JNU में PM मोदी ने किया स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण, कहा- राष्ट्रहित से बढ़ कर निजी विचारधारा नहीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा, राष्ट्रहित से बढ़कर निजी विचारधारा नहीं होनी चाहिए. राष्ट्र के साथ हमारी विचारधारा साथ होना चाहिए उसके खिलाफ नहीं.
नई दिल्ली: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राजधानी दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में स्वामी विवेकानंद की मूर्ति का अनावरण किया. प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मूर्ति का अनावरण किया. इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने खासकर युवाओं और छात्रों को संबोधित किया और उन्हें स्वामी विवेकानंद के आदर्शों पर चलने का संदेश दिया. प्रतिमा का अनावरण करने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा के उनकी ये कामना है कि ये प्रतिमा सभी को प्रेरित करे, साहस दे, करुणा भाव सिखाए, जो स्वामी जी की प्रतिमा के दर्शन का मुख्य आधार है.
पिछले साल 14 नवंबर को इस ही मूर्ति को लेकर तब विवाद उठा था जब प्रतिमा पर अपशब्द लिख दिए गए थे. प्रधानमंत्री ने स्वामी विवेकानंद के आदर्शो और सिद्धांतों से प्रेणा लेने की सलाह दी है.
"युवा छात्र जब प्रतिमा को देखेंगे तो भारत का सपना पूरा करने की प्रेरणा मिलेगी" प्रधानमंत्री मोदी ने कहा के ये प्रतिमा स्वामी विवेकानंद के संदेशों को जीवित रखेगी और ये एकजुटता की मिसाल बनेगी. देश के युवा छात्र जब इस प्रतिमा को देखेंगे तो उन्हें स्वामी जी के सशक्त सम्पूर्ण भारत का सपना पूरा करने की प्रेरणा मिलेगी. जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी की 50वीं वर्षघाट के अवसर पर और धनतेरस के त्योहार पर 13.3 फीट ऊंची स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का आवरण किया गया. इस कार्यक्रम में ऑनलाइन माध्यम से प्रधानमंत्री के साथ देश के शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी उपस्थित रहे.
प्रधानमंत्री मोदी दिल से स्वामी जी को याद करते हुए कहतें हैं, एक सन्यासी ने पूरी दुनिया को भारत का परिचय दिया. उनके पास एक उद्देश्य था वो जानते थे भारत दुनिया को क्या दे सकता है? भारत के विचारों और परम्पराओं को गौरवपूर्ण तरीके से पूरी दुनिया के सामने रखा.
स्वामी विवेकानंद की उपलब्धियों के बारे में पीएम मोदी कहते हैं कि मिशिगन यूनिवर्सिटी में भारत का एक सन्यासी घोषणा करता है. ये शताब्दी आप की है लेकिन 21 वीं शताब्दी भारत की है. इस शताब्दी में उनके सपने को साकार करना हमारा दायित्व है. भारत में नई चेतना का संचार किया था. आज देश आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य और संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है जो 130 करोड़ भारतियों को प्रेरित कर रहा है. आत्म निर्भर राष्ट्र तभी बनता है जब संसाधनों के साथ साथ सोच और संस्कारों में भी आत्म निर्भर बने.
"आप जेंटल मैंन क्यों नहीं बनते स्वामी जी" पीएम मोदी ने कहा, 'विदेश में स्वामी जी से पूछा गया कि आप जेंटल मैंन क्यों नहीं बनते. तब स्वामी जी ने कहा कि आपके लिए क्या ये एक टेलर तय करता है लेकिन हमारे लिए चरित्र तय करता है. देश का युवा ही ब्रांड एम्बेसडर है हमारे कल्चर का. आपको 21वीं सदी में भारत को नई पहचान देना है. इसी आत्म विश्वास से हमें आगे भविष्य बनाना है. अब सवाल ये है कि क्या अपने में ही विलीन होना आत्मनिर्भर होना है.
पीएम मोदी ने आगे कहा, स्वामी जी के जवाब में समझा जा सकता है कि जो व्यक्ति अपनी मां को स्नेह ना दे पाए वो दूसरो की मां की चिंता कैसे कर सकता है. हमारी आत्मनिर्भरता मानवता और पूरे संसार के कल्याण की सोच जुड़ी है. हर सेक्टर में सुधार आत्मनिर्भरता से जोड़े जा रहें हैं.
देश की जनता ने वोट के ज़रिए इन रिफॉर्म्स को अपनाया पीएम मोदी ने कहा, क्या भारत में गुड रिफार्म्स को बैड पॉलिटिक्स नहीं माना जाता था? तो फिर आज ये गुड रिफॉर्म्स गुड पॉलिटिक्स क्यों हो गई. क्योंकि आज हो रहे रिफॉर्म्स के साथ नियत और निष्ठा पवित्र है. एक सुरक्षा कवच तैयार किया जा रहा है जो विश्वास से जुड़ा है.
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, किसान के हित में जमीनी कदम सिमित थे हमने एक सुरक्षा तंत्र बेहतर विकसित किया. बेहतर बीज हो फसल बीमा हो, ऑनलाइन मार्किट की व्यवस्था हो. बीते सालों में एमएसपी को बढ़ाया गया. जब उनमें विश्वास बढ़ा उनकी अपेक्षाओं पर काम किया उन्हें ज्यादा विकल्प मिल रहें हैं. जिसका सीधा फायदा किसान को मिल रहा है. अब गरीबों को पक्का घर, बिजली, पानी, डिजिटल बैंकिंग, तेज इंटरनेट जैसी तमाम सुविधा मिल रही है.
नई एजुकेशनल पॉलिसी के खिलाफ जेएनयू में विरोध प्रदर्शन प्रधानमंत्री ने कहा कि देश का युवा दुनियाभर में ब्रांड इंडिया का ब्रांड एंबेसडर हैं. हमारे युवा भारत की संस्कृति और परंपराओं का प्रतिनिधित्व करते हैं. आपसे अपेक्षा सिर्फ हजारों सालों से चली आ रही भारत की पहचान पर गर्व करने भर की ही नहीं है, बल्कि 21वीं सदी में भारत की नई पहचान गढ़ने की भी है.
एक तरफ देश को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित कर रहे थे वहीं दूसरी ओर जेएनयू में ही प्रदर्शन भी चल रहा था. दरअसल यह प्रदर्शन नई एजुकेशन पॉलिसी के विरोध में था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा, राष्ट्रहित से बढ़कर निजी विचारधारा नहीं होनी चाहिए. राष्ट्र के साथ हमारी विचारधारा साथ होना चाहिए उसके खिलाफ नहीं. कई सारे उदाहरणों के साथ मोदी ने छात्रों को यह समझाने का प्रयास किया कि किस तरह से अलग अलग तरह की विचारधारा एक साथ एकजुट होकर जनहित में देश हित में काम कर सकती हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने आजादी और इमरजेंसी का भी जिक्र किया कि किस तरह से इन दोनों ही हालातों में अलग अलग विचारधारा से आई लू एक साथ एकजुट हो गए और अपनी आवाज बुलंद की. इमरजेंसी के दौरान भी यही एकजुटता देखने को मिली. प्रधानमंत्री कहते हैं कि जब देश में इमरजेंसी लागू हुई थी तब सभी पक्षों ने एकजुट होकर उसके खिलाफ आवाज बुलंद की थी और उसमें वह भी शामिल थे. उन्होंने कहा, कभी किसी को खुद की विचारधारा से समझौता नहीं करना चाहिए.
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