नई दिल्ली: कोरोना महामारी से निपटने में वाराणसी मॉडल की चर्चा देशभर में है. पीएम मोदी आज सुबह 11 बजे इस प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों से बात करेंगे. साथ ही शहर के डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ और अन्य फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत करेंगे.
प्रधानमंत्री पंडित राजन मिश्रा कोविड अस्पताल सहित वाराणसी में विभिन्न कोविड अस्पतालों के कामकाज की समीक्षा करेंगे, जिसे हाल ही में डीआरडीओ और भारतीय सेना के संयुक्त प्रयासों के माध्यम से शुरू किया गया था. वह जिले में गैर-कोविड अस्पतालों के कामकाज की भी समीक्षा करेंगे.
दरअसल, हाल ही में पीएम मोदी ने चक्रवात ताउते का निरीक्षण करने के लिए गुजरात का दौरा किया था. इस बीच पीएम मोदी ने अहमदाबाद में एक बैठक की अध्यक्षता की थी. इस बैठक में उन्होंने गुजरात सरकार से कहा कि आपको वाराणसी से सीखने की जरूरत है.
वाराणसी को कोविड के कहर से कैसे बचाया गया?
इसके बारे में पीएम मोदी ने गुजरात के सीएम, मंत्रियों समेत वहां मौजूद सीनियर अफसरों को बताया कि कोरोना की दूसरी लहर ने देखते ही देखते कोहराम मचा दिया था. अस्पताल में बेड से लेकर ऑक्सीजन को लेकर मारामारी मची थी. वाराणसी में भी लोगों को तरह-तरह की मुसीबतें झेलनी पड़ी. लेकिन उतना नहीं जितना बाकी देश को भुगतना पड़ा. वाराणसी मॉडल ने बनारस की जान बचा ली. वाराणसी के डीएम कौशलराज शर्मा का आइडिया चल निकला. कोरोना के दूसरी लहर के दस्तक देने से पहले ही उन्होंने काम शुरू कर दिया था. कौशलराज ने इलाके के व्यापारियों की बैठक बुलाई फिर उन्हें कोरोना कर्फ़्यू लगाने पर राजी कर लिया. कारोबारियों के साथ मिल कर वाराणसी के अलग-अलग इलाकों में बाजार बंद करने का फैसला हो गया.
योगी सरकार के वीकेंड लॉकडाउन के फैसले से पहले ही वाराणसी में ये सब लागू हो चुका था. यूपी से अलग यहां हर दिन दोपहर एक बजे तक बाजार बंद हो जाते हैं जबकि कोरोना कर्फ़्यू में जरूरी सामान वाली दुकानें खुले रखने के आदेश हैं. लेकिन वाराणसी में ऐसा नहीं हैं वहां की जनता और दुकानदारों ने मिलकर ये फैसला किया है. वीकेंड कर्फ़्यू में भी ऐसा ही होता है. जरूरी सामान की खरीद बिक्री के लिए दुकानें दोपहर में ही बंद कर दी जाती हैं. ये पहल दुकानदारों की तरफ से की गई है.
वाराणसी ने प्राइवेट अस्पतालों के लिए भी एक अलग मॉडल तैयार किया है. यूपी के बाकी जिलों में नोडल अफसर वाला सिस्टम है. एक सीनियर आईएएस अधिकारी या फिर जिले के डीएम को ही कोरोना का नोडल अफसर बनाया गया. हर उस प्राइवेट अस्पताल की जिम्मेदारी भी एक अधिकारी को दी गई जहां कोविड मरीजों का इलाका होता है. लेकिन वाराणसी का अपना मॉडल है यहां इनफोर्समेंट कमेटी बनाई गई जिसमें इनकम टैक्स, जीएसटी, सप्लाई और पुलिस विभाग और पुलिस के अफसरों को इस कमेटी का मेंबर बनाया गया.
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