नई दिल्ली: जीएसटी को देश की आथर्कि व्यवस्था का 'युगांतकारी' कदम और 'गुड एंड सिंपल' व्यवस्था करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार देर रात कहा कि यह गंगानगर से इटानगर और लेह से लेकर लक्षद्वीप तक 'एक राष्ट्र, एक कर' की व्यवस्था को लागू करने की पहल है जो आम लोगों, गरीबों समेत सामान्य लोगों की खुशहाली का मार्ग प्रशस्त करेगा.


मोदी ने शुक्रवार देर रात संसद के ऐतिहासिक केन्द्रीय कक्ष में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ मिलकर एक घंटा बजाया जो देश भर में जीएसटी लागू होने का प्रतीक था. इससे पहले प्रधानमंत्री ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि जीएसटी गरीबों की चिंता करने की व्यवस्था है और गरीब कल्याण की भावना को कायम रखा गया है. कोई भी दल हो, कोई भी सरकार हो, जीएसटी में सभी ने समान रूप से उसकी चिंता की है. हमने जीएसटी के तौर पर आधुनिक कराधान व्यवस्था पेश की है. इससे आम लोगों का फायदा होगा, छोटे व्यापारियों की परेशानी कम होगी. सामान्य लोगों पर इस व्यवस्था से कोई बोझ नहीं आयेगा. सामान्य भाषा में यह गरीबों के लिये की गई व्यवस्था है. प्रधानमंत्री ने कहा कि जीएसटी सभी राजनीति दलों के सामूहिक प्रयासों की देन है. उन्होंने कहा कि यह सभी राज्यों और केंद्र के सालों तक चले विचार विमर्श का परिणाम है. उन्होंने कहा कि जीएसटी सहकारी संघवाद का एक बेहतर उदाहरण है.


उन्होंने कहा कि जिस प्रकार सरदार वल्लभ भाई पटेल ने करीब 500 रियासतों को मिलाकर भारत का एकीकरण संभव कराया था, उसी प्रकार जीएसटी के कारण देश का आथर्कि एकीकरण होगा. उन्होने कहा कि इसमें शुरआत में थोड़ी दिक्कत आ सकती है लेकिन इसके कारण सभी वर्गों के लोगों को लाभ मिलेगा.


मोदी ने देश के व्यापारी वर्ग से अपील की कि जीएसटी लागू होने से उन्हें जो लाभ होता है उसका फायदा वे गरीब तबके के लोगों तक पहुंचाएं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में कुछ ऐसे पल आते हैं जिस पल पर हम किसी नए मोड़ पर जाते हैं, नये मुकाम की ओर पहुंचने का प्रयास करते हैं. आज इस मध्य रात्रि में हम सब मिलकर देश की प्रगति का मार्ग सुनिश्चित करने जा रहे हैं. कुछ देर बाद देश एक नई व्यवस्था की ओर चल पड़ेगा. हम सभी देशवासी इस ऐतिहासिक घटना के साक्षी हैं.


उन्होंने कहा कि जीएसटी की प्रक्रिया केवल अर्थव्यवस्था के दायरे तक सीमित नहीं है. पिछले कई सालों में अनेक महानुभावों ने एक टीम के रूप में इस प्रक्रिया में योगदान दिया है. यह भारत के लोकतंत्र के संघीय ढांचे को आगे बढ़ाते हुए सहकारी संघवाद की व्यवस्था को मजबूत बनाने की पहल है. यह एक पवित्र अवसर है .



मोदी ने कहा कि ये जो दिशा हम सब ने निर्धारित की है, जो रास्ता हमने चुना है. यह किसी एक दल की सिद्धी नहीं है, यह किसी एक सरकार की सिद्धी नहीं है. यह हम सब की साझी विरासत है, हम सब के साझा प्रयासों का परिणाम है.


संसद के केंद्रीय कक्ष में सरकार के मंत्री, विभिन्न दलों के सदस्य और रतन टाटा सहित कुछ उद्योगपति और अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे. जीएसटी लागू होने के क्रायक्रम में हालांकि कांग्रेस, वामदल और कुछ अन्य दलों के सदस्य मौजूद नहीं थे. हालांकि सपा, जदयू, राकांपा, जेडीएस, बीजद, अन्नाद्रमुक, टीआरएस सदस्य उपस्थित थे. कुछ दलों की अनुपस्थिति के बीच मोदी ने कहा कि संविधान के निर्माण के दौरान 2 साल 11 महीने 17 दिन तक विभिन्न विद्वानों ने विचार विमर्श किया. उस समय वाद-विवाद भी होते थे. राजी-नाराजी भी होते थे लेकिन रास्ते खोजे जाते थे. कभी किसी विषय पर आर पार नहीं जा पाए तब भी रास्ते खोजे जाते थे. ठीक उसी प्रकार की प्रक्रिया जीएसटी की चली. केंद्र और राज्यों ने कई साल तक चर्चा की. वर्तमान और पूर्व सांसदों ने चर्चा की. देश के सर्वश्रेष्ठ मस्तिष्कों ने चर्चा की.


मोदी ने कहा कि जब संविधान बना तब समान अधिकार और समान अवसर प्रदान करने पर जोर दिया गया, और आज जीएसटी के जरिये राज्यों को धागे में पिरोने के साथ नई आर्थिक व्यवस्था लाने का प्रयास किया गया है. यह टीम इंडिया और सहकारी संघवाद की भावना का परिचायक है. प्रधानमंत्री ने कहा, ''यह एक ऐसा स्थान है जहां विभिन्न महापुरूषों ने इस स्थान को पावन किया. 9 दिसंबर 1947 को संविधान सभा की पहली बैठक का साक्षी रहा. इसी स्थान पर तब डा. राजेन्द्र प्रसाद, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, आर्चाय कृपलानी, भीम राव अंबेडकर आदि मौजूद थे. यह स्थल देश की आजादी की महान घटना का भी साक्षी रहा. जब 26 नवंबर 1949 को देश ने संविधान को स्वीकार किया गया तब भी यह स्थान उस घटना का गवाह रहा. आज वर्षो बाद एक नई अर्थव्यवस्था के लिए, संघीय ढांचे को नई ताकत प्रदान करने के लिये जीएसटी पेश करने के लिये इस स्थान से बेहतर और कोई स्थल नहीं हो सकता था."



प्रधानमंत्री ने कहा कि जो लोग आशंकाएं व्यक्त करते है, उनसे मैं कहना चाहूंगा कि कृपया ऐसी बाते न करें. हर घर में 10वीं, 12वीं का बच्चा होता है, उसे टेक्नोलॉजी की जानकारी होती है. वह मदद कर देगा. अफवाह फैलाना बंद करें. उन्होंने कहा कि देश जब चल पड़ा है तो गरीब की भलाई कैसे हो, उसका ध्यान रखने की जरूरत है.


मोदी ने कहा कि जीएसटी से व्यवस्था सुगम बनाने में मदद मिलेगी. इसके कारण कोई निवेश करना चाहेगा, उनको पूरे देश में एक व्यवस्था प्राप्त होगी और निवेश के प्रिय स्थल के रूप में भारत आगे बढ़ेगा . जीएसटी एक ऐसे उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा जिससे न केवल निर्यात बढ़ेगा बल्कि आंतरिक कारोबार भी मजबूत होगा . इसके कारण प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर होने के बावजूद बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, पूर्वोत्तर के राज्य जो विकास में पीछे रह गये हैं, उन्हें विकास की राह पर आगे बढ़ने का बड़ा अवसर मिलेगा .


प्रधानमंत्री ने कहा कि जीएसटी एक ऐसी नई आर्थिक व्यवस्था है जो नये भारत के लिये डिजिटल प्रक्रिया को आगे बढ़ायेगा . कानूनी भाषा में जीएसटी माल और सेवा कर होगा लेकिन वास्तव में यह 'गुड एंड सिंपल टैक्स' है. आज तक कहीं न कहीं 500 प्रकार के कर की भूमिका थी और अब इन सब के स्थान पर एक कर की व्यवस्था लागू की जा रही है.



इस समारोह में मंच पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, लोक सभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, प्रधानमंत्री मोदी, वित्त मंत्री जेटली और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा मौजूद थे. प्रमुख राजनीतिक हस्तियों में, कैबिनेट मंत्रियों के अलावा वरिष्ठ भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी, भाजपा प्रमुख अमित शाह, राकांपा प्रमुख शरद पवार, सपा नेता रामगोपाल यादव, भाजपा नेता यशवंत सिन्हा आदि मौजूद थे. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इस कार्यक्रम से दूर रही. कांग्रेस ने जीएसटी की शुरआत के मौके पर आयोजित इस कार्यक्रम को 'तमाशा' करार दिया. कांग्रेस के इसी बहिष्कार के चलते पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी इस कार्यक्रम से दूर रहे. तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, डीएमके और वामपंथी दलों ने कार्यक्रम का बहिष्कार किया.


मोदी ने जीएसटी लागू होने की तुलना नये चश्मे से की. उन्होंने कहा कि चश्मे का नंबर बदलने पर एक दो दिन 'एडजस्ट' करने में लग जाते हैं. जीएसटी में भी बस ऐसा ही होगा.