Tamil Nadu Politics: कर्नाटक को अगर छोड़ दें तो दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में बीजेपी अपनी जमीन तलाशने में जुटी हुई है. वो चाहे तेलंगाना, तमिलनाडु हो या फिर केरल. इन तीनों ही राज्यों में राज्यों में केंद्र की सत्ता में मौजूद बीजेपी अपने पैर जमाने की कोशिश कर रही और इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार दक्षिण के राज्यों का दौरा कर रहे. पहले तेलंगाना फिर तमिलनाडु का दौरा करने के बाद पीएम मोदी कर्नाटक में हैं.


तेलंगाना में तो के. चंद्रशेखर राव ने पीएम मोदी का बॉयकाट ही कर दिया और उनसे दूरी बनाए रखी तो वहीं तमिलनाडु में इसके उलट तस्वीर देखने को मिली. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पीएम मोदी के साथ गर्मजोशी से मिले. चेन्नई हवाई अड्डे के नए टर्मिनल के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री कुछ समय के लिए स्टालिन का हाथ पकड़े नजर आए. इसके मायने उस वक्त बढ़ जाते हैं जब दोनों पार्टियों के बीच तनातनी चल रही हो.


कहानी बदली-बदली नजर आती है!


दरअसल, इन राजनीतिक हवाओं का रुख पुराने फॉर्मूले पर चलता दिख रहा है. तमिलनाडु में बीजेपी दो प्रमुख पार्टियों एआईएडीएमके और डीएमके दोनों के साथ गठबंधन में रह चुकी है. ऐसे में पीएम मोदी तमिलनाडु में बीजेपी को मजबूत करने के लिए इन दोनों ही पार्टियों से गठबंधन करने के लिए परहेज भी नहीं करेंगे. बात अगर राज्य की सत्ता में मौजूद डीएमके की करें तो उसकी नाराजगी उस तरह से नहीं दिखी, जिस तरह से तेलंगाना में केसीआर की पार्टी बीआरएस ने दिखाई. पीएम मोदी और एमके स्टालिन जिस तरह से एक-दूसरे मिले उससे कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.


हालांकि, एमके स्टालिन को साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस के नेतृत्व वाली विपक्षी एकता की पींगे बढ़ाते हुए देखा गया है. वहीं, पीएम मोदी के तमिलनाडु दौरे से कुछ दिन पहले ही सीएम स्टालिन ने एक चिट्ठी लिखकर राज्य में कावेरी डेल्टा इलाके में चिह्नित किए गए तीन कोयला खंडों को राष्ट्रीय नीलामी की सूची से हटा दिया जाए. इसके जवाब में केंद्र ने तुरंत कदम उठाते हुए सूची से तीनों इलाकों को हटा भी दिया.


इसके अलावा, एमके स्टालिन ने भी कहा कि एक देश के रूप में भारत तभी समृद्ध हो पाएगा जब राज्यों के विकास के लिए केंद्र से पैसा मिलेगा. तो पीएम मोदी ने तमिलनाडु के लिए 5 हजार करोड़ की नई परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी.


बीजेपी और डीएमके ने कब मिलाया हाथ?


साल 1999 में डीएमके एनडीए का हिस्सा रह चुका है. अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में डीएमके को शामिल करने में उस समय प्रमोद महाजन ने अहम भूमिका निभाई थी. ये गठबंधन साल 2004 तक चला था. दरअसल, डीएमके की ओर से मुरासोली मारन और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के करीबियों में से एक थे और उन्होंने ही इस गठबंधन की जमीन तैयार की थी.


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