नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज फिलिस्तीन के दिवंगत नेता यासर अराफात के मकबरे पर पुष्पचक्र चढ़ाया. फिलिस्तीन की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान यह मोदी का पहला कार्यक्रम था. भारत ने जब से फिलिस्तीन को एक देश के तौर पर मान्यता दी है इसके बाद यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली फिलिस्तीन यात्रा है. मोदी जॉर्डन की सेना के एक हेलीकॉप्टर में सवार होकर अम्मान से सीधा रामल्ला आए, जहां उनका स्वागत फिलिस्तीन के प्रधानमंत्री रामी हमदल्ला ने किया.


यासर अराफात के मकबरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
रामी हमदल्ला के साथ प्रधानमंत्री मोदी यासर अराफात के मकबरे पर गए. 10 नवंबर 2007 को इस मकबरे का अनावरण हुआ था और यह फिलिस्तीन के राष्ट्रपति भवन परिसर ‘मुकाटा’ के बगल में है. अराफात को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद प्रधानमंत्री ने हमदल्ला के साथ अराफात संग्रहालय की सैर की. यह संग्रहालय अराफात के मकबरे के पास ही है. साल 1929 में काहिरा में जन्मे अराफात का निधन 11 नवंबर 2004 को हुआ था. वह आठ साल तक फिलिस्तीन के राष्ट्रपति रहे थे.

यासर अराफात के निधन की सूचक है मकबरे की हर दीवार
मकबरे की हर दीवार की लंबाई 11 मीटर है और उनसे एक क्यूब बनता है. यह 11वें महीने की 11 तारीख को हुए यासर अराफात के निधन का सूचक है. अराफात के मकबरे के बगल में एक मीनार है जो 30 मीटर ऊंची है. मीनार के शीर्ष पर एक लेजर प्रणाली है जो यरूशलम की दिशा में रोशनी की बौछार करता है.

यासर अराफात को मिला था शांति का नोबेल
साल 1990 में फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) के प्रमुख ने इस्राइल से वार्ता की थी और 1993 में उन्होंने ओस्लो समझौता किया जिससे फिलिस्तीन को पश्चिमी तट और गजा पट्टी में स्वशासन प्राप्त हो सका. साल 1994 में यासर अराफात ने इजराइली नेता यित्झक राबिन और शिमोन पेरेज के साथ शांति का नोबेल पुरस्कार जीता.

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