नई दिल्ली: इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोकस घरेलू चुनौतियों से निपटने पर ज्याादा होगा. नागरिकता कानून जैसे मुद्दों पर हो रहे राजनीतिक विरोध को शांत करने और अर्थव्यवस्था को पटरी लाने के लिए मोदी इस साल ज्यादा समय देने वाले हैं. उच्च सूत्रों के मुताबिक इस साल पीएम विदेश नीति के मद्देनजर केवल बहुपक्षीय सम्मेलनों में ही शिरकत करेंगे. इसके तहत रूस में होने वाले SCO समिट और ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. वहीं नवंबर में जी-20 सम्मेलन के लिए सऊदी अरब और ईस्ट एशिया समिट के लिए वियतनाम जाएंगे.
इन बहुपक्षीय सम्मेलनों के अलावा पीएम मोदी कुछ देशों की यात्रा करेंगे. जिसमें बांग्लादेश, रूस और चीन प्रमुख हैं. पीएम मोदी 17 मार्च से आयोजित होने वाले बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के जन्म शताब्दी समारोह के लिए बांग्लादेश का दौरा करेंगे. वहीं रूस में 9 मई को मनाए जाने वाले विक्ट्री डे परेड में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मॉस्को जाएंगे. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी इस परेड में भाग लेने आने वाले हैं.
बांग्लादेश और रूस के विशेष समारोह के अलावा नरेंद्र मोदी भारत और चीन के बीच होने वाले अनौपचारिक सम्मेलन के इस बार चीन जाएंगे. इससे पहले वह अक्टूबर 2019 में चीन के राष्ट्रपति अनौपचारिक सम्मेलन के लिए तमिलनाडु के मामल्लपुरम आये थे. भारत और जापान के बीच प्रत्येक वर्ष एक समिट होता है. बारी- बारी से दोनों देशों के प्रधानमंत्री इसमें भाग लेने के लिए एक दूसरे के देश मे जाते हैं.
साल 2019 में भारत-जापान वार्षिक सम्मेलन गुवाहाटी में होना था लेकिन एनआरसी और नागरिकता कानून के विरोध में पूर्वोत्तर में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों की वजह से जापान के पीएम का दौरा टल गया था. इसलिए वर्ष 2020 में पीएम मोदी के जापान जाने से पहले जापान के पीएम शिंजो आबे के भारत दौरे का कार्यक्रम बन सकता है.
जर्मनी के साथ भी भारत का एक सालाना सम्मेलन होता है जिसे Inter-Governmental Consultations (IGC) कहा जाता है. जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल 31 अक्टूबर - 1 नवंबर 2019 को भारत आईं थी, इस बार भारतीय प्रधानमंत्री के जर्मनी जाने की बारी है.
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