PM Narendra Modi on Ease of Justice: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शनिवार को प्रथम अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (All India District Legal Services Authorities) के उद्घाटन समारोह में शिरकत की. यहां पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease of Doing Business) और ईज ऑफ लिंविंग (Ease of Living) की तरह ही ईज ऑफ जस्टिस (Ease of Justice) भी जरूरी है.
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, ''आपने इस तरह के आयोजन के लिए जो समय चुना है, वो सटीक भी है और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण भी है. आज से कुछ ही दिन बाद देश अपनी आजादी के 75 साल पूरे कर रहा है. यह समय हमारी आजादी के अमृत काल का है, यह समय उन संकल्पों का है जो अगले 25 वर्षों में देश को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे. देश की इस अमृतयात्रा में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और ईज ऑफ लिविंग की तरह ही ईज ऑफ जस्टिस भी उतना ही जरूरी है.''
पीएम मोदी ने आगे कहा कि आप सब यहां संविधान के विशेषज्ञ और जानकार हैं. हमारे संविधान के आर्टिकल 39A, जो राज्य नीति के निदेशात्मक सिद्धांत के अंतर्गत आता है, उसने कानूनी सहायता को बहुत प्राथमिकता दी है. न्याय का यह भरोसा हर देशवासी को यह अहसास दिलाता है कि देश की व्यवस्थाएं उसके अधिकारों की रक्षा कर रही हैं. इसी सोच के साथ देश ने राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण की स्थापना भी की.
"समाज के लिए न्याय प्रणाली के साथ जस्टिस भी जरूरी"
कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ''किसी भी समाज के लिए न्याय प्रणाली तक पहुंच जितनी जरूरी है, उतनी ही जरूरी जस्टिस डिलीवरी भी है. इसमें एक अहम योगदान जुडिशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर का भी होता है. पिछले आठ वर्षों में देश के जुडिशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए तेज गति से काम हुआ है ताकि कमजोर से कमजोर व्यक्ति को भी न्याय का अधिकार मिल सके. इसे आधुनिक बनाने के लिए 9,000 हजार करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं. ई कोर्ट्स मिशन के तहत देश में वर्चुअल कोर्ट शुरू किए जा रहे हैं. ट्रैफिक वायलेशन जैसे अपराधों के लिए 24 घंटे चलने वाली कोर्ट ने काम करना शुरू कर दिया है. लोगों की सुविधा के लिए कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार भी किया जा रहा है.
पीएम ने विचाराधीन कैदियों की रिहाई के लिए कही यह बात
इसी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यायपालिका से आग्रह किया कि वह विभिन्न कारागारों में बंद एवं कानूनी मदद का इंतजार कर रहे विचाराधीन कैदियों की रिहाई की प्रक्रिया में तेजी लायए.प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘कारागारों में कई विचाराधीन कैदी कानूनी मदद मिलने का इंतजार कर रहे हैं. हमारे जिला विधिक सेवा प्राधिकरण विचाराधीन कैदियों को कानूनी सहायता मुहैया कराने की जिम्मेदारी ले सकते हैं.’’
मोदी ने सम्मेलन में भाग लेने वाले जिला न्यायाधीशों से आग्रह किया कि वे विचाराधीन मामलों की समीक्षा संबंधी जिला-स्तरीय समितियों के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यालयों का उपयोग करके विचाराधीन कैदियों की रिहाई में तेजी लाएं. प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ने इस मामले में एक अभियान शुरू किया है. उन्होंने बार काउंसिल ऑफ इंडिया से इस प्रयास में और अधिक वकीलों को जोड़ने का आग्रह किया.
यह भी पढ़ें- Explainer: एयरफोर्स की ताकत कहलाने वाला Mig-21 कैसे बन गया उड़ता ताबूत? कारगिल युद्ध में निभाई थी अहम भूमिका