PM Modi JK Leaders Meeting: जम्मू-कश्मीर को लेकर पीएम मोदी की बैठक खत्म, महबूबा मुफ्ती ने पाक से बातचीत की मांग दोहराई | जानें किसने क्या कहा
प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में जम्मू-कश्मीर को लेकर अहम बैठक हो गई है. इसमें जम्मू-कश्मीर के 8 राजनीतिक दलों के 14 नेता शामिल हुए. दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास पर ये बैठक करीब साढ़े तीन घंटे तक चली.
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Jammu Kashmir leaders Meet Live Updates: जम्मू-कश्मीर से धारा-370 खत्म होने के बाद आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार जम्मू-कश्मीर के आठ राजनीतिक दलों के 14 जनप्रतिनिधियों के साथ सीधे संवाद करेंगे. प्रधानमंत्री आवास पर दिन में 3 बजे बुलाई गई बैठक का फिलहाल एजेंडा गुप्त रखा गया है. लेकिन माना जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर के विकास समेत परिसीमन व अन्य मुद्दों पर सरकार स्थानीय प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करेगी.
बैठक में पीएम के अलावा, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जम्मू कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा, एनएसए अजित डोवाल, पीएम के प्रिंसिपल सेक्रेटरी पीके मिश्रा, गृहसचिव अजय भल्ला के अलावा कुछ अन्य ऊंच अधिकारी बैठक में शामिल रह सकते हैं. इस बैठक के साथ ही सूबे में डीलिमिटेशन की प्रक्रिया की आरंभ माना जाएगा. ये एक तरह से सूबे में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए वाइड कंसल्टेशन का आरंभ.
डीलिमिटेशन की प्रक्रिया थोड़ी लंबी हो सकती है. डीलिमिटेशन के बाद नया वोटर लिस्ट तैयार करने और उसमें करेक्शन के बाद ही जम्मू कश्मीर में चुनावी प्रक्रिया आरंभ हो सकता है. जम्मू-कश्मीर में चुनावी प्रक्रिया शुरू होने में अभी भी सालभर का समय लग सकता है. देश के कानून और भारत सरकार द्वारा तयशुदा मानकों के अंतर्गत ही डीलिमिटेशन होगा.
सूत्रों के मुताबिक जम्मू कश्मीर को स्टेटहुड़ देने को लेकर फिलहाल किसी तरह की चर्चा का प्रस्ताव नहीं है. टोटल 14 प्रतिनिधियों को बैठक में बुलाया गया है. नेशनल कांफ्रेंस के फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद, गुलाम अहमद मीर, ताराचंद, पीडीपी की महबूबा मुफ़्ती, बीजेपी के निर्मल सिंह, कविन्द्र गुप्ता और रविन्द्र रैना, पीपुल कांफ्रेंस के मुजफ्फर बेग और सज्जाद लोन, पैंथर्स पार्टी के भीम सिंह, सीपीआईएम के एमवाई तारीगामी और जेके अपनी पार्टी के अल्ताफ बुखारी को बैठक में आमंत्रित किया गया है.
पीएम मोदी ने साथ मिलकर काम करने का भरोसा दिया- रविंद्र रैना
पीएम द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद जम्मू-कश्मीर बीजेपी अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा, “पीएम मोदी ने जम्मू-कश्मीर के सभी नेताओं को विश्वास दिलाया है कि जम्मू-कश्मीर के उज्ज्वल भविष्य के लिए सभी मिलकर कार्य करेंगे. जम्मू-कश्मीर की मजबूती और जनता की भलाई के लिए हर कार्य किया जाएगा जिससे लोगों का भला हो.”
बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने क्या कहा?
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, “बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सभी जगह विकास पहुंचे इसके लिए साझेदारी हो. विधानसभा चुनाव के लिए डिलिमिटेशन की प्रक्रिया को तेज़ी से पूरा करना होगा ताकि हर क्षेत्र प्राप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व विधानसभा में प्राप्त हो सके.”
महबूबा मुफ्ती ने पाकिस्तान से बातचीत की बात दोहराई
पीएम मोदी के साथ बैठक के बाद महबूबा मुफ्ती ने कहा कि बहुत ही अच्छे माहौल में बात हुई. 5 अगस्त 2019 के बाद से जम्मू-कश्मीर के लोग बहुत मुश्किल में हैं. 370 को गैरकानूनी तरीके से हटाया गया. उन्होंने कहा, “जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 बहाल हो. मैं फिर कह रही हूं कि पाकिस्तान से बातचीत हो. लोगों की भलाई के लिए पाकिस्तान से भी बात हो.” महबूबा मुफ्ती ने कहा कि कश्मीर के सुकून के लिए पाकिस्तान से बातचीत हो. हमारा जो व्यापार रुक गया है उसको लेकर भी पाकिस्तान के साथ बातचीत करनी चाहिए.
जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले- उमर अब्दुल्ला
उमर अब्दुल्ला ने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर को जो केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया वो चाहे जम्मू के लोग हों या कश्मीर के, इसे पसंद नहीं करते हैं. वहां के लोग चाहते हैं कि फौरी तौर पर जम्मू-कश्मीर को रियासत का दर्जा दिया जाए. उन्होंने ये भी कहा कि पाकिस्तान पड़ोसी देश है, बातचीत भी होनी चाहिए. उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि पाकिस्तान से बातचीत हो रही है. बंद कमरे में ही ही पाक से बातचीत हो रही है.” उमर अब्दुल्ला ने कहा कि एक मुलाकात से दिल की दूरी कम नहीं होगी. दिल्ली और दिल की दूरी कम करने की पहल अच्छी है.
पीएम से कहा कि हम 5 अगस्त 2019 को लिए गए फैसले से असहमत हैं- उमर अब्दुल्ला
पीएम मोदी की बैठक में शामिल होने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने भी अपनी बात रखी. उन्होंने बताया कि हमने प्रधानमंत्री से कहा कि अच्छा होता इस तरह की बैठक अगर 5 अगस्त 2019 से पहले भी बुलाई गई होती, क्योंकि जो फैसले लिए गए थे वो वहां के लोगों और चुने हुए नुमाइंदों की राय लिए बिना किए गए. लेकिन जो हुआ सो हुआ. हमें प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के सामने अपनी बात रखने का मौका मिला. क्योंकि इस मीटिंग में कोई एजेंडा नहीं था इसलिए खुलकर हमने अपनी बातें सामने रखीं. हमने प्रधानमंत्री के सामने कहा कि 5 अगस्त 2019 को जो फैसला किया गया हम उसके साथ नहीं हैं. हम उस फैसले से समहत नहीं हैं. हम उसे कबूल करने के लिए तैयार नहीं हैं. लेकिन उस फैसले की मुखालफत में हम कानून को हाथ में लेने के लिए भी तैयार नहीं हैं. इस मुल्क से संविधान की तरफ से हमें जो इजाजत दी जाती है, अदालत का इस्तेमाल करने की, हम अदालत जाकर इस फैसले के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ेंगे.
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