आम आदमी की तरह अचानक रकाबगंज गुरुद्वारा पहुंचे पीएम मोदी, यूं दिखे नतमस्तक
गुरु तेग बहादुर ने 17वीं शताब्दी के दौरान सिख धर्म का प्रचार किया था. साल 1975 में उन्होंने हंसते-हंसते प्राणों का बलिदान कर दिया था. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पंजाब के किसानों की ओर से चलाए जा रहे आंदोलन के बीच अचानक गुरुद्वारा पहुंचकर एक संदेश दिया है.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सुबह-सुबह अचानक दिल्ली के रकाबगंज गुरुद्वारे में पहुंच गए. उन्हें अचानक गुरुद्वारा परिसर में देखकर गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के लोग भी चौंक गए. उनके गुरुद्वारे जाने को लेकर न तो सड़कों पर सिक्योरिटी और न ही बैरेकेडिंग के इंतजाम किए गए थे. आम आदमी की तरह बिना किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुद्वारा पहुंचकर सभी को चौंका दिया. उन्होंने इस दौरान सिखों के नौवें गुरु तेगबहादुर जी को नमन करते हुए शांति का संदेश दिया. किसान आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री मोदी का अचानक गुरुद्वारा पहुंचने को महत्वपूर्ण घटनाक्रम माना जा रहा है.
गुरु तेगबहादुर ने धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया था. उनकी शहादत हर साल शहीदी दिवस के रूप में याद किया जाता है. बीते शनिवार को ही पूरे देश ने उनका शहीदी दिवस मनाया है.
This morning, I prayed at the historic Gurudwara Rakab Ganj Sahib, where the pious body of Sri Guru Teg Bahadur Ji was cremated. I felt extremely blessed. I, like millions around the world, am deeply inspired by the kindnesses of Sri Guru Teg Bahadur Ji. pic.twitter.com/ECveWV9JjR
— Narendra Modi (@narendramodi) December 20, 2020
कहीं कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के दौरान ध्यान रखा गया कि इस दौरान आम आदमी को किसी तरह की दिक्कत न हो. क्योंकि रविवार के दिन गुरुद्वारे में शीश नवाने जाने वालों की संख्या ज्यादा होती है. इसीलिए कहीं कोई सुरक्षा आदि की वैसी व्यवस्था नहीं हुई, जैसी आमतौर पर होती है.
गुरु तेग बहादुर ने 17वीं शताब्दी के दौरान सिख धर्म का प्रचार किया था. साल 1975 में उन्होंने हंसते-हंसते प्राणों का बलिदान कर दिया था. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पंजाब के किसानों की ओर से चलाए जा रहे आंदोलन के बीच अचानक गुरुद्वारा पहुंचकर एक संदेश दिया है. हालांकि, भाजपा नेताओं का कहना है कि यह शुद्ध आस्था का मामला है. इसे किसी और नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए.
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