PM Modi US Visit: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीन दिवसीय यात्रा के लिए शनिवार (21 सितंबर 2024) को अमेरिका पहुंच गए. पीएम यहां यात्रा में क्वाड लीडर्स समिट और संयुक्त राष्ट्र के भविष्य के शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. उनका जोर अमेरिका और अन्य इंडो-पैसिफिक सहयोगियों के साथ भारत के दीर्घकालिक संबंधों को मजबूत बनाने पर होगा.


इस मौके पर 1990 के दशक में उनकी कम चर्चित अमेरिकी यात्रा का जिक्र करना दिलचस्प होगा, जब वह केवल के साधारण बीजेपी कार्यकर्ता थे. भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 1997 में विश्व हिंदू परिषद (VHP) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में अतिथि के रूप में शामिल होने के लिए अमेरिका गए थे.


गायब हो गया था बैग


कार्यक्रम में भाग लेने के बाद नरेंद्र मोदी अपने मेजबान के घर पर वापस लौटे तो उन्हें पता चला कि उनका बैग गायब हो गया. उस बैग में उनका पासपोर्ट, पैसे और कपड़े थे. यात्रा के दौरान तत्कालीन बीजेपी कार्यकर्ता मोदी के साथ रहे एनआरआई हीरूभाई पटेल इस घटना के बारे में बताते हैं, "तनावपूर्ण स्थिति के बावजूद नरेंद्र मोदी शांत रहे और सभी को चिंता नहीं करने के लिए कहा, जिससे दबाव में भी शांत रहने की उनकी क्षमता का पता चलता है."


इसके बाद अगले पांच दिन नए पासपोर्ट के इंतजार में नरेंद्र मोदी ने अपने मेजबान के घर पर बिताए. प्रस्थान करने से पहले उन्होंने अपने तात्कालिक खर्चों को पूरा करने के लिए कुछ डॉलर का कर्ज मांगा और भारत लौटने पर इसे चुकाने का वादा किया. अपने वचन के अनुसार, उन्होंने कुछ ही दिनों में भारत में अपने मेजबान के रिश्तेदारों को रीपेमेंट कर दी.


पीएम मोदी के कई अनसुने किस्से


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सादगीपूर्ण जीवनशैली के बारे में सभी जानते हैं. 1997 में उनकी अमेरिका यात्रा का एक अन्य उदाहरण इस बारे में जानकारी देता है. अटलांटा में रहने वाले एक एनआरआई गोकुल कुन्नाथ को याद है कि उन्होंने नरेंद्र मोदी को एक कार्यक्रम के लिए एयरपोर्ट से रिसीव किया था.


कुन्नाथ ने सोचा कि लंबे समय तक रुकने के लिए नरेंद्र मोदी के पास काफी सामान होगा. हालांकि, उन्हें हैरानी हुई कि वे केवल एक छोटे ब्रीफकेस के साइज जितने बैग के साथ पहुंचे. कुन्नाथ ने नरेंद्र मोदी से पूछा कि क्या उनका और सामान रास्ते में है, इस पर उन्होंने जवाब दिया, "कोई सामान नहीं है. यात्रा के लिए मेरे पास बस इतना ही है."


गुजरात के एक अमेरिकी व्यवसायी सीके पटेल के अनुसार, 1997 में डाउनटाउन लॉस एंजिल्स की यात्रा ने नरेंद्र मोदी पर गहरी छाप छोड़ी. यूएस बेस्ड बिजसनेसमैन ने कहा, "एक रात, मैं उन्हें डाउनटाउन लॉस एंजिल्स ले गया. उस दौरान, गिफ्ट सिटी की परिकल्पना आकार लेने लगी. नरेंद्र भाई ने गगनचुंबी इमारतों को देखा और कहा कि यह वह जगह है जहां अर्थव्यवस्था फलती-फूलती है, बैंक, कॉर्पोरेट कार्यालय और बड़े संस्थान शहर को आगे बढ़ाते हैं."


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