नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 'प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेताओं' के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये बातचीत करेंगे. इस साल कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में 7 पुरस्कार, नवाचार के क्षेत्र में नौ पुरस्कार और शैक्षिक उपलब्धियों के क्षेत्र में 5 पुरस्कार प्रदान किए गए हैं. वहीं दूसरी तरफ खेल की श्रेणी में 7 बच्चों को, बहादुरी के लिए 3 बच्चों को और समाज सेवा के क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए एक बच्चे को सम्मानित किया गया.


बहादुरी के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल करने वाले बच्चों की कहानी


ज्योति कुमारी- बीमार पिता को गुरुग्राम से साइकिल से 1200 किलोमीटर बिहार लेकर गई
कोरोना संकट के बीच जब भारत के सभी मजदूर पैदल चलकर अपने अपने गांव पहुंच रहे थे तब बिहार की एक बहादुर लड़की ऐसी भी थी जो उस दौरान गुरूग्राम में अपने पिता के साथ फंसी थी. ज्योति कुमारी नाम की इस लड़की ने ये सोच लिया था कि वो अपने पिता को साइकिल के पीछे बिठाकर 1200 किलोमीटर बिहार में अपने गांव जाएगी. पिता के पैर का इलाज चल रहा था इसलिए पिता चल नहीं पाए. ऐसे में ज्योति अकेले दम पर ही अपने पिता को लेकर गांव पहुंच गई.


कुंवर दिव्यांश सिंह - जान पर खेलकर अपनी बहन को बैल से बचाया था
महज 13 साल की उम्र में उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में रहने वाले कुंवर दिव्यांश सिंह ने बहादुरी की ऐसी मिसाल पेश की बड़े बड़ों को सोच कर ही पसीना आ जाए. दिव्यांश ने एक बैल के हमले से ना सिर्फ अपनी छोटी बहन की जान बचाई बल्कि आठ और लोगों को भी बचाया. दरअसल दिव्यांश 31 जनवरी 2018 को अपनी बहन और आठ दूसरे बच्चों के साथ स्कूल से वापस लौट रहा था, इसी समय एक सांड ने उसकी बहन और बाकी बच्चों पर हमला कर दिया. अपनी छोटी बहन को संकट में देख दिव्यांश एक पल गंवाए बिना अपने स्कूल बैग को ही हथियार बनाकर सांड से भिड़ गया और आखिर में सांड को भगा दिया. कुंवर दिव्यांश को राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर कई पुरस्कार मिल चुके हैं और इनका चयन प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के लिए हुआ है.


कामेश्वर जगन्नाथ वाघमारे, नदी में डूबते हुए दो बच्चों की जान बचाई थी
कामेश्वर वाघमारे ने कंधार तालुका में घोडा गांव के पास नदी में डूबने वाले दो बच्चों की जान बचाई थी. उनकी बहादुरी के लिए उन्हें सरकार द्वारा प्रधान मंत्री राष्ट्रीय बाल बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. दरअसल तीन बच्चे नदी में नहाने के लिए पहुंचे थे. नहाते हुए तीन बच्चों नदी में बह गए. कामेश्वर ने तीनों बच्चों को बहते हुए देखा, इसके बाद अपनी जान की परवाह किए बिना नदी में कूद गया और दो बच्चों की जान बचा लिया. हालांकि वो एक को नहीं बचा पाया. कमलेश्वर का कहना है कि उन्हें एक बच्चे को ना बचा पाने का मलाल है.


राष्ट्रपति कोविंद ने भी बच्चों को बधाई दी
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार, 2021 न केवल विजेताओं को प्रेरित करेगा, बल्कि लाखों अन्य बच्चों को अपने सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने के वास्ते प्रोत्साहित करेगा. आइए हम सभी अपने देश को सफलता और समृद्धि की एक नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए अपने व्यक्तिगत प्रयास करें.’’


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