ASEAN India Summit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने लाओस दौरे के दूसरे दिन 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में शामिल हुए. इस सम्मलेन में आसियान के 10 सदस्य देश और आठ साझेदार देश ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड, रूस और अमेरिका शामिल हुए. दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) की स्थापना 1967 में हुई थी.
इसमें इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपीन, सिंगापुर, थाईलैंड, भारत, वियतनाम, लाओस, कंबोडिया और ब्रुनेई दारस्सलाम सदस्य देशों में रूप में शामिल हैं. इस दौरान PM मोदी ने पूरी दुनिया से शांति की अपील की है. इसके अलावा उन्होंने हिंदी महासागर में चीन की दखलंदाजी पर निशाना साधा है.
'दक्षिण चीन सागर की शांति पूरे इंडो पैसिफिक क्षेत्र के हित में'
19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "भारत ने हमेशा ASEAN की एकता और केंद्रीयता का समर्थन किया है. ASEAN भारत के इंडो पैसिफिक विजन और क्वाड सहयोग के केंद्र में भी है. भारत की इंडो पैसिफिक महासागरों की पहल और इंडो पैसिफिक पर आसियान आउटलुक के बीच गहरी समानताएं हैं. एक स्वतंत्र, खुला, समावेशी, समृद्ध और नियम आधारित इंडो पैसिफिक पूरे क्षेत्र की शांति और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है. दक्षिण चीन सागर की शांति, सुरक्षा और स्थिरता पूरे इंडो पैसिफिक क्षेत्र के हित में है."
'ग्लोबल साउथ के देशों पर पड़ रहा है सबसे ज्यादा असर'
उन्होंने कहा, "19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "दुनिया के अलग अलग हिस्सों में चल रहे संघर्षों का सबसे ज्यादा नकारात्मक असर ग्लोबल साउथ के देशों पर पड़ रहा है. हर कोई चाहता है कि यूरेशिया हो या पश्चिम एशिया, जल्द से जल्द शांति और स्थिरता बहाल हो. मैं बुद्ध की धरती से आता हूं और मैंने बार बार कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है. समस्याओं का समाधान युद्ध के मैदान से नहीं निकल सकता. संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करना जरूरी है. मानवीय दृष्टिकोण रखते हुए संवाद और कूटनीति को प्राथमिकता देनी होगी. विश्वबधु का दायित्व निभाते हुए भारत इस दिशा में हरसंभव योगदान देता रहेगा."
'ASEAN के दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "हम म्यांमार की स्थिति पर ASEAN के दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं. हम पांच सूत्री सहमति का भी समर्थन करते हैं. साथ ही, हमारा मानना है कि मानवीय सहायता को बनाए रखना महत्वपूर्ण है और लोकतंत्र की बहाली के लिए भी उचित कदम उठाए जाने चाहिए. हमारा मानना है कि इसके लिए म्यांमार को शामिल किया जाना चाहिए, अलग थलग नहीं किया जाना चाहिए. पड़ोसी देश के रूप में भारत अपनी जिम्मेदारी निभाता रहेगा."
'टाइफून यागी से प्रभावित लोगों के प्रति व्यक्त की संवेदना
19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "मैं टाइफून यागी से प्रभावित लोगों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं. इस कठिन समय में, हमने ऑपरेशन सद्भाव के माध्यम से मानवीय सहायता प्रदान की है." बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के दौरान न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से मुलाकात की. प्रधानमंत्री मोदी ने तूफान मिल्टन के कारण हुई जनहानि पर सचिव ब्लिंकन को अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं.