Light Combat Helicopter: लंबे इंतजार के बाद आखिरकार देश को अपना पहला स्वदेशी अटैक हेलीकॉप्टर ‘लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर’ मिलने जा रहा है. कल यानी 19 नबम्बर को रानी लक्ष्मी बाई के जन्मदिवस के मौके पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वायुसेना को लाइट कॉम्बेट हेलीकॉप्टर सौपेंगे. आजादी के अमृत महोत्सव के तहत रक्षा मंत्रालय 17-19 नबम्बर तक झांसी में राष्ट्रीय रक्षा समर्पण पर्व मनाने जा रहा है. उसी के तहत देश के सशस्त्र सेनाओं के कई प्रगतिशील कार्यक्रम झांसी में आयोजित किए जा रहे हैं.
साल 2006 में मिली थी इस प्रोजेक्ट को मंजूरी
एलसीएच स्वदेशी अटैक हेलीकॉप्टर को करगिल युद्ध के बाद से ही भारत ने तैयार करने का मन बना लिया था, क्योंकि उस वक्त भारत के पास ऐसा अटैक हेलीकॉप्टर नहीं था, जो 15-16 हजार फीट की उंचाई पर जाकर दुश्मन के बंकर्स को तबाह कर सके. लेकिन इस प्रोजेक्ट को साल 2006 में मंजूरी मिली. पिछले 15 साल के कड़े परिश्रम के बाद जाकर ये लाइट कॉम्बेट हेलीकॉप्टर, एलसीएच तैयार हुआ है.
बता दें कि भारत ने भले ही हाल में अमेरिका से बेहद ही एडवांस अटैक हेलीकॉप्टर अपाचे खरीदे हों, लेकिन करगिल और सियाचिन की चोटियों पर अपाचे भी टेक ऑफ और लैंडिंग नहीं कर सकता है. लेकिन बेहद लाइट यानि हल्का होने और खास रोटर्स होने के चलते एलसीएच इतनी उंची चोटियों पर भी अपने मिशन्स को अंजाम दे सकता है.
हिंदुस्तान एरोनोटिक्स लिमिटेड ने किया तैयार
लाइट कॉम्बेट हेलीकॉप्टर, एलसीएच को देशवासियों और दुनिया से परिचय कराने के लिए एबीपी न्यूज की टीम सितंबर 2019 में बेंगलुरू से एचएएल की 'फैसेलिटी' पहुंची थी. क्योंकि एलसीएच को भारत के रक्षा-क्षेत्र की सबसे बड़ी और भरोसेमंद पब्लिक सेक्टर यूनिट, हिंदुस्तान एरोनोटिक्स लिमिटेड यानि एचएएल ने तैयार किया है. एचएएल की फैसेलिटी से ही एबीपी न्यूज संवाददाता ने एलसीएच हेलीकॉप्टर में एचएएल के टेस्ट पायलट के साथ उड़ान भरी थी. ये कोई साधारण उड़ान नहीं थी. इस मिशन के लिए टेस्ट पायलट को एक खास जिम्मेदारी सौंपी गई थी. जिम्मेदारी थी आसमान से अपने अटैक हेलीकॉप्टर से जमीन पर एक टारगेट को नेस्तानबूत करना. इसके लिए उन्हें आसमान में सिम्युलेट करना था यानि ट्रायल-टेस्ट करना था. क्योंकि इस अटैक हेलीकॉप्टर को आसमान से आग बरसाकर दुश्मन की सेना के टैंक हो या फिर आतंकियों के ठिकाने उन्हें तबाह करने के लिए ही तैयार किया गया है.
एलसीएच की खूबियां:
- लाइट कॉम्बेट हेलीकॉप्टर यानि एलसीएच हेलीकॉप्टर का वजन करीब 6 टन है, जिसके चलते ये बेहद हल्का है, जबकि अपाचे का वजन करीब 10 टन है. वजन कम होने के चलते ये हाई ऑल्टिट्यूड एरिया में भी अपनी मिसाइल और दूसरे हथियारों से लैस होकर टैकऑफ और लैंडिंग कर सकता है.
- एलसीएच अटैक हेलीकॉप्टर में फ्रांस से खास तौर से ली गईं 'मिस्ट्रल' एयर टू एयर यानि हवा से हवा में मार करने वाले मिसाइल और हवा से जमीन पर मार करने वाले मिसाइल लग सकती हैं.
- एलसीएच में 70 एमएम के 12-12 रॉकेट के दो पॉड लगे हुए हैं. इसके अलावा एलसीएच की नोज़ यानि फ्रंट में एक 20एमएम की गन लगी हुई है जो 110 डिग्री में किसी भी दिशा में घूम सकती है.
- पायलट के हेलमेट पर ही कॉकपिट के सभी फीचर्स डिसपिले हो जाते हैं.
एचएएल के अधिकारियों के मुताबिक, एलसीएच में इस तरह के स्टेल्थ फीचर्स हैं कि ये आसानी से दुश्मन की रडार में पकड़ नहीं आएगा. दुश्मन हेलीकॉप्टर या फाइटर जेट ने अगर एलसीएच पर अपनी मिसाइल लॉक की तो ये उसे चकमा भी दे सकता है. इसकी बॉडी आरमर्ड है जिससे उसपर फायरिंग का कोई खास असर नहीं होगा. यहां तक की रोटर्स यानि पंखों पर गोली का भी असर नहीं होगा. भारतीय वायुसेना के लिए पूरी तरह से तैयार करने से पहले इन स्वदेशी एलसीएच हेलीकॉप्टर्स का ट्रायल सियाचिन ग्लेशियर से लेकर राजस्थान के रेगिस्तान तक हो चुका है. इस दौरान एलसीएच में पर्याप्त मात्रा में फ्यूल से लेकर उसके हथियार भी लगे हुए थे.