पीएम मोदी कल गुजरात को देंगे बड़ी सौगात, वडोदरा में देश के पहले ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट प्लांट की रखेंगे नींव
Gujarat News: पीएम मोदी रविवार को देश को खासकर गुजरात को बड़ी सौगात देंगे. प्रधानमंत्री देश के पहले ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट प्लांट की आधारशिला रखेंगे.
Gujarat News: गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले गुजरात को एक बड़ी सौगात मिलने जा रही है. रविवार यानी, 30 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वडोदरा में सी-295 एयरक्राफ्ट प्लांट की आधारशिला रखेंगे. देश का पहला मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट गुजरात के इसी प्लांट में बनाया जाएगा. देश में पहली बार कोई प्राइवेट कंपनी किसी विमान को बनाने जा रही है. ये कंपनी है टाटा कॉन्सोर्टियम, जो स्पेन की एयरबस डिफेंस एंड एयरोस्पेस के साथ मिलकर वडोदरा में सी-295 एम डब्लू (मीडियम वेट) मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट बनाने जा रही है.
रविवार को एयरक्राफ्ट बनाने वाले प्लांट की नींव रखने के लिए आयोजित समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के साथ एयरबस और टाटा कंपनी से जुड़े अधिकारी भी मौजूद रहेंगे.
पिछले साल ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट का करार हुआ था
पिछले साल, यानी सितंबर 2021 में भारत ने एयरबस डिफेंस के साथ भारतीय वायुसेना के लिए 56 मीडियम लिफ्ट ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट का करार किया था. ये पूरी डील 22 हजार (21937) करोड़ की थी. इस डील के तहत, 16 विमान सीधे यूरोप की बड़ी एविएशन कंपनी, एयरबस-डिफेंस से खरीदा जाना तय हुआ था और बाकी 40 एयरक्राफ्ट एयरबस-डिफेंस भारत में ही टाटा कंपनी के साथ मिलकर निर्माण करना तय हुआ था. इस करार के साथ ही ऐसा पहली बार होगा कि देश में कोई प्राइवेट कंपनी एयरक्राफ्ट का निर्माण करेगी.
खास होंगे मालवाहक विमान
सी-295 मीडियम-वेट मालवाहक विमान हैं, जो भारतीय वायुसेना के पुराने पड़ चुके एवरो एयरक्राफ्ट की जगह लेंगे. सी-295 एयरक्राफ्ट 5-10 टन का पेलोड ले जा सकता है और करीब 11 घंटे तक उड़ान भर सकता है. एयरबस कंपनी के मुताबिक, सी295 विमान एक साथ 71 सैनिक या फिर 50 पैराट्रूपर्स को एक साथ युद्ध-मैदान में ले जाने में सक्षम है. इसमें छोटे और अनप्रीपेयर्ड रनवे पर भी आसानी से लैंड करने की क्षमता है. एवरो की तरह ही सी-295 भी ट्विन-इंजन टर्बोप्रोप एयरक्राफ्ट है.
सी-295 का गेट पिछले हिस्से में है, जिससे सैनिकों (पैरा-ट्रूपर्स) और कार्गो को आसानी से एयर-ड्रॉप किया जा सकता है. इन विमानों के जरिए वायुसेना पैरा कमांडोज़ को एयर-ड्रॉप करने के लिए इस्तेमाल करेगी. फिलहास वायुसेना, सी-130जे सुपर हरक्युलिस एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल करती है.
अगले 10 साल में बनकर तैयार होंगे एयरक्राफ्ट
रक्षा मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट के हरी झंडी मिलने पर जानकारी दी कि एयरबस डिफेंस एंड स्पेस (स्पेन) कंपनी से करार होने के 48 महीने यानि चार साल के भीतर 16 'फ्लाईअवे' एयरक्राफ्ट मिल जाएंगे, यानी 23 सितंबर 2023 से 23 अगस्त 2025 के बीच पहले 16 एयरक्रफ्ट आएंगे और बाकी जो 40 एयरक्राफ्ट भारत में बनेंगे वे अगले एक दशक (दस साल) में वायुसेना को मिल जाएंगे. यानी 40 एयरक्राफ्ट भारत में सितंबर 2026 से अगस्त 2031 तक बनेंगे. पहला ‘मेड इन इंडिया’ विमान सितंबर 2026 से आने की उम्मीद है. भविष्य में इस प्लांट में सिविल ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट का निर्माण भी हो सकता है.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, सभी 56 विमान स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट से लैस होंगे. सभी 56 विमानों में भारतीय डीपीएसयू- भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड के स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूइट लगाए जाएंगे.
इस प्रोजेक्ट से रक्षा क्षेत्र में लोगों को मिलेगा रोजगार
रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा कि इस प्रोजेक्ट से 'आत्मनिर्भर भारत' को काफी मदद मिलेगी क्योंकि इससे देश में रक्षा क्षेत्र और खासकर एविएशन सेक्टर में, प्राइवेट इंडस्ट्री को मजबूती मिलेगी. इस प्रोजेक्ट से करीब 700 लोगों को स्किल्ड रोजगार मिलेगा और करीब 3 हजार लोगों को अप्रत्यक्ष तौर से नौकरी मिलेगी. बड़ी संख्या में एमएसएमई यानि मीडियम, स्मॉल एंड माइक्रो कंपनियों को फायदा होगा, क्योंकि एयरक्राफ्ट के स्पेयर पार्ट्स इत्यादि भारत में ही बनेंगे.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, यह देश के एयरोस्पेस इंडस्ट्री में रोजगार सृजन में उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा और भारत के एयरोस्पेस तथा रक्षा क्षेत्र के भीतर 42.5 लाख से अधिक मानव घंटे के काम के साथ 600 उच्च कौशलयुक्त नौकरियां, 3,000 से अधिक अप्रत्यक्ष नौकरियां और अतिरिक्त 3,000 मध्यम कौशल रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है. स्पेन में एयरबस सुविधा में लगभग 240 इंजीनियरों को प्रशिक्षित किया जाएगा.
इस तरह से बनेंगे एयरक्राफ्ट
भारत में उपकरणों, जिग्स और परीक्षकों के साथ 13,400 से अधिक डिटेल पार्ट्स, 4,600 सब-असेंबल और सभी सात प्रमुख घटक संयोजन का निर्माण किया जाएगा. इंजन, लैंडिंग गियर, एवियोनिक्स, ईडब्ल्यू सूइट आदि जैसी विभिन्न प्रणालियां एयरबस डिफेंस एंड स्पेस द्वारा प्रदान की जाएंगी और टाटा कंसोर्टियम द्वारा विमान पर एकीकृत की जाएंगी. विमान का परीक्षण टाटा कंसोर्टियम द्वारा एक एकीकृत प्रणाली के रूप में किया जाएगा. विमान का उड़ान परीक्षण किया जाएगा और टाटा कंसोर्टियम सुविधा में डिलीवरी सेंटर के माध्यम से सुपुर्दगी की जाएगी.
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