मामल्लापुरमः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग ने तमिलनाडु के मामल्लापुरम यानी महाबलीपुरम में द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंधों को विस्तार देने पर जोर देने के अलावा पाकिस्तान के आतंकवाद और कट्टरपंथ की चुनौतियों का मिलकर सामना करने का भी संकल्प लिया.
दोनों नेताओं ने इस बात को स्वीकार किया कि दोनों देश बहुत जटिल और बहुत विविध हैं. भारत और चीन दोनों ही बड़े देश हैं और कट्टरता दोनों के लिए चिंता का विषय है. इस बात पर सहमति भी थी कि दोनों एक साथ काम करेंगे, ताकि कट्टरता और आतंकवाद के खिलाफ कारगर उपाय हो सकें. यह एक आम चुनौती है जिसे दूर करने के लिए मिलकर काम करना होगा.
विदेश सचिव विजय गोखले ने देर शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि दोनों नेताओं ने रात्रिभोज के दौरान ढाई घंटे बातचीत की और इस दौरान उन्होंने अपनी-अपनी राष्ट्रीय दूरदृष्टि एवं शासन संबंधी प्राथमिकताओं समेत कई मामलों पर बातचीत की. उन्होंने बताया कि पीएम मोदी और शी जिनपिंग ने आतंकवाद के कारण दोनों देशों के सामने पैदा हो रही चुनौतियों पर चर्चा की.
उन्होंने कहा, ‘‘इस बात को स्वीकार किया गया कि दोनों देश बहुत जटिल और बहुत विविध हैं. दोनों नेताओं ने कहा कि भारत एवं चीन बड़े देश हैं, दोनों के लिए कट्टरपंथ चिंता का विषय है और दोनों मिलकर काम करेंगे ताकि कट्टरपंथ एवं आतंकवाद हमारे बहु-सांस्कृतिक, बहु-जातीय, बहु-धार्मिक समाजों को प्रभावित नहीं कर पाए.’’
विदेश सचिव ने बताया कि पीएम मोदी और शी जिनपिंग ने स्वीकार किया कि आतंकवाद एवं कट्टरपंथ साझी चुनौतियां हैं और दोनों नेता इससे निपटने के लिए मिलकर काम करेंगे. उन्होंने बताया कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार और निवेश बढ़ाने पर चर्चा की और मोदी ने बातचीत के दौरान (चीन के साथ भारत के) व्यापार घाटे का भी मुद्दा उठाया. पीएम मोदी के साथ दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता के लिए शी शुक्रवार को यहां पहुंचे थे.
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