नई दिल्ली: खाड़ी मुल्क बहरीन भारत का एक पड़ोसी भी है और पुराना दोस्त भी. यूं तो दोनों मुल्कों के रिश्ते करीब 5000 साल पुराने हैं मगर अगले हफ्ते पहला मौका होगा जब भारतीय प्रधानमंत्री बहरीन की जमीन पर पहुंचेंगे. भारतीय पीएम की इस पहली बहरीन यात्रा में जहां दोनों मुल्कों के द्विपक्षीय रिश्तों की मजबूती पर बात होगी वहीं से सांस्कृतिक संबंधों को सींचने का भी प्रयास होगा. पीएम की बहरीन यात्रा का एक अहम मुकाम होगा 200 साल पुराना श्रीनाथजी मंदिर भी.


इस्लामिक देश बहरीन में बना यह कृष्ण मंदिर खड़ी क्षेत्र का सबसे पुराना हिन्दू मंदिर है. राजकीय संरक्षण से बने इस हिंदू मंदिर को बहरीन का राज परिवार वर्षों तक संस्कृति संरक्षण की एक मिसाल के तौर पर भी दर्शाता रहा है. बहरीन के किंग शेख हमाद बिन ईसा अल खलीफा भी इस मंदिर के संरक्षण में रुचि दिखाते हैं.


बहरीन के श्रीनाथजी मंदिर की स्थापना 1817 में थट्टाई (भाटिया) समाज ने की थी जो सिंध(अब पाकिस्तान) के इलाके से कारोबार के सिलसिले में आया था. बहरीन के केंद्र यानी मनामा में स्थित इस मंदिर की अहमियत का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके आस-पास के इलाके को सरकार ने दिसम्बर 2015 में 'लिटिल इंडिया इन बहरीन' घोषित किया. कृष्ण भक्ति के वल्लभ सम्प्रदाय से जुड़े इस मंदिर ने मार्च 2017 में अपनी स्थापना का 200वां वर्ष समारोह आयोजित किया. मंदिर का सम्बंध भारत में राजस्थान के नाथद्वारा स्थित प्रसिद्ध श्रीनाथजी मंदिर से भी है जिसकी स्थापना 1672 में हुई थी.


मंदिर का प्रबंधन बहरीन में थट्टाई व्यापारी संघ की 9 सदस्यीय टीम करती है. थट्टा सिंध(मौजूदा पाकिस्तान) का कारोबारी वर्ग है जो वर्षों से बहरीन से व्यापारिक रिश्ते रखता है.


बहरीन यूं तो एक छोटा मुल्क है लेकिन कामकाज के जाने वालों के लिहाज से यह भारतीयों की एक पसन्दीदा जगह भी है. करीब 12 लाख की आबादी वाले बहरीन में साढ़े तीन लाख से ज़्यादा आबादी भारतीयों की है. हालांकि इनमें से 60 फीसद संख्या कामगारों की है. बड़ी एनआरआई आबादी के अलावा भारत और बहरीन के कारोबारी रिश्ते भी काफी अच्छे हैं। दोनों मुल्कों का आपसी कारोबार करीब 879 मिलियन डॉलर है.


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