PM Modi Jhansi Visit: उत्तर प्रदेश के झांसी में शुक्रवार को राष्ट्रीय रक्षा समर्पण दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय स्टार्टअप्स द्वारा डिजाइन और विकसित ड्रोन और यूएवी भी थलसेनाध्यक्ष को सौंपेंगे. भारतीय सेना ने विस्तृत परीक्षण और प्रयोगों के बाद भारतीय स्टार्टअप्स और कंपनियों से इन ड्रोन को खरीदने का फैसला किया है. भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा भारतीय मानव रहित विमान (यूएवी) की तैनाती भी भारतीय ड्रोन उद्योग पारिस्थितिकी तंत्र की सक्षमता का प्रमाण है.


बता दें कि एलएसी पर चीन के खिलाफ ड्रोन टेक्नोलॉजी को मजबूत करने के लिए ही इसी साल जनवरी के महीने में भारतीय सेना ने एक स्वदेशी कंपनी से 140 करोड़ रुपये का सौदा किया था. हालांकि, ये नहीं बताया गया कि इस सौदे में भारतीय सेना को कितने यूएवी मिलने हैं, लेकिन माना जा रहा है कि ये संख्या कई सौ में है. आईडियाफोर्ज नाम की ये कंपनी 'स्विच' टेक्टिकल ड्रोन्स भारतीय सेना को मुहैया करा रहा है. इन 'स्विच' टेक्टिकल ड्रोन्स का इस्तेमाल पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी की सर्विलांस के लिए किया जाना है.


महाराष्ट्र की इस स्वेदशी कंपनी का दावा है कि बेहद हल्के स्विच ड्रोन्स करीब 4000 मीटर की ऊंचाई तक जाकर 15 किलोमीटर के दायरे की सर्विलांस कर सकते हैं, क्योंकि पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर बेहद ऊंचाई वाले पहाड़ों की एक लंबी श्रृंखला है. ऐसे में भारतीय सेना को इन पहाड़ों की सुरक्षा करना एक टेढ़ी खीर होती है और चीनी सैनिकों की घुसपैठ का खतरा बना रहता है, लेकिन इन ड्रोन्स से पूर्वी लद्दाख से सटी 826 किलोमीटर लंबी एलएसी की रखवाली स्विच ड्रोन्स से की जाएगी.




इन ड्रोन को सेना के सौंपे जाने के अलावा पीएम मोदी रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (डीपीएसयू) भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) झांसी में एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल के प्रोप्लसन-सिस्टम के एक प्लांट का शिलान्यास करेंगे. यूपी में स्थापित किए गए डिफेंस इंडस्ट्रियल कोरिडोर में झांसी एक मुख्य नोड है. इस प्लांट के लिए झांसी में 183 एकड़ जमीन ली गई है और इस सुविधा में 400 करोड़ रुपये का निवेश शामिल है. इससे 150 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार और करीब 500 लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलने की उम्मीद है.


प्रधानमंत्री डीआरडीओ द्वारा डिजाइन और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) द्वारा निर्मित भारतीय विमानवाहक विक्रांत सहित नौसेना के जहाजों के लिए उन्नत 'ईडब्ल्यू सुइट' भी सौंपेंगे. उन्नत ईडब्ल्यू सुइट का उपयोग मिसाइल डेस्ट्रोयर (विध्वंसक), फ्रिगेट्स इत्यादि युद्धपोतों में किया जाता है और यह 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में एक बड़ा कदम है.


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