीय प्रधानमंत्री ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की वकालत करते हुए राष्ट्र को परिवार के बराबर बताया है. सामान्य रूप से देखने पर ये तुलना सही लग सकती है, लेकिन वास्तविकता बहुत अलग है.
चिदंबरम ने बताया देश और परिवार में अंतर
चिदंबरम ने परिवार और राष्ट्र में अंतर बताते हुए लिखा, एक परिवार खून के रिश्तों से एक धागे में बंधा होता है, जबकि एक राष्ट्र संविधान के तहत एक साथ आता है, जो एक राजनीतिक-कानूनी दस्तावेज है. उन्होंने आगे कहा, यहां तक कि परिवार में भी विविधता होती है. भारत के संविधान ने भारत के लोगों के बीच विविधता और बहुलता को मान्यता दी है.
यूसीसी को थोपा नहीं जा सकता- चिदंबरम
चिदंबरम ने कहा, समान नागरिक संहिता इच्छा है. इसे किसी एजेंडे के तहत बहुसंख्यक सरकार के जरिए लोगों के ऊपर थोपा नहीं जा सकता है. पीएम मोदी ये दिखाने की कोशिश करनी चाहिए कि यूसीसी एक सामान्य प्रैक्टिस है. उन्हें पिछले विधि आयोग की रिपोर्ट पढ़नी चाहिए, जिसमें कहा गया है कि इस समय ये संभव नहीं है.
यूसीसी से बढ़ेगा विभाजन- चिदंबरम
कांग्रेस नेता ने लिखा, भाजपा की कथनी और करनी के कारण आज देश बंटा हुआ है. लोगों पर यूसीसी थोपना इस विभाजन को केवल और बढ़ाएगा. उन्होंने लिखा, यूसीसी के पक्ष में प्रधानमंत्री का मजबूती से बोलने का उद्येश्य मुद्रास्फीति, बेरोजगारी, हेट क्राइम, भेदभाव और राज्यों के अधिकारियों को नकारने से ध्यान भटकाना है, जिससे लोगों को सतर्क रहना होगा.
उन्होंने लिखा, बीजेपी सुशासन देने में फेल हो चुकी है, जिसके बाद अगला चुनाव जीतने और वोटर्स का ध्रुवीकरण करने के लिए यूसीसी का मुद्दा लेकर आई है.
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