नई दिल्ली: आज से 75 साल पहले नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिन्द फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार बनाई थी. इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज लाल किले पर तिरंगा फहराएंगे. आज के दिन लाल किले के भीतर सलीमगढ़ की इमारत इतिहास में अलग जगह रखती है. इस इमारत में आज़ाद हिंद फौज के तीन अफसरों कर्नल प्रेम सहगल, कर्नल गुरुबख्श सिंह ढिल्लन मेजर जनरल शाहनवाज़ खान पर 'लाल किला अभियोग' नाम से मशहूर मुकदमा चला था.
आज से 75 साल पहले 21 अक्टूबर 1943 के दिन सुभाष चंद्र बोस ने आज़ाद भारत की पहली अस्थाई सरकार बनाई थी. तब के देशों ने अस्थाई भारत सरकार को मान्यता भी दी थी. संस्कृति मंत्री डॉ महेश शर्मा ने कहा, ये ऐतिहासिक तारीख है. सुभाष चंद्र बोस ने आज़ाद हिंद फौज के ज़रिए जो लड़ाई लड़ी उसकी याद में प्रधानमंत्री यहां झण्डा फहराएंगे. ये हमारी गौरवशाली विरासत का हिस्सा है जिसे पहले की सरकारों ने भुला दिया था.
केंद्र सरकार की योजना लाल किले पर सुभाष चंद्र बोस के नाम पर एक संग्रहालय खोलने की भी है. इस संग्रहालय में आज़ाद हिंद फौज के इतिहास और भारत की आजादी में उसकी लड़ाई से जुड़ी स्मृतियों को सहेजा जाएगा. साथ ही एनिमेशन और हाईटेक लाइट एंड साउंड प्रोग्राम के ज़रिए बोस और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी गई लड़ाइयों को भी जीवंत किया जाएगा. इसी इमारत में बोस की स्मृतियों को सहेज कर रखा जाएगा.
ऐसे ही आज़ादी की पहली लड़ाई यानी 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में योगदान देने वाले शहीदों के नाम भी एक संग्रहालय बनाया जाएगा. साथ ही जलियावाला कांड की याद में भी यहां एक संग्रहालय बनाया जाएगा. ऐसे पांच संग्रहालय शहीदों को समर्पित किये जायेंगे. जनवरी तक इन संग्रहालयों को आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा. पुरातत्व विभाग की महानिदेशक उषा शर्मा का कहना है कि ये इमारतें ब्रिटिश काल की हैं. इन्हें सहेजने में बहुत वक्त लगा है. इन सभी इमारतों में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े संग्रहालय बनाये जायेंगे.
सुभाष चंद्र बोस और आज़ाद हिंद फौज की यादों को सहेजने के लिए पीएम मोदी अंडमान-निकोबार भी जाएंगे. पीएम इस यात्रा के दौरान सेलुलर जेल का भी निरक्षण करेंगे. जहां आज़ादी के परवानों को काला पानी की सज़ा देकर रखा जाता था. सुभाष चंद्र बोस के भारत की आज़ादी में बड़े योगदान के आयोजन में उनके परिवार के सदस्य भी शरीक होंगे.