एक्सप्लोरर
Advertisement
संविधान दिवस पर पीएम मोदी ने कहा- 'आज हमारे सुरक्षाबल मुंबई हमले जैसी साजिशों को नाकाम कर रहे'
पीएम मोदी ने कहा, हमारे यहां बड़ी समस्या ये भी रही है कि संवैधानिक और कानूनी भाषा, उस व्यक्ति को समझने में मुश्किल होती है जिसके लिए वो कानून बना है. मुश्किल शब्द, लंबी-लंबी लाइनें, बड़े-बड़े पैराग्राफ, क्लॉज-सब क्लॉज, यानि जाने-अनजाने एक मुश्किल जाल बन जाता है.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 80वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के समापन सत्र में संबोधित किया. अपने भाषण की शुरुआत में पीएम मोदी ने मुंबई हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की. पीएम मोदी ने कहा, "आज की तारीख, देश पर सबसे बड़े आतंकी हमले के साथ जुड़ी हुई है. पाकिस्तान से आए आतंकियों ने मुंबई पर धावा बोल दिया था. कई देशों के लोग मारे गए थे. मैं मुंबई हमले में मारे गए सभी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं."
पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें..
- आज मुंबई हमले जैसी साजिशों को नाकाम कर रहे, आतंक को एक छोटे से क्षेत्र में समेट देने वाले, भारत की रक्षा में प्रतिपल जुटे हमारे सुरक्षाबलों का वंदन करता हूं.
- संविधान के तीनों अंगों की भूमिका से लेकर मर्यादा तक सबकुछ संविधान में ही वर्णित है. 70 के दशक में हमने देखा था कि कैसे शक्ति के विभाजन की मर्यादा को भंग करने की कोशिश हुई थी, लेकिन इसका जवाब भी देश को संविधान से ही मिला.
- कोरोना महामारी के दौरान भारत की 130 करोड़ से ज्यादा जनता ने जिस परिपक्वता का परिचय दिया है, उसकी एक बड़ी वजह, सभी भारतीयों का संविधान के तीनों अंगों पर पूर्ण विश्वास है. इस विश्वास को बढ़ाने के लिए निरंतर काम भी हुआ है.
- कोरोना के समय में हमारी चुनाव प्रणाली की मजबूती दुनिया ने देखी है. इतने बड़े स्तर पर चुनाव होना, समय पर परिणाम आना, सुचारु रूप से नई सरकार का बनना, ये इतना भी आसान नहीं है.
- हमें ये याद रखना है कि जब विचारों में देशहित और लोकहित की बजाय राजनीति हावी होती है तो उसका नुकसान देश को उठाना पड़ता है.
- सरदार पटेल का ये स्मारक इस बात का जीता-जागता सबूत है कि जहां कोई राजनीतिक छूआ-छूत नहीं. देश के गौरव से बड़ा कुछ नहीं हो सकता.
- हमारे कानूनों की भाषा इतनी आसान होनी चाहिए कि सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी उसको समझ सके. हम भारत के लोगों ने ये संविधान खुद को दिया है.
- समय के साथ जो कानून अपना महत्व खो चुके हैं, उनको हटाने की प्रक्रिया भी आसान होनी चाहिए. बीते सालों में ऐसे सैकड़ों कानून हटाए जा चुके हैं.
ये भी पढ़ें- 31 दिसंबर तक जारी रहेगा अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर बैन, कोरोना में तेज़ी के बीच DGCA का निर्देश
'लव जिहाद' पर कौन-कौन से राज्य ला रहे हैं कानून, क्या होगा प्रावधान
हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें ABP News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ लाइव पर पढ़ें बॉलीवुड, लाइफस्टाइल, न्यूज़ और खेल जगत, से जुड़ी ख़बरें
और देखें
Advertisement
IPL Auction 2025
Advertisement
ट्रेंडिंग न्यूज
Advertisement
टॉप हेडलाइंस
महाराष्ट्र
विश्व
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड
बॉलीवुड
Advertisement
अविनाश कुमारऑथर, पैरेंट इन एडॉप्शन
Opinion