नई दिल्ली: कांग्रेस ने लद्दाख गतिरोध पर सरकार के इरादे पर सवाल खड़े करते हुए रविवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बयान से चीन के इस रुख का समर्थन किया है कि उसने भारतीय भू-भाग में घुसपैठ नहीं की. पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि जब तक LAC पर पहले जैसी स्थिति नहीं हो जाती, तब तक सरकार को अपने कदम पीछे नहीं हटाना चाहिए.


नरेंद्र मोदी वास्तव में ‘सरेंडर मोदी’


कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भारतीय भू्-भाग चीन को सौंपे जाने का आरोप लगाने के एक दिन बाद रविवार को उन पर तंज कसते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी वास्तव में ‘सरेंडर मोदी’ हैं, हालांकि, उन्होंने अंग्रेज़ी में सरेंडर की स्पेलिंग कुछ अलग अंदाज में लिखी थी. अपने ट्वीट में राहुल गांधी ने जापान टाइम्स के एक लेख को भी शेयर किया. इस लेख का टाइटल था- ‘भारत की चीन के प्रति तुष्टीकरण की नीति का खुलासा हुआ.’


सरकार को अपने कदम पीछे नहीं हटाने चाहिए- कपिल सिब्बल


कांग्रेस नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार को इनकार करने की मुद्रा में नहीं रहना चाहिए. जब तक चीन पीछे नहीं हटता है और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पूर्व स्थिति बहाल नहीं हो जाती है, तब तक उसे (सरकार को) भी अपने कदम पीछे नहीं हटाने चाहिए.


गौरतलब है कि मोदी ने भारत-चीन सीमा पर मौजूदा स्थिति के बारे में बुलाई गई एक सर्वदलीय बैठक में शुक्रवार को कहा था, ‘ना वहां कोई हमारी सीमा में घुसा हुआ है, ना ही हमारी कोई पोस्ट किसी दूसरे के कब्जे में है.’


प्रधानमंत्री की इस टिप्पणी की काफी आलोचना हुई है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि उन्होंने भारतीय जमीन चीन को सौंप दी. पार्टी ने सवाल किया कि जब एलएसी के इस ओर चीनी सैनिक नहीं आये थे तो फिर 20 भारतीय सैनिक कहां शहीद हुए?


पीएम भी वही कह रहे हैं, जो चीन कह रहा है- कांग्रेस


सिब्बल ने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘जब चीन ने एलएसी का उल्लंघन किया और गलवान घाटी पर दावा पेश किया, तब आपने (प्रधानमंत्री मोदी) कहा कि भारतीय भू-भाग में कोई नहीं घुसा है, आप भी वही कह रहे हैं जो चीन कह रहा है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘क्या इस तरह से प्रधानमंत्री ने चीन के इस रुख को सहमति नहीं प्रदान कर दी है कि उन्होंने (चीनियों ने) हमारे क्षेत्र में कभी घुसपैठ नहीं की.’


उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार में किसी को भी इनकार करने की मुद्रा में नहीं होना चाहिए. जब तक चीन पीछे नहीं हटता है, हमारी सरकार को पीछे नहीं हटना चाहिए या इन क्षेत्रों के किसी हिस्से को चीन को सौंपा जाना प्रतीत नहीं होना चाहिए.


सिब्बल ने पूछा कि क्या प्रधानमंत्री का बयान सैनिकों के साहस एवं सर्वोच्च बलिदान का अपमान नहीं है, जिन्होंने गलवान घाटी में भारतीय भू-भाग से चीनियों को खदेड़ने की कोशिश की.


प्रधानमंत्री की टिप्पणी, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और थल सेना के बयानों से अलग- सिब्बल


सरकार से और सवाल करते हुए सिब्बल ने कहा, ‘क्या सरकार चाहती है कि उनका बलिदान यूं ही व्यर्थ चला जाए? क्या यह सच नहीं है कि चीन ने गलवान घाटी को अपना भू-भाग होने का दावा किया है? क्या यह भी सच नहीं है कि चीन ने गलवान घाटी में खुल्लम खुल्ला अतिक्रमण किया है?’


सिब्बल ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री की टिप्पणी, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और थल सेना प्रमुख के बयानों की विरोधाभासी है.


उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री के इस बयान का खंडन क्यों कर रहे हैं कि ‘चीनी बड़ी संख्या में मौजूद हैं और विदेश मंत्री का यह बयान कि हम पूर्व स्थिति बहाल करना चाहेंगे. क्या थल सेना प्रमुख ने स्पष्ट रूप से नहीं कहा था कि सैनिकों का पीछे हटना जारी है.’


पीएम मोदी की टिप्पणी से शरारत की जा रही है- पीएमओ


उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने शनिवार को कहा कि सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा की गई टिप्पणियों की ‘शरारतपूर्ण व्याख्या’ करने के प्रयास किए जा रहे हैं.  पीएमओ ने स्पष्ट किया कि एलएसी के संबंध में मोदी की टिप्पणियों का आशय हमारे सशस्त्र बलों की वीरता के परिणामस्वरूप उत्पन्न स्थिति से था, जिन्होंने गलवान घाटी में अतिक्रमण की चीनी सैनिकों की कोशिश को विफल कर दिया.


यह भी पढ़ें- 


मुंबई का उत्तरी विभाग बन नया हॉटस्पॉट, सख्त किए गए लॉकडाउन के नियम


कोरोना वायरस: दिल्‍ली में 27 जून से शुरू होगा Serological Survey, 20 हजार सैंपल की होगी टेस्टिंग