'कांग्रेस के माथे पर लगा आपातकाल का पाप धुलने वाला नहीं है', लोकसभा में बोले PM मोदी
Parliament Winter Session: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दूसरे दिन कांग्रेस पर आपातकाल को लेकर जमकर हमला बोला. उन्होंने इसे संविधान निर्माताओं की तपस्या का अपमान बताया.
Parliament Winter Session: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी "आपातकाल के पाप को नहीं धो पाएगी". 1975 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए राष्ट्रीय आपातकाल का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने शनिवार को कहा कि जब संविधान के 25 साल पूरे हो रहे थे, तब उसे फाड़ दिया गया, क्योंकि नागरिकों के अधिकार छीन लिए गए थे.
पीएम मोदी ने कहा, "जब संविधान के 25 साल पूरे हो रहे थे, तब उसे फाड़ दिया गया, आपातकाल (1975 में) लगाया गया, सभी संवैधानिक अधिकार छीन लिए गए और देश को जेल में बदल दिया गया. नागरिकों के सभी अधिकार छीन लिए गए और मीडिया पर शिकंजा कसा गया. कांग्रेस इस दाग को कभी नहीं धो पाएगी."
गांधी परिवार तीखा हमला
प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पार्टी पर हमला करते हुए कहा, "मुझे संविधान पर अच्छी बहस की उम्मीद थी, लेकिन कुछ लोगों ने अपनी हार पर शोक मनाने का फैसला किया." गांधी परिवार पर अपने हमले को और भी तीखा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को नुकसान पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी."
आपातकाल को लेकर पीएम मोदी ने क्या कहा?
निचले सदन में प्रधानमंत्री मोदी ने दावा किया, "एक कांग्रेस परिवार ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करने के लिए संविधान को बदल दिया, इसने संविधान के संस्थापकों का अपमान किया. नेहरू ने मुख्यमंत्रियों को लिखा कि अगर संविधान आड़े आता है तो इसे बदल दिया जाना चाहिए." प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि गांधी परिवार के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने वर्षों तक "प्रतिबद्ध न्यायपालिका" की वकालत की और यहां तक कि आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी के फैसले के खिलाफ फैसला देने वाले न्यायमूर्ति एचआर खन्ना को "दंडित" भी किया.
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि संविधान को बदलने में पहले प्रधानमंत्री नेहरू के बोए गए बीज का अनुसरण इंदिरा गांधी ने किया और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया. इंदिरा गांधी ने न्यायपालिका पर कब्जा करने के लिए संविधान संशोधनों के माध्यम से अदालतों के पंख काट दिए.