नई दिल्ली: 3 दिसंबर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वर्ण मंदिर में माथा टेकने गए थे. मोदी का स्वर्ण मंदिर जाना सोशल मीडिया पर चर्चा बना हुआ है क्योंकि दावा किया जा रहा है कि स्वर्ण मंदिर के भीतर मोदी ने जूते पहन रखे थे. कई तस्वीरें भी शेयर की जा रही हैं.. लेकिन सवाल ये है कि दावा सही है या फिर कहानी कुछ और है? सोशल मीडिया पर तस्वीरों के जरिए दावा किया जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने स्वर्ण मंदिर के भीतर जूते पहन रखे थे.


तस्वीर को देखने पर पीएम मोदी के पीछे स्वर्ण मंदिर दिखाई देता है. प्रधानमंत्री मोदी के साथ कुछ लोग मौजूद हैं कुछ के पैर में जूते हैं और कुछ के पैर में नहीं हैं शायद इसलिए भी ये तस्वीर मुद्दा बनी हुई है. ये तस्वीर धड़ल्ले से शेयर की जा रही है और लोग चर्चा भी कर रहे हैं.


इस तस्वीर को शेयर करते हुए एक ने लिखा है, "देखिए सियासत का हाल. जहां बिना पैर धोए नहीं जाया जाता वहां प्रधानमंत्री मोदी और दूसरे सदस्य परिक्रमा के लिए जूते पहन कर घूम रहे हैं.''



इस खबर का सच सामने आना जरूरी है क्योंकि ये ना सिर्फ लोगों की आस्था का मामला है बल्कि देश के प्रधानमंत्री के साथ भी जुड़ा हुआ है. लेकिन यहां हम आपको पहले ही बता देते हैं कि जबरन इस बात को मुद्दा बनाया जा रहा है क्योंकि प्रधानमंत्री ने मंदिर परिसर के भीतर जूते नहीं पहने थे. कैसे और क्यों ये हम आपको आगे इस रिपोर्ट में बताएंगे.


एबीपी न्यूज ने इस दावे की पड़ताल की. पड़ताल में सामने आया कि जब प्रधानमंत्री मोदी स्वर्ण मंदिर गए थे वो नंगे पाव थे. उन्होंने दरबार में माथा भी टेका और लोगों को लंगर भी खिलाया था. यहां हम आपको ये भी बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी का ये कार्यक्रम पहले से तय नहीं था वो अचानक ही लंगर खिलाने पहुंचे थे.


इसके बाद पीएम मोदी जब बाहर निकले और खड़े होकर बात कर रहे थे तब भी नंगे पाव थे. जब सीढ़ियों से उतर रहे थे तब भी वो नंगे पाव थे. पड़ताल में सामने आया कि पीएम मोदी ने बाहर निकलने के बाद जूते भी पहने.


दरअसल जिस तस्वीर को लेकर ये आरोप लगाया जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने स्वर्ण मंदिर के भीतर जूते पहने वो मंदिर के भीतर की है ही नहीं. वो तस्वीर स्वर्ण मंदिर के बाहर की हैं जहां हेरिटेज वॉक होता है. जब वायरल तस्वीर को ध्यान से देखेंगे तब आपको यह बात तब पता चलेगी. इसलिए स्वर्ण मंदिर के भीतर प्रधानमंत्री मोदी के जूते पहनने वाला दावा हमारी पड़ताल में झूठा साबित हुआ है.