PM Modi-Jo Biden Talks: भारत ने शुक्रवार (30 अगस्त) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच फोन कॉल के अमेरिकी रीडआउट में बांग्लादेश का उल्लेख नहीं होने पर प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों नेताओं की ओर से पड़ोसी देश की स्थिति पर “पर्याप्त चर्चा” की गई.


मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि 26 अगस्त को फोन पर हुई बातचीत के बारे में अमेरिका की ओर से जारी बयान में बांग्लादेश की स्थिति का कोई जिक्र नहीं किया गया था. उसी फोन कॉल पर विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया था कि दोनों नेताओं ने बांग्लादेश की स्थिति पर अपनी “साझा चिंता” व्यक्त की और कानून-व्यवस्था बहाल करने और अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जरूरत पर जोर दिया.


क्या कहा विदेश मंत्रालय ने?


जब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल से इस मुद्दे के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "बांग्लादेश का विषय, जिसे कुछ वर्गों ने उजागर किया है, इस पर दोनों नेताओं की ओर से काफी चर्चा की गई." उन्होंने कहा कि यह दावा कि फोन कॉल में बांग्लादेश के मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई, "अज्ञानतापूर्ण, पक्षपातपूर्ण और प्रेरित है साथ ही यह इस बात का संकेत है कि नेताओं के बीच इस तरह के संपर्क कैसे आयोजित किए जाते हैं और फिर उनका अनुसरण कैसे किया जाता है, इसकी प्रक्रिया से उन्हें पूरी तरह से अनभिज्ञता है."


'इस तरह की बातचीत का पूरा विवरण नहीं होता'


जायसवाल ने बताया कि नेताओं के बीच इस तरह की बातचीत के बाद जारी की गई प्रेस विज्ञप्तियां संयुक्त बयानों से अलग होती हैं, “जहां हर शब्द पर बातचीत की जाती है और आपसी सहमति से उस पर निर्णय लिया जाता है.” उन्होंने कहा कि ये प्रेस विज्ञप्तियां “इस तरह की बातचीत का व्यापक विवरण नहीं हैं.” जायसवाल ने कहा, "अंत में, यह असामान्य नहीं है कि दो पक्ष अपने-अपने बयान में एक ही बातचीत के अलग-अलग पहलुओं पर जोर दें."


उन्होंने कहा, "किसी एक प्रेस विज्ञप्ति में किसी पहलू का न होना, बातचीत में उसके न होने का सबूत नहीं है." विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "मैं प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के बीच हुई बातचीत की विषय-वस्तु से भली-भांति परिचित हूं और मैं आपको बता सकता हूं कि हमारी प्रेस विज्ञप्ति बातचीत में हुई बातों का सटीक और विश्वसनीय अभिलेख है."


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